2008-05-21 16:08:38

भूकंप विपत्ति में फंसे लोगों को बचाने का सेना का अभियान

12 मई को चीन के सछ्वान प्रांत में रिक्टर पैमाने की आठ दशमल्व शून्य तीव्रता का भयंकर भूकंप आया , जिस से भूकंप ग्रस्त क्षेत्रों में बेशुमार मकान ढह गए और अनगिनत लोग खंडहरों के नीचे दब पड़े । भूकंप ग्रस्त इन लोगों को बचाना मौजूदा भूकंप मुकाबला कार्य का सर्वप्रथम काम बन गया । इस काम में चीनी जन मुक्ति सेना , चीनी सशस्त्र पुलिस बल और दमकल बल के अफसरों और जवानों ने असाधारण भूमिका अदा की है ।

14 मई को पचास से ज्यादा घंटों के अथक प्रयास के बाद चीनी सेना के जवानों ने खंडहरों में से 20 से अधिक जीवित लोगों को निकाल कर बचाने में सफलता पायी , बड़ी खुशी के मारे जवानों और घटनास्थल पर उपस्थित सभी लोगों के मुंह से अनायास हर्षोल्लास की आवाज निकली । इस प्रकार के हर्षोलास की ध्वनि आज तक भूकंप ग्रस्त क्षेत्रों में अनेकों बार गूंज उठी थी । इस के दौरान सैन्य जवानों ने कुल 33 हजार 4 सौ 34 जीवित लोगों को खंडहरों से निकाल कर बचाया है ।

14 मई को भूकंप से सब से बुरी तरह ग्रस्त छ्वानपै शहर में छङछिंग शहर से आए अग्निशमन दल के जवानों ने स्थानीय दमकल जवानों के साथ मिल कर एक मीडिल स्कूल में ढह गए मकानों के मलबों में से जीवित छात्रों की तलाश की औ र शिक्षा इमारत के ढह हुए 52 घंटों के बाद खंडहर में दबी एक छात्रा का पता लगाया । उसे सांत्वना देते हुए बचाव में जुटे जवान ने बाहर से पुकाराः

छोटी बहन , बोलना मत , अपनी शक्ति को बनाए रखो , हम द्वारा तुम को बचाने का इंतजार करो , हम जरूर तुम को बाहर निकाल लेंगे।

क्रेन से गिरी हुई मकान की धरनों को उठा कर हटाये जाने के बाद जवानों को डर है कि कहीं बड़ी मशीन से मलबा हटाने के दौरान अन्य मलबा फिर से गिर न जाए , तो उन्हों ने अपने हाथों और छोटे आजार से मलबा हटाना शुरू किया । अंत में चु होंगमै नाम की 13 साल की एक छात्रा को बाहर निकालने में सफलता मिली और उसे तुरंत शारीरिक जांच उपचार के लिए अस्थाई मेडिकल स्टेशन में पहुंचाया गया ।

जांच के बाद डाक्टर ने बताया कि चु होंमै के दाहिने पैर की हड्डी टूट गयी है , लेकिन शरीर के शेष अंग ठीक है । डाक्टरों ने तुरंत उस का उपचार किया । पलंग पर लेटी चु होंगमै ने सैन्य जवानों को बताया कि जहां वह दबी हुई थी , उस के पास अन्य छात्र भी गिरे हुए मकान में दबाए गए हैं । इन छात्रों को बचाने के लिए जवान फटाफट काम में जुट गए ।

अन्तरराष्ट्रीय मान्यता के अनुसार भूकंप के बाद 72 घंटों के समय जीवितों को बचाने की जरूरी अवधि है । किन्तु सछ्वान के इस भूकंप में 72 घंटों के बाद भी जवानों ने बहुत से जीवितों को बचाया , यहां तक 100 घंटों के बाद भी कुछ जीवितों को बचाने में सफलता मिली है । तुचांगयान शहर के नागरिक चांग शाओफिन खंडहर के नीचे 128 घंटों तक दब पड़ने के बाद जीवित बचाया गया ।

भूकंप के समय चांग शाओफिंग अपने घर में ढह गए मकान के नीचे दब पड़ा था । 17 मई की सुबह नौ बजे , जवानों ने उस का पता लगाया , उस समय उस की सांस चल रही थी , पर खंडहर के नीचे 116 घंटे दब गया और वह बहुत कमजोर पड़ गया। छङछिंग शहर से आए जवानों ने बड़ी सावधानी से उस के शरीर पर पड़े मलबों को हटाया और पास खड़े डाक्टरों ने भी उसे बचाने की तैयारी की । एक डाक्टर ने संवाददाता को बतायाः

हम स्ट्रेचर , ओक्सीजन और ऐंबुलेस में जरूरी आपात बचाव मशीन लाए हैं । अभी अभी हम ने उसे औक्सीजन पिलाया है । इतने ज्यादा दिन के बाद भी वह सांस ले रहा है , तो लगता है कि उस की जख्म होने की हालत बहुत गंभीर नहीं है ।

दो घंटे बाद चांग शाओफिंग का ऊपरी आधा शरीर बाहर निकाला गया , पर निचला आधा अंग मजबूती से खंडहर में दबा हुआ था । उस की टांगों को सुरक्षित बाहर निकाला जाए , बचाव में लगे जवानों ने काफी कोशिश की । बचाव में लगे छङछिंग अग्निशमन टुकड़ी के कमांडर मेयर जनरल वांग छिंगलिन ने कहाः

