2008-05-28 16:50:13

क्वांगशी ज्वांग स्वायत्त प्रदेश के सीमांत क्षेत्रों में कुछ मनोहर स्थलों का दौरा

दक्षिणी चीन स्थित क्वांगशी ज्वांग स्वायत्त प्रदेश,वियतनाम से जुड़ा विशाल ईलाका है , जहां के अपनी विशेषता वाले सांस्कृतिक और भौगोलिक दृश्य हैं । आज के इस कार्यक्रम में हम आप के सामने क्वांगशी ज्वांग स्वायत्त प्रदेश के बारे में सी आर आई की सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का एक आलेख प्रस्तुत कर रहे हैं । कार्यक्रम में हम आप के साथ-साथ क्वांगशी ज्वांग स्वायत्त प्रदेश के सीमांत क्षेत्रों में कुछ मनोहर स्थलों का दौरा करेंगे ।

सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में आप के भाग लेने का हार्दिक स्वागत है और प्रश्नावली भी आप को भेजने की राह पर है । कार्यक्रम से पहले कृपया सुनें इस लेख से संबंधित एक प्रश्नः यानी , क्वांगशी ज्वांग स्वायत्त प्रदेश में ज्वांग जाति के परंपरागत वाद्य-यंत्र का क्या नाम है ?

क्वांगशी ज्वांग स्वायत्त प्रदेश की राजधानी नान-नींग से मोटर गाड़ी से डेढ़ घंटे का रास्ता तयकर चीन और वियतनाम की सीमा पर स्थित नींग-मिंग कांऊटी पहुंचा जा सकता है । इस कांऊटी में सब से मशहूर तीर्थस्थल च्वोच्यांग नदी के तट पर खड़े पहाड़ों पर प्राचीन काल के भित्ति-चित्र हैं, जो दो हजार वर्ष पुराने माने जाते हैं । पर्यटक जहाज़ पर सवार होकर इन भित्ति-चित्रों का दर्शन कर सकते हैं । ये भित्ति-चित्र मानव , पशु , और अजीब रेखाओं से उत्कीर्ण हैं । उन में सब से बड़ा चित्र दो सौ मीटर लम्बा और चालीस मीटर चौड़ा है । यह चर्चाजनक है कि भिति-चित्रों में वर्णित सभी आदमी नर्तकों के आकार में दिखाई देते हैं । प्राचीन काल में ज्वांग जाति के पूर्वजों ने इतने ऊंचे पहाड़ों पर कैसे और क्यों ये चित्रित किये थे ? और भित्ति-चित्रों में प्रयुक्त रंग क्यों आज तक नहीं उड़े ? पुरातत्व-वैज्ञानिक इन सभी पहेलियों को आज तक भी हल नहीं कर सके ।

च्वोच्यांग नदी पर जहाज़ से आगे चलते पर्यटकों के कानों में ज्वांग जातीय लड़कियों के मनोहर लोक-गीत सुनाई पड़ते हैं । लड़कियों के हाथों में थिएन-छीन नामक वाद्य यंत्र दिखाई पड़ते हैं , जो सितार की तरह के हैं । थिएन-छीन सितार प्राचीन काल से आज तक प्रचलित है । सुना है कि पहले ज्वांग जाति के अभिचारक ने आकाश की पूजा करते समय थिएन-छीन सितार का प्रयोग किया था । पर आज यह लोकप्रिय वाद्य यंत्र है ।

अभी आप ने जो सुना , वह है थिएन-छीन सितार पर बजाया गया एक संगीत , सुन्दर क्वांगशी । नींग-मिंग कांऊटी से पश्चिम की ओर एक घंटे के रास्ते के बाद चीन-वियतनाम सीमा पर स्थित पींग-श्यांग नगर है , यहां भी एक दर्शनीय स्थल है चीन और वियतनाम की सीमा पर खड़ा मैत्री गेट । मैत्री गेट चीन के शानहाईक्वान , च्यायूक्वान और जूरूंक्वान जैसे मशहूर सीमांत दरवाज़ों के बराबर है , जो प्राचीन काल में विदेशों से जुड़े द्वार की भूमिका अदा करता था , लेकिन दूसरे महान द्वार आज पर्यटकों के लिए आकर्षण के तीर्थस्थल बने हैं, मैत्री गेट का आज तक भी प्रयोग किया जाता है। चीन और वियतनाम के बहुत लोग इस दरवाज़े से आते-जाते हैं । हमारे संवाददाता ने मैत्री गेट पर बहुत से वियतनामी दोस्त देखे , जो अध्ययन या सौदा करने के बाद चीन से स्वदेश जा रहे हैं । उन के साथ कस्टम का कामकाज़ करने वाले ली हाई श्या ने कहा ,

