2008-06-05 09:55:34

चीनी निदेशक श्याओ फंग और उन की फिल्म

 "पांच गोलियां" फिल्म ने पेइचिंग के फिल्म जगत में हर्षोल्लास पैदा किया है। कुछ फिल्म टिप्पणीकारों ने यहां तक बताया है कि विपदा, एडवेंचर और वैज्ञानिक विषय से मिली जुली "पांच गोलियां" फिल्म अमरीकी होलीवुड की बड़ी फिल्मों की तुलना में कमजोर नहीं है।

"पांच गोलियां" के निदेशक श्याओ फंग ने अपनी फिल्म की चर्चा करते हुए कहा कि यह उन की प्रथम व्यावसायिक फिल्म है, निर्देशन करते समय उन्होंने अत्यंत कठोर समय बिताया। फिल्म की कहानी सच्चे आदमियों के जीवन पर आधारित है। दक्षिणी चीन में स्थित एक शहर को भयानक बाढ़ का सामना करना पड़ा था, तब इस शहर के जेल में नज़रबन्द दस हज़ार अपराधियों को सुरक्षित स्थल पर स्थानांतरित करना पड़ा । स्थानांतरण सुभीते से हुआ, इस दौरान कोई हताहत नहीं हुआ। लेकिन इस कार्यवाही में पुलिसकर्मी लाओ-मा की पिस्तोल से पांच गोलियां गायब हो गईं। ये पांच गोलियां किस ने चुराईं? और अंततः फिल्म में पात्रों का क्या-क्या भाग्य है?

फिल्म के दृश्य आकर्षक और कलात्मक हैं। निदेशक श्याओ फंग के मुताबिक "पांच गोलियां" की शूटिंग करने में तीन साल लग गए। पूंजी के अभाव में फिल्म का काम कई बार रुका। इस फिल्म को बनाने में श्याओ फंग को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्हें यह फिल्म बहुत पसंद है। उन्होंने अनेक किस्मों की फिल्में बनाई हैं, पर "पांच गोलियां" ऐसी प्रथम फिल्म है, जो उन्हें प्रेरित करती है। पुरूष होने के नाते श्याओ फंग को भी वीरता की कहानी अधिक पसंद है।

निदेशक श्याओ फंग चीनी नानचिंग कला अकादमी के तैल चित्र विभाग से स्नातक हुए। पेइचिंग के फिल्म जगत में उन्होंने चित्रकार और फिल्म निदेशक दोनों के काम में सफलता पाई है। श्याओ फंग के लिए फिल्मी दृश्य भी चित्र ही हैं, जो स्क्रीन पर एक एक कर के उभरते हैं। कालेज़ से स्नातक होने के बाद श्याओ फंग ने एक फिल्म स्टूडियो में चित्रकारी का काम चुना। लेकिन कुछ समय बाद उन का विचार बना कि क्योंन मैं खुद निदेशक बनूं। उन की आरंभिक फिल्में उत्कृष्ट दृश्यों से भरी हुई हैं। साहित्य, सौंदर्यशास्त्र और दर्शनशास्त्र के क्षेत्र में निदेशक श्याओ फंग की अच्छी पैठ है, इसी कारण श्याओ फंग अपनी फिल्म में हरेक दृश्य पर कड़ी मेहनत करते हैं, और इस तरह उन की फिल्मों में सामंजस्य और विशेषता दिखाई देती है। श्याओ फंग की फिल्में समाज और जीवन पर आधारित हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि कलाकार पर समाज के प्रति अपनी राय बताने की जिम्मेदारी है।

लेकिन श्याओ फंग क्यों फिल्म निदेशक बने, इस का उत्तर देते हुए श्याओ फंग ने कहाः

मुझे साहित्य पसंद है, और मैं खुद भी कविता आदि लिखता हूं। मेरा ख्याल है कि किसी जड़ टिके हुए दृश्य से मैं अपना विचार नहीं समझा सकता। लेकिन एक फिल्म में अनेक दृश्य शामिल होते हैं, इसमें विचार प्रकट करने की अधिक विशाल गुंजाइश है। मेरे दिमाग में बहुत से विचार हैं। जब मैं जवान था, तब मैं अपने विचार बताने के लिए बहुत इच्छुक था। मेरा ख्याल है कि फिल्म चित्र ही है, पर वह हजारों चित्रों की श्रृंखला है। एक चित्र की तुलना में हजारों चित्रों की विश्वसनीयता कहीं अधिक है, इसी कारण मैं फिल्म कला में फंसा।

40 वर्षीय श्याओ फंग के मुंह पर थकावट की रेखाएं खींची हुई हैं। उन्होंने कहा कि फिल्म बनाने का काम पर्वतारोहण की तरह कष्टकारी है। "पांच गोलियां" जैसी फिल्म बनाने का काम उन के सामने सब से ऊंचा पहाड़ था, पर सौभाग्यवश उन्होंने इसे खत्म किया है। फिल्म निदेशक का काम कोई सरल और आसान काम नहीं है। श्याओ फंग ने कहा कि जब फिल्म बनाना शुरू किया, तब उन्हें रोज़ 16 घंटे काम करना पड़ा। अभी भी तीन फिल्मों का काम उन के हाथों में है। पर अपने परिवार की चर्चा करते समय श्याओ फंग के चेहरे पर लज्जा का रंग चमकने लगा। क्योंकि काम करने के कारण उन्हें अपने परिवारजनों के साथ रहने का कोई समय नहीं मिलता। कार्य में अधिक उपलब्धियां प्राप्त होने के साथ-साथ, उन की परिवारजनों से दूरी भी अधिकाधिक तौर पर बढ़ी है। यह बात सोचते ही श्याओ फंग के दिल में टीस उठती है, पर वे अपनी पसंदीदा फिल्म कला से अलग नहीं रहना चाहते हैं। (ललिता)