इधर के दिनों में《तिब्बत का अब और तब》प्रदर्शनी पेइचिंग में आयोजित हो रही है, जिस पर पेइचिंग वासियों का ध्यान केंद्रित हुआ। फिलहाल अमेरिका, कनाडा, चिली, कंबोडिया और गाबोन आदि सौ से ज्यादा देशों के चीन स्थित राजनयिकों ने इस प्रदर्शनी का दौरा भी किया । उन्होंने कहा कि प्रदर्शनी के जरिए उन्हें तिब्बत के इतिहास और वर्तमान की स्थिति के बारे में और स्पष्ट व पूर्ण जानकारी प्राप्त हुई है और जाहिर है कि तिब्बत चीन का एक अभिन्न अंग है ।
15 तारीख के तीसरे पहर, सौ से ज्यादा विदेशी राजनयिकों ने पेइचिंग के केंद्र में स्थित जातीय सांस्कृतिक भवन में《तिब्बत का अब और तब》शीर्षक प्रदर्शनी देखी । उन के आने पर जातीय सांस्कृतिक भवन के दो हॉल तुरंत ही एक छोटा सा"संयुक्त राष्ट्र"बन गया हो । विभिन्न भाषाएं बोलने वाले राजनयिक बड़ी दिलचस्पी के साथ प्रदर्शित वस्तुओं को देखते हैं । दो घंटे के दौरे के दौरान जातीय सांस्कृतिक भवन के गाइड ने विदेशी रायनयिकों को तिब्बत के इतिहास और वर्तमान स्थिति के बारे में विस्तृत रूप से अवगत कराया ।
"अब हम य्वान राजवंश के भाग की प्रदर्शनी देखेंगे । इस्वी 1271 में कुबेल खान ने चीन में य्वान राजवंश की स्थापना की । तिब्बत औपचारिक तौर पर य्वान राजवंश की केंद्र सरकार के तहत एक प्रशासनिक क्षेत्र बन गया ।"
《तिब्बत का अब और तब》शीर्षक प्रदर्शनी अप्रैल माह के अंत से उद्धाटित हुई है। प्रदर्शनी में प्रदर्शित पुरातन ऐतिहासिक सामग्रियों, सांस्कृतिक अवशेषों, चित्रों व तालिकाओं के जरिये तिब्बत के इतिहास, तिब्बत पर केंद्रीय सत्ता के शासन, सन 1959 से पहले मौजूद सामंती भूदास व्यवस्था तथा आज के तिब्बत में प्राप्त प्रगतियों की जानकारियां दी गयी हैं ।
लैटिंग अमरीका के बोलिविया के राजदूत फ़र्नांडो रोद्रिगुज़ ने हमारे संवाददाता के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि इस प्रदर्शनी से उन्होंने स्पष्टतः देख लिया कि तिब्बती जनता का जीवन ज्यादा से ज्यादा अच्छा हो रहा है । उन का कहना है:
"इस प्रदर्शनी में हम ने तिब्बत में प्राप्त उपलब्ध्यां देखी हैं । विशेष कर वहां का जन जीवन स्तर बड़ा उन्नत हुआ है । तिब्बती जनता को बेहतरीन स्वास्थ्य सेवा का उपभोग कर रही है, अच्छी शिक्षा पाती है । तिब्बत के बुनियादी संस्थापनों के निर्माण में भी भारी कामयाबी हासिल हुई, लोगों के आवास की स्थिति सुधर हुई, यातायात और दूर संचार की स्थिति भी उत्तरोत्तर अच्छा हो रही है ।"
प्रदर्शनी देखने के वक्त राजनयिक कभी किसी वस्तु के सामने रूक कर विचार विमर्श कर रहे थे, कभी चित्रों व सांस्कृतिक अवशेषों की जानकारी लेने के लिए गाइड से पूछ रहे थे । उन्होंने इधर के पचास से ज्यादा सालों में तिब्बत में आए भारी परिवर्तन तथा तिब्बती मामला के प्रबंधन के क्षेत्र में चीन सरकार की बुद्धि की प्रसंशा करते हैं ।
