29 तारीख को तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग से मिली खबर के अनुसार इधर के वर्षों में तिब्बत ने अनेक उदार व विशेष नीतियां अपनाकर किसानों व चरवाहों की गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में प्रसव के लिए प्रोत्साहित किया , ताकि गर्भवती महिलाओं व नवजात शिशु की मृत्यु दर को कम किया जा सके ।
लम्बे समय में अधिकांश तिब्बती किसान चरवाहों की गर्भवती महिलाएं प्रसव के लिए अस्पताल नहीं जाती हैं, जिस से गर्भवती महिलाओं की मृत्यु दर ऊंची थी । इधर के वर्षों में तिब्बत ने उदार नीतियां अपनाईं, जिस से किसानों व चरवाहों की गर्भवती महिलाएं अगर अस्पताल में प्रसव करती हैं, तो अस्पताल में होने वाला सारा खर्चा किसान चरवाहों के लिए बने चिकित्सा कोष से दिया जाता है । इस के साथ ही अस्पताल में प्रसव करने वाले गर्भवती महीलाओं को पुरस्कार स्वरूप धन राशि प्रदान की जाएगी और नव जात शिशु को मुफ्त कपड़ा दिया जाएगा और अस्पताल में आऩे-जाने का खर्चा भी दिया जाएगा ।
वर्तमान में अस्पताल में तिब्बती किसानों व चरवाहों की गर्भवती महिलाओं के प्रसव की दर वर्ष 1999 के 15 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2007 में 43 प्रतिशत तक पहुंच गई है । (श्याओ थांग)