2008-05-28 16:55:11

सफेद सिर वाले बंदरों की वासभूमि

चीन के क्वांगशी ज्वांग स्वायत्त प्रदेश के बारे में हमारी सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता से जुड़े एक लेख का प्रसारण किया जा रहा है । क्वांगशी ज्वांग स्वायत्त प्रदेश के छूंग-च्वो शहर के शासनिक पहाड़ी क्षेत्र में मूल्यवान पशु --- सफेद सिर वाले बंदर जीवित हैं ।

क्वांगशी प्रदेश के छूंग-च्वो शहर के शासनिक पहाड़ी क्षेत्र में कुछ प्यारे मूल्यवान बंदर जीवित हैं। उन के शरीर के रोम तो काले रंग के हैं , पर गर्दन से ऊपर सिर तथा पूंछ के सब रोम सफेद रंग के हैं । इस पहाड़ी क्षेत्र में ऐसे बंदर कोई ढ़ाई लाख वर्षों से रहते आ रहे हैं । प्राचीन काल में ऐसे बंदरों की संख्या अधिक थी , लेकिन आज केवल सात सौ बाकी रही है और वे सभी चीन के क्वांगशी ज्वांग स्वायत्त प्रदेश के इस पहाड़ी क्षेत्र में जीवित हैं । सफेद सिर वाला बंदर विलुप्त होने वाला जंगली पशु है , जो पैंडा से भी अधिक मूल्यवान माना जाता है ।

कुछ समय पूर्व हमारे संवाददाता ने छूंग-च्वो स्थित सफेद सिर वाले बंदर संरक्षण क्षेत्र का दौरा किया । 24 वर्ग किलोमीटर विशाल इस पार्क में कुल चार सौ बंदर रहते हैं , जो बंदरों का सब से बड़ा समूह है । संवाददाता ने देखा कि पहाड़ों के शिखर पर सफेद सिर वाले बंदर प्रसन्नता से नाच रहे हैं , और जब आदमी नज़दीक जाता है , तब भी उन्हें डर नहीं लगता । स्थानीय लोगों ने कहा कि आदमी बंदरों को दोस्त समझते हैं और मनुष्य और बंदरों के बहुत अच्छे संबंध हैं । गांववासी श्याओ वांग ने हमारे संवाददाता को बताया , हम सब जानते हैं कि सफेद सिर वाले बंदर बहुत कम हैं , विश्व में सिर्फ हमारे यहां जीवित हैं , इसलिए हम इन का जोर शोर से संरक्षण करते हैं ।

श्याओ वांग चीन की अल्पसंख्यक जाति --- म्याओ जाति है । म्याओ जाति का आचार है कि जब अतिथि आए , तब तो मालिक अपने मकान के दरवाज़े पर अतिथि के सम्मान में उसे शराब पिलाएगा। हमारा संवाददाता भी म्याओ जाति के इस आचार से इन्कार नहीं कर सका । अतिथि बन कर उसने म्याओ जाति के मालिक के घर में बैठकर सफेद सिर वाले बंदर की रोचक कहानी सुनी ।

बहुत पहले क्वांगशी के छूंग-च्वो पहाड़ों में एक गांव था । पर गरीब होने की वजह से गांववासी भूख से परेशान रहते थे । गांव के बुजुर्ग एक के बाद एक स्वर्ग सिधार गये थे । एक दिन गांव के लोग सिर पर सफेद कपड़े बांधे मृतकों का अंतिम संस्कार करने गये । वे शवपेटी कंधे पर रखकर पहाड़ पर चढ़े । बुजुर्ग को ज़मीन में गाड़ने के बाद कुछ लड़कों ने देखा कि पहाड़ों के पेड़ों पर बहुत से फल लगे थे । वे खुशी से फल खाने लगे और फल खाकर खेलने लगे। लड़कों ने अपने मां-बाप से कहा कि यहां इतने फल हैं , हम वापस नहीं जाएंगे । लोगों ने लड़कों को बार-बार समझाया , पर उन्हों ने वापस जाने से इन्कार दिया । कुछ दिन बाद जब लोग पहाड़ पर उन लड़कों को देखने गये , तब उन्हें वहां कोई लड़का दिखाई नहीं पड़ा , पहाड़ के पेड़ों पर अनेक सफेद सिर वाले बंदर खुशी से खेलते दिखाई पड़े ।

पेइचिंग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर फान वन शी ने दस साल पहले छूंग-च्वो क्षेत्र में सफेद सिर वाले बंदरों पर अनुसंधान शुरू किया । उन्हों ने संवाददाता को बताया कि सन 1990 में छूंग-च्वो क्षेत्र में लगभग दो हजार सफेद सिर वाले बंदर जीवित बचे थे । लेकिन वातावरण परिवर्तन से इस मूल्यवान पशु की स्थिति बिगड़ रही है। वर्ष 1996 तक सफेद सिर वाले बंदरों की संख्या सौ से कम रह गयी थी । इस के मुख्य कारण हैं कि मानव के उत्पादन के विस्तार से बंदरों के रहने की जगहें बहुत कम हो गई हैं, और गैर-कानूनी शिकार करने से भी बंदरों को गंभीर खतरा पैदा हुआ है ।