चीन स्थित पूर्वी तिमोर के राजदूत श्री ऑलिम्पिऑ ब्रांको का विचार है कि इस प्रदर्शनी ने तिब्बत के सामंजस्य व प्रगति को दिखाया । उन्होंने कहा:
"हम देख सकते हैं कि तिब्बत में बौद्ध मठ, मुस्लिम मस्जिद और कैथोलिक धर्म के चर्च उपलब्ध हैं ,जो वहां सामंजस्यपूर्ण सहअस्तित्व में रहते हैं । स्थानीय सरकार के उच्च स्तरीय प्रबंध कार्यकर्ताओं में से 75 प्रतिशत से ज्यादा लोग तिब्बती जाती के हैं । यह एक भारी प्रगति भी है ।"
चीन स्थित ब्राज़िल के राजदूत लुइस ऑगुस्टो दे कास्द्रो नेवेस का कहना है कि इस प्रदर्शनी को देख कर उन्हें पचास से ज्यादा वर्षों में तिब्बत में आधुनिकीकरण प्रक्रिया की तेज़ गति महसूस हुई । इस ने उन के दिल पर गहरी छाप छोड़ी है। उन्होंने कहा:
"ब्राज़िल सरकार चीन की प्रादेशिक अखंडता को मानती है और तिब्बत को चीन के एक स्वायत्त प्रदेश के रूप में स्वीकार कर लेती है । ब्राज़िर सरकार का पक्का विश्वास है कि चीन की विभिन्न जातियों के लोग, चाहे हान जाति हो या मंगोल जाति, चाहे तिब्बती जाति हो, या वेइवुर जाति, सब अच्छे तरीके से सह जीवन बिता सकती हैं । वे पारस्परिक समझ और एक दूसरे की संस्कृति व धर्म का सम्मान कर सकती हैं ।"
श्री नेवेस ने कहा कि अगर तिब्बत के बारे में संपूर्ण जानकारी लेना चाहते हो, तो खुद वहां का दौरा करना चाहिए ।
कुछ पश्चिमी मीडिया संस्थाओं द्वारा प्रस्तुत तोड़-मरोड़ कर पेश की गयी रिपोर्टों को लेकर चीन स्थित रूआंडा के अस्थाई कार्यदूत श्री देनिस उविमाना ने कहा कि पश्चिमी मीडिया संस्थाओं की रिपोर्टें बहुत पक्षपात होती हैं , जिस से लोग असली तिब्बत नहीं समझ पाते । उन्होंने कहा:
"पहले तिब्बत के इतिहास के प्रति हमारी जानकारी कम थी और आम तौर पर पश्चिमी मीडिया संस्थाओं की पक्षपातपूर्ण रिपोर्टों के जरिए तिब्बत से जुड़ी जानकारी लेते थे । आज मुझे मालूम हुआ कि तिब्बत का इतिहास और वर्तमान की राजनीतिक व्यवस्था की स्थिति उन की रिपोर्टों से बिलकुल अलग है । चीन सरकार ने सड़ी पिछड़ी हुई सामंती भूदास व्यवस्था से तिब्बत को मुक्त कर दिया । इस प्रदर्शनी ने हमें तिब्बत के वर्तमान दृश्य को भी दिखाया । यह एक सुन्दर स्थल है, जिस का विकास अच्छे से अच्छा हो रहा है।"
प्रदर्शनी देखने आए विदेशी राजनयिकों का विचार है कि इतिहास से जाहिर है कि तिब्बत चीन का एक अभिन्न अंग है । तिब्बत मामला चीन का अंदरूनी मामला ही है । अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तिब्बत मामले के निपटारे के चीन सरकार के अधिकार का समादर करना चाहिए और तिब्बत मामले को लेकर चीन पर आलोचना करने का विरोध करना चाहिए।