संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने उसी दिन दूसरे देश के मानवाधिकार मुद्दे पर बहसमुबाहिसे के दौरान कुछ देशों ने तिब्बत की परिस्थिति पर पक्षापातपूर्ण विचार व्यक्त किया । छ्येन पो ने इस का उल्लेख करते हुए कहा ( आवाज 1----)
तिब्बत सवाल कोई जातीय , धार्मिक व सांस्कृतिक सवाल नहीं है ।कुछ देशों ने चीन के तिब्बत की परिस्थिति पर जो पक्षपातपूर्ण कथन किये हें , चीनी प्रतिनिधि मंडल ने उन के प्रति अत्यंत खेद व्यक्त किया है। कुछ देशों ने बिल्कुल चीनी राजकीय प्रभुसत्ता व अंदरुनी मामले के सवाल को मानवाधिकार सवाल के रूप में पेश किया है , इस से स्पष्टतः मानवाधिकार सवाल को राजनीतिकरण का रूप दिया गया है और दुहरे मापदंड अपनाये गये हैं ।
उन्हों ने कहा कि चीन के तिब्बत में तेज आर्थिक विकास होता जा रहा है , स्थानीय जनता उच्च स्वशासन और सामान्य धार्मिक गतिविधियां चलाने में स्वतंत्र है, तिब्बती संस्कृति अच्छी तरह संरक्षित हो गयी है और मानवाधिकार का स्तर भी निरंतर उन्नत होता गया है।