अब भूकंप विपत्ति से जीवित लोगों को बचाने का काम नाजुक घड़ी में आया है , आशा की एक किरण मौजूद होने पर भी हम सौ गुना प्रयास करना चाहिए और जब तक खंडहर में दबे लोग जीवित हो , तो हमारे जवान उसे बचाने का अंतिम प्रयत्न नहीं छोड़ेंगे ।

17 मई की रात तक बचाव काम जारी रहा , लेकिन चांग को बचाने का काम इतना कठिन था कि उपस्थित डाक्टरों और जवानों ने सलाह मशविरा करके यह फैसला किया कि उसे जीवित बचाने के लिए उस की टांग चीर कर हटाने का उपाय अपनाना होगा । दो घंटा भी गुजरा , रात के 23 बजे पर खंडहर के नीचे 128 घंटों तक दबे पड़ने के बाद चांग शाओफिंग बाहर निकाल कर सफलतापूर्वक बचाया गया ।

भूकंप आने के बाद बीते इन दिनों में चीनी सेना और सशस्त्र पुलिस बल और दमकल टुकड़ी के अफसरों और जवानों ने इस तरह अपनी जान को हथेली पर रख कर अथक प्रयासों से हजारों भूकंप पीड़ितों को खंडहरों से बचाया है । यदि सेना के जवान नहीं होते , तो भूकंप से इतने ज्यादा लोग जीवित नहीं बचाये जा सकते। भूकंप पीड़ितों और शरणार्थियों तथा सभी चीनियों ने एक स्वर में इन जवानों की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे हमारे सर्वाधिक प्रिय लोग हैं ।

दोस्तो , सछवान प्रांत में आये भयंकर भूकंप की विपत्ति में कुछ विदेशी लोग भी फंस पड़े । उन्हें बचाने और बाहर सुरक्षित जगह में ले जाने में चीनी सेना और पुलिस ने भी कर्तव्य निभाया है। सछ्वान प्रांत के वोलुंग पांडा संरक्षण क्षेत्र में दो ब्रिटिश महिलाएं भी भूकंप से ग्रस्त पहाड़ में फंस पड़ी । तीन दिन बाद चीनी सेना ने उन्हें अन्य पर्यटकों के साथ सफल बचाया ।

पेनेलॉप एडवार्ड और जुडी वोंग ब्रिटेन के उत्तरी वालेस से आयी है । 12 मई की सुबह वे दोनों वोलुंग पांडा संरक्षण क्षेत्र में सैर के लिए पहुंची , दुर्भाग्य से उसी दिन दोपहरबाद वहां भारी भूकंप आया और दोनों वहीं फंस पड़ी । उस वक्त की याद में एडवार्ड ने कहाः

जबरदस्त भूकंप के झटके कोई एक घंटे तक जारी रहे , हम ने देखा कि चारों ओर सभी पेड़ हिल रहे हैं और धूल उड़ रहे हैं ।

भूकंप के समय एडवार्ड और जुडी होंग दोनों पांडा निवास के पास थी , भूकंप के बाद वहां से निकलने का रास्ता विशाल पत्थरों से अवरूद्ध हो गया और पांडा पालन क्षेत्र के कर्मचारियों की मदद से वे और अन्य पर्यटक सीढियों की सहायता से पत्थरों के ढेर को लांघ कर बाहर निकले ।

वे दोनों अन्य पर्यटकों के साथ पर्यटन बस से होटल लौटी , लेकिन हर जगह के रास्ते बर्बाद हो गए और निवासियों के मकान ढह गए और बाहर के साथ दूर संचार का संपर्क भी कट गया . इस तरह वे घने पहाड़ में फंस पड़ी ।

किन्तु ज्यादा समय नहीं गुजरा था कि चीनी सेना और पुलिस ने बचाव का काम शुरू किया । इस की चर्चा में सुश्री जुडी होंग ने कहाः जब हम पहाड़ में अवरूद्ध हुए थे , उस के निकट तैनात सेना और पुलिस ने हमें बड़ी मदद दी थी । उन्हों ने चावल लाया , उस वक्त उन के पास खाने की चीजें भी बहुत कम रह गयी थीं । उन्हों ने तंबू बनाने और लगाने में भी सहायता दी थी । डर के मारे सभी पर्यटक रात को बस में बिताया।

तीन दिन बाद यानी 15 मई को सेना की हैलिकोप्टर आ पहुंची , उन्हों ने कल्पना भी नहीं की थी कि सेना ने पर्यटकों को निकालने के लिए हैलिकोप्टर भेजी है , क्यों कि भूकंप से बेशुमार लोग मारे गए और घायलों की संख्या और ज्यादा है , उन्हें बचाने के लिए विमान की आपात जरूरत है । जब दोनों ब्रिटिश महिलाएं हैलिकोप्टर से सछ्वान की राजधानी छङतु के हवाई अड्डे पर उतरीं , तभी उन्हों ने राहत की सांस ले ली। उन्हों ने कहा कि वे बचाव कार्य में लगे सभी लोगों की बहुत बहुत आभारी हैं।