समीक्षा में कहा गया है कि सछ्वान प्रांत के वन छ्वान में आये भूकम्प का उद्गम स्थल सछ्वान प्रांत के आपा तिब्बत व छांग जातीय स्वशासित प्रिफेक्चर में ही है और यहां की 55 प्रतिशत की आबादी तिब्बती जाति की है । यहां पर भूकम्प आने के बाद चीन सरकार ने तुरंत ही विभिन्न जातियों को गोलबंद कर राहत कार्य शुरू किया , अधिक बड़ी हद तक की पारदर्शिता दिखाकर संकट सूचनाएं जारी कीं और राष्ट्रीय शोक दिवस के जरिये भूकम्प में मरने वालों के प्रति शोक व्यक्त किया , जिस से स्पष्टतः साबित कर दिखाय़ा गया है कि चीन सरकार मानवाधिका का सम्मान करती है । भूकम्प ग्रस्त क्षेत्रों में तिब्बत , छांग और हान जैसी विभिन्न जातियों की जनता एकजुट होकर राहत बचाव कार्य में जुट गयी , जिस से चीनी मानवाधिकार कार्य में प्रगति सजीव रूप से अभिव्यक्त की गयी है । जबकि इसी दौरान दलाई ने युरोपीय देशों में बहुत गैर जिम्मेदाराना बयान दिये हैं ।
समीक्षा में कहा गया है कि इसी घड़ी पर दलाई को मातृभूमि को विभाजित करने की गतिविधि को बंद कर केंद्र सरकार के साथ होने वाले सम्पर्क व सलाह मशविरे के लिये अनुकूत स्थिति तैयार करनी चाहिये थी । पर नाना प्रकार के तथ्यों ने साबित किया है कि दलाई ने आज तक भी विभाजनकारी गतिविधि बंद नहीं की , तथाकथित मानवाधिकार केवल विभाजनकारी गतिविधि करने की उन की एक आड़ मात्र ही रह गया है ।