ये यात्री हमारी कंपनी की गाड़ी से स्वदेश लौटे हैं । आजकल बहुत से वियतनामी लोग मैत्री गेट से चीन के शेनचेन और तुंगक्वान जैसी जगह जाते हैं । हम उन के लिए कस्टम का कामकाज़ करने के जिम्मेदार हैं ।

मैत्री गेट के दोनों ओर ऊंचे-ऊंचे पहाड़ हैं , जो युद्ध की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं । युद्ध काल में चीनी जनता और वियतनामी जनता ने मैत्री गेट के आसपास हाथ में हाथ मिलाकर साम्राज्यवाद का सामना किया था और दोनों देशों की जनता के बीच गहरी मैत्री कायम हुई थी ।

मैत्री गेट से पश्चिम की ओर चलते हुए चीन-वियतनाम सीमा पर स्थित दूसरा नगर डा-सिन है। डा-सिन नगर में भी दो मशहूर तीर्थस्थल हैं यानी मिंग-शी फार्म और ड-थिएन जलप्रपात । मिंग-शी फार्म में पर्यटक हरियाली से ढ़की छवियों का मजा ले सकते हैं । बांसों से बने जहाज़ पर सवार होकर नदी के दोनों तटों पर फैली खेती और जंगल के मनोरम वातावरण का लुत्फ उठा सकते हैं । थाइवान से आयी पर्यटक सुश्री रो त्साई छींग ने कहा ,

यहां बहुत सुन्दर है , मैं ने इतने सुन्दर पहाड़ कभी नहीं देखे हैं ।

ड-थिएन जलप्रपात के दृश्य भी सुन्दर हैं । वह चीन और वियतनाम के बीच बहती सीमांत नदी क्वेइ-च्वन नदी के ऊपरी भाग में स्थित है । अस्सी मीटर विशाल ड-थिएन जलप्रपात सौ मीटर की ऊंचाई से गिरता है , जो विश्व में दोनों देशों की सीमा पर स्थित दूसरा बड़ा जलप्रपात माना जाता है । बहुत दूरी से इस के गिरने की, गूंजने की आवाज़ सुनी जा सकती है ।

ड-थिएन और मिंग-शी मानव का स्वर्ग कहलाता है , यहां के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी खेती और मछुआगिरी करते आए हैं । पर्यटक सुहावने मौसम और मनोहर दृश्यों से घिरे इस स्थल की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हैं। थाइवानी पर्यटक सुश्री लीन यूंग चेन ने कहा ,

यह सर्वविदित है कि यहां बहुत दर्शनीय स्थल हैं । पर खेद की बात है कि आजकल बरसात कम है , जलप्रपात का पानी काफी नहीं है , वर्षा के समय यह और सुन्दर लगेगा । सुश्री लीन यूंग चेन ने कहा कि ड-थिएन और मिंग-शी बड़े शहरों से दूर सीमांत क्षेत्रों में स्थित हैं , यही कारण है इन का आकर्षण अधिक है । सुन्दर प्रकृति मानव का मूल्यवान संसाधन है , हमें इन का हर प्रकार संरक्षण करना चाहिये।

सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का यह कार्यक्रम समाप्त होने को है । अब आप प्रतियोगिता का सवाल दुबारा सुनिये , यानी , क्वांगशी ज्वांग स्वायत्त प्रदेश में ज्वांग जाति के परंपरागत वाद्य-यंत्र का क्या नाम है ? आज का यह कार्यक्रम समाप्त होता है । (श्याओयांग)