प्रोफेसर फान वन शी ने बताया , गैर-कानूनी शिकार और मानव के उत्पादन को रोकने से सफेद सिर वाले बंदरों की बहाली की जा सकेगी । क्योंकि ये पशु स्वस्थ हैं , काफी जगह और समय देने से उन की संख्या जल्दी बढ़ सकेगी । प्रोफेसर फान ने कहा कि सफेद सिर वाले बंदरों का जीवन नियमित है । रोज़ वे दिन में पहाड़ पर खाद्य पदार्थों की तलाश करने जाते हैं , दोपहर के समय पेड़ों पर आराम करते हैं , और रात को पहाड़ों में अपनी कंदराओं में सो जाते हैं । प्रोफेसर फान ने कहा कि ये बंदर बहुत प्यारे हैं , इन की संख्या बहाल करने की कोशिश करने योग्य है , पर इसमें सब से महत्वपूर्ण है कि बंदरों को रहने की जगहें वापस की जानी चाहियें ।

सफेद बंदरों की रहने की जगहों की बहाली के लिए स्थानीय सरकार ने भी कोशिश की है । छूंग-च्वो शहर के पर्यटन ब्यूरो में कार्यरत श्री वेइ सिन ने कहा , वातावरण के सरंक्षण के लिए सरकार ने किसानों को गोबर-गैस प्लांट के निर्माण में मदद दी है , इस तरह उन्हें पहाड़ों में लकड़ी काटने की ज़रूरत नहीं है । एक गोबर गैस प्लांट के निर्माण में लगभग दो हजार य्वान चाहिए , सरकार इस का मूल भाग देती है और तकनीकी सहायता भी देती है । आजकल किसानों के रसोई घर में आम तौर पर खुद उत्पादित गोबर गैस का प्रयोग किया जाता है । साथ ही सरकार किसानों को उत्पादन में मार्गनिर्देशन भी कर रही है , ताकि वातावरण का यथासंभव संरक्षण किया जा सके ।

सन 1990 के दशक में सरकार ने पहाड़ों पर खेतीबाड़ी बन्द की , पहाड़ पर लकड़ी काटने की भी मनाही की गयी । किसानों को आर्थिक उपज़ का विकास करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। सरकार की मदद से किसान ज़मीन पर खेती करने लगे हैं, पहाड़ों में सफेद सिर वाले बंदरों की जगह लेने की ज़रूरत नहीं है । वातावरण के अच्छा बनने के साथ-साथ सफेद सिर वाले बंदरों की संख्या सात सौ तक बढ़ी है । आज सभी किसानों को वातावरण संरक्षण के विचार का एहसास है ।

किसान चाओ ने बताया कि आज हम पहाड़ों में लकड़ी काटने नहीं जाते हैं । क्योंकि हमें पारिस्थितिकी का संरक्षण करना है , ताकि सफेद सिर वाले बंदरों का अच्छा वातावरण सुरक्षित रहे ।

वर्ष 2002 में छूंग-च्वो सफेद सिर वाला बंदर पार्क स्थापित किया गया । पर पार्क खोलने से बंदरों को खतरा है कि नहीं ? इस सवाल का जवाब देते हुए प्रोफेसर फान ने कहा कि पार्क खोलने और पर्यटन का विकास करने से गांववासियों को अधिक रोज़गार के मौके मिलेंगे , किसानों के जीवन का सुधार होने से वातावरण संरक्षण के लिए भी अच्छा है ।

वातावरण संरक्षण करने में मानवीय जीवन का सुधार भी किया जाएगा । पर्यटन के विकास से इस के लिए नया मौका तैयार होता है । क्योंकि पर्यटन के विकास में स्थानीय लोगों के जीवन का सुधार किया जाएगा , इससे वातावरण के संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा । बेशक ऐसे क्षेत्र में पर्यटन का सुनियोजित तौर पर विकास किया जाना चाहिये , ताकि पारिस्थितिकी का अनवरत विकास किया जा सके ।

इसी ज्ञान प्रतियोगिता में पहले की ही तरह आप को प्रश्नावरी भेजी जाएगी । आप के प्रश्नावरी में सवाल का जवाब देने का खूब स्वागत है । सुनिये इधर ज्ञान प्रतियोगिता के तहत एक प्रश्न , आज तक चीन में कुल कितने सफेद सिर वाले बंदर हैं ? लीजिये नीचे का कार्यक्रम ध्यान से सुनिये और प्रश्न का उत्तर जरूर पाएंगे ।