2008-05-12 15:58:25

विश्व की सब से ऊंची चोटी पर ऑलंपिक मशाल रिले में भाग लेने वाले चीनी पर्वतारोही

 8 मई को पेइचिंग ऑलंपिक मशाल विश्व की सब से ऊंची चोटी चू मू लांग मा पर पहुंची ।यह पहली बार है कि ऑलंपिक मशाल विश्व की सब से ऊंची चोटी पर पहुंची है।9 मई की शाम लगभग सात बजे ऑलंपिक मशाल को चू मू लांगमा पर ले जाने में सफल रही चीनी आरोहण टीम सही सलामत 5200 मीटर ऊंचे स्थान पर स्थित बेस कैंप लौटी । चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के उपाध्यक्ष वू इंग च ,चीनी पर्वतारोहण संघ के अध्यक्ष ली ची शिन और सौ से अधिक संवाददाताओं ने बेस कैंप पर चीनी आरोहण टीम का जोरदार स्वागत किया ।

चीनी टीम के स्दस्यों के चेहरे पर थकान नजर आ रही थी ,पर वे बहुत प्रसन्न थे ।चीनी आरोहण टीम के कप्तान वांग यों फंग चू मू लांग मा पर हुई ऑलंपिक मशाल रिले के दूसरे मशाल धारक थे ।इस असाधारण आरोहण की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इस बात का उन पर गहरा प्रभाव पडा है कि चीनी टीम के सभी सदस्यों में एकता ,पारस्परिक समर्थन व समझ है ।उन्होंने कहा ,चीनी टीम के सभी 36 पर्वतारोहियों में चोटी पर पहुंचने की शक्ति है । लेकिन सभी सदस्य सब से ऊंची चोटी पर नहीं जा सके । इसलिए चोटी पर मशाल रिले में भाग लेने वाले सदस्यों की नामसूची तय करना बहुत कठिन था । चीनी टीम के सदस्य जो सब से ऊंची चोटी पर नहीं गये ,उन्होंने बाकी सहायक कामों को अच्छी तरह पूरा किया और पूरी टीम की सफलता के कारण उन्हें निजी कारण से कोई पछतावा नहीं हुआ ।

39 वर्षीय ची ची चू मू लांग मा पर ऑलंपिक मशाल रिले की प्रथम मशालधारक थीं ।उन के लिए इस पर्वतारोहण का विशेष महत्व था ।वर्ष 2005 में ची ची के पति रन ना चीनी तिब्बती पर्वतारोहण टीम के सदस्य के नाते एक आरोहण कार्रवाई में दुर्घटना का शिकार बन गए और उन की मौत हो गयी ।पति की मौत से ची ची ने अपने पसंदीदा कार्य को नहीं छोडा ।अब वे न सिर्फ चू मू लांग मा पर पवित्र मशाल रिले की प्रथम मशाल धारक बनीं ,बल्कि चीन में तीन बार चू मू लांग मां पर आरोहण करने में सफलता प्राप्त करने वाली प्रथम महिला पर्वतारोही भी बनीं ।ची ची को पर्वतारोहण करने का बीस साल का अनुभव है।लेकिन उन्होंने कहा कि चू मू लांग मा पर ऑलंपिक मशाल रिले की प्रथम मशालधारक बनने के नाते वे नर्वस भी महसूस कर रही थीं।उन्होंने कहा ,मैं प्रथम मशाल धारक थी ,सो बहुत नर्वस थी ।क्योंकि उस दिन बहुत जल्दी मैं चोटी पर पहुंच गई ,मुझे मशाल रिले के लिए 1 घंटे से अधिक समय तक इंतजार करना पडा ।वहां बहुत सर्दी थी ।मेरे हाथ-पांव थोडे सुन्न भी हो गये थे।मेरी चिंता थी कि मशाल मेरे हाथों से गिर न जाए ।

ची ची ने हमारे संवाददाता को बताया कि बाद में वे 8000 मीटर ऊंचे पहाड पर आरोहण नहीं करेंगी ।उन्होंने आरोहण को बहुत समय दिया है ।बाद में वे अधिक समय निकालकर अपनी बेटी के साथ रहेंगी ।लेकिन ची ची का कहना है कि वे पर्वतारोहण जगत से विदा नहीं लेंगी ।

ट्सरेनवांगमो चू मू लांग मा पर ऑलंपिक मशाल रिले के अंतिम मशालधारक थे । उन का छोटा भाई टेन थाइ इस बार टी वी फोटोग्राफर टीम का सदस्य था।वे दोनों साथ-साथ विश्व की सब से ऊंची चोटी पर पहुंचे ।चोटी से 6500 मीटर ऊंचे स्थान पर स्थित कैंप में पहुंचने के बाद दोनों ने जल्दी से टी वी का सीधा प्रसारण देख रही मा को फोन किया ।ट्सरेनवांगमो ने कहा कि फोन मिलते ही उन की मा रो पड़ीं ।उन्होंने कहा ,जब हम ने मा को फोन किया ,तो मा रोने लगीं ।वे बहुत प्रभावित हुईं ।उन्होंने हम से शारीरिक सुरक्षा पर ध्यान देने को कहा ।ज्यादा बात नहीं की ।

इवोर्बुचादू चीनी आरोहण टीम में सब से आकर्षक युवा हैं ।पर्वतारोहण में उन का मुख्य काम ऑलंपिक पवित्र अग्नि की सुरक्षा करना और ऑलंपिक मशाल प्रज्जवलित करना था । यह चौथी बार है कि उन्होंने चू मू लांग मा पर चढने में सफलता पायी ।उन्होंने कहा कि इस बार उन का काम बहुत गौरवपूर्ण व पवित्र है ।ऑलंपिक मशाल प्रज्जवलित करते समय उन को अपार प्रसन्नता हुई ।उन्होंने कहा ,मशाल प्रज्जवलित करते समय मैं बहुत प्रसन्न था ।मशाल रिले के प्रारंभिक स्थान पहुंचकर मैं ने ऑलंपिक पवित्र अग्नि देखी । वह जल रही थी ।उस समय मैं बहुत खुश था ।

पूर्वयोजनानुसार चीनी आरोहण टीम सुबह 10 बजे चोटी पर पहुंचेगी । लेकिन चीनी टीम एक घंटा पहले ही वहां पहुंच गई ।मशाल रिले का काम पूरा करने के बाद चीनी टीम अगले दिन सुरक्षित रूप से बेस कैंप लौटी ।इस बार चीनी टीम की सामूहिक शक्ति व तेज गति अभूतपूर्व थी ।नीमा ट्सरिंग चू मू लांग मा पर हुई मशाल रिले के तीसरे मशालधारक थे ।वे तिