"पांच गोलियां" के निदेशक श्याओ फंग ने अपनी फिल्म की चर्चा करते हुए कहा कि यह उन की प्रथम व्यावसायिक फिल्म है, निर्देशन करते समय उन्होंने अत्यंत कठोर समय बिताया। फिल्म की कहानी सच्चे आदमियों के जीवन पर आधारित है। दक्षिणी चीन में स्थित एक शहर को भयानक बाढ़ का सामना करना पड़ा था, तब इस शहर के जेल में नज़रबन्द दस हज़ार अपराधियों को सुरक्षित स्थल पर स्थानांतरित करना पड़ा । स्थानांतरण सुभीते से हुआ, इस दौरान कोई हताहत नहीं हुआ। लेकिन इस कार्यवाही में पुलिसकर्मी लाओ-मा की पिस्तोल से पांच गोलियां गायब हो गईं। ये पांच गोलियां किस ने चुराईं? और अंततः फिल्म में पात्रों का क्या-क्या भाग्य है?
फिल्म के दृश्य आकर्षक और कलात्मक हैं। निदेशक श्याओ फंग के मुताबिक "पांच गोलियां" की शूटिंग करने में तीन साल लग गए। पूंजी के अभाव में फिल्म का काम कई बार रुका। इस फिल्म को बनाने में श्याओ फंग को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्हें यह फिल्म बहुत पसंद है। उन्होंने अनेक किस्मों की फिल्में बनाई हैं, पर "पांच गोलियां" ऐसी प्रथम फिल्म है, जो उन्हें प्रेरित करती है। पुरूष होने के नाते श्याओ फंग को भी वीरता की कहानी अधिक पसंद है। फिल्म में अधिक सत्यता लाने के लिए श्याओ फंग और उन के सहकर्मियों ने अत्यंत भारी कोशिश की है।
श्याओ फंग ने बताया, "पांच गोलियां" विपदाओं के विषय की फिल्म है। इसमें कंप्यूटर तकनीक का भी इस्तेमाल किया गया है, जैसे बाढ़ और तूफान के दृश्यों में। पर फिल्म का उद्देश्य विपदा नहीं, मानवीय भावना को दर्शाना है। हम दर्शकों को जो बताना चाहते हैं, वह यह है कि विपत्ति में आदमी क्या करते हैं? विपदा व मानव के बीच, और आदमियों के बीच संबंध कैसे होते हैं? मिसाल के तौर पर, फिल्म में एक दृश्य है कि एक आदमी भयानक बाढ़ के साथ जोरशोर से संघर्ष करता है, वह तट पर पहुंचने का यथासंभव प्रयास करता है। मानव की सच्ची भावना आम तौर पर विपत्ति पड़ने पर ही उभरती है, इस सब का वर्णन फिल्म में आता है।
यह सच है कि "पांच गोलियां" में बहुत से दृश्य आश्चर्यजनक हैं, जैसे अपराधियों से लदी एक मोटर गाड़ी नदी में गिर पड़ी, लम्बा पुल टूट गया जिस पर पुलिस अपराधियों का पीछा कर रही थी, और अचानक गंभीर भूस्खलन हो गया। यह सब विशेष तकनीकों के जरिए फिल्माया गया है। फिल्म में 90 प्रतिशत बरसात और पानी के दृश्य विशेष तकनीकों का परिणाम है। लेकिन पूंजी के अभाव में "पांच गोलियां" का काम आधे में रुक गया। फिल्म का काम जारी रखने के लिए निदेशक श्याओ फंग ने अपना अंतिम सिक्का खत्म किया और यहां तक कि पत्नी को बताए बिना अपना एक मकान भी बेच दिया। पूंजी का अभाव होने जैसे कारणों से "पांच गोलियां" का काम सात बार रुका और अभिनेताओं को भी कई बार बदलना पड़ा। निदेशक श्याओ फंग ने कहा कि ये सब कहानियां फिल्म "पांच गोलियां" की कहानी से अधिक दिलचस्प हैं।
निदेशक श्याओ फंग को 28 सालों में फिल्मों के लिए बहुत से पुरस्कार मिले हैं। उन्होंने चीन का स्वर्ण कुक्कट पुरस्कार, ह्वा प्याओ पुरस्कार, थूंग न्यू पुरस्कार, फेइ थिएन पुरस्कार और स्वर्ण गरुड़ पुरस्कार जैसे राष्ट्र स्तरीय सभी पुरस्कार जीते हैं। लेकिन श्याओ फंग का ध्यान पुरस्कारों पर उतना नहीं है, जितना दर्शकों की राय पर है।
उन्होंने कहा, हम धनराशि और गौरव नहीं, पर दर्शकों की पसंद के लिए फिल्म बनाते हैं, क्योंकि फिल्मों का बाजार दर्शकों की पसंद पर आधारित है। सब से महत्वपूर्ण बात यह है कि दर्शक फिल्म के जरिए किसी निर्देशक की कला देखते हैं। लेकिन यह लक्ष्य बहुत जटिल है, वह महान पर्वत की तरह मेरे सामने खड़ा है। पर मैं युद्ध मैदान से भागने वाला भी नहीं हूं। मैं अपने को पर्वतारोही समझता हूं। और मैं ने "पांच गोलियां" के जरिए चोटी पर चढ़ने के अभियान में सफलता पाई है।
इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े। (ललिता)