चीन में सुधार और खुले द्वार की नीति लागू की जाने के बाद चीनी लोगों का जीवन स्तर दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है । देश और केंद्र सरकार के समर्थन तथा भीतरी इलाके के विभिन्न प्रातों की सहायता से चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में भारी परिवर्तन आया है। तिब्बती किसान और चरवाहों का जीवन स्तर भी लगातार उन्नत हो रहा है । कुछ वर्ष पहले तिब्बत में रिहायशी मकान परियोजना शुरू की गई, जिस से अनेकानेक तिब्बती बंधु नए रिहायशी मकानों में प्रवेश कर सुखमय व नया जीवन बिता रहे हैं ।
अगर आप विमान से तिब्बत जाएं, तो राजधानी ल्हासा के गोंगगा कांउटी स्थित गोंगगा हवाई अड्डा पहुंचेंगे । हवाई अड्डे से ल्साहा तक डेढ़ घंटे का रास्ता है । रास्ते में मार्ग के दोनों ओर कहीं-कहीं तिब्बती शैली वाले दो मंजिला इमारतें दिखायी देती हैं जो कि बड़े शहरों के ग्राम्यगृह के बराबर हैं । वास्तव में अब तिब्बत के विभिन्न क्षेत्रों तक जाने वाले रास्तों में इस प्रकार के रिहायशी मकान ज्यादा हैं । तिब्बती शैली के दो मंजिला मकान कतारों में खड़े नजर आते हैं । एकीकृत योजना के अन्तगर्त हरेक मकान की अपनी-अपनी विशेष शैली है । आज तिब्बती किसान और चरवाहे सुरक्षित व उचित रिहायशी मकानों में रहते हैं, स्वच्छ पेय जल पीते हैं । इस के साथ ही वे विशाल व समतल मार्ग पर चलते हैं और पर्याप्त बिजली का प्रयोग करते हैं । तिब्बती किसान और चरवाहे शहर वासियों की तरह ही दिन में घर की इमारत की प्रथम मंजिल पर स्थित कमरे में खाते हैं, गपशप करते हैं, रात को दूसरी मंजिल पर स्थित कमरे में सोते हैं । जीवन पूरी तरह सुधर गया है और ज्यादा अच्छा लगता है ।
क्या आप जानते हैं कि पहले तिब्बती किसान और चरवाहे
छोटे व आर्द्र लकड़ी से बने हुए मकानों में रहते थे । यहां तक कि परिवार के कई सदस्य एक ही शयन-कक्ष में सोते थे । तिब्बती बंधु पासांग ने हमारे संवाददाता को बताया:
"पहले तिब्बती किसानों व चरवाहों के दो मंजिला मकान के ऊपर लोग रहते थे और नीचे पशु । इस तरह घर में बहुत गंदगी रहती थी । लेकिन आज नए गांव के निर्माण के बाद मकान में मनुष्य और पशुओं को अलग किया गया है और घर में मैथन गैस का प्रयोग किया जा रहा है । इस के साथ ही खाना पकाने वाले चूल्हे भी बदल गए हैं । पहले वे मिट्टी वाले चूल्हे का प्रयोग करते थे, जिस से ज्यादा धूल पैदा होने से रसोई घर बहुत गंदा हो जाता था, दीवार काली हो जाती थी । लेकिन आज वे लोहे वाले चूल्हे का इस्तेमाल करते हैं और रसोई घर की छत पर एक खिड़की भी है , जिस से खाना पकाते समय स्वच्छ हवा आती है और स्वास्थ्य अच्छा रहता है ।"
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के लीनची प्रिफैक्चर में एक ऐसा गांव है, जहां हर परिवार मैथन गैस का प्रयोग करता है । इस गांव का नाम है मैथन गैस गांव । गांव के मुखिया ने परिचय देते हुए कहा:
"हम ने प्रथम खेप वाली सुरक्षित रिहायशी मकान परियोजना में भाग लिया, जिस से हमारे गांव के 39 परिवारों को लाभ मिला । अब सिर्फ़ बाकी 10 परिवारों के रिहायशी मकान बनने बाकी हैं । पहले हमारे यहां बिजली लैम्प उपलब्ध नहीं था, खाना पकाने का ईंधन लकड़ी थी । लेकिन आज हमारे जीवन में भारी परिवर्तन आ गया है , हर परिवार के पास टी.वी. सेट, फ्रिज और फ़र्नीचर है । हम सब लोगों का जीवन सुखी है।"
सूत्रों के अनुसार वर्ष 2006 से ही तिब्बत स्वायत्त प्रदेश ने किसान व चरवाहा सुरक्षित रिहायशी मकान परियोजना शुरू की, जिस का मकसद तिब्बती किसानों व चरवाहों के रहने की स्थिति को बदलना था । अब तिब्बती गांवों के रूप में बड़ा परिवर्तन हो रहा है, जिस से तिब्बत के गांवों और शहरों के बीच फ़र्क कम हो गया है ।
इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े। (श्याओ थांग)
![]() |
![]() |
16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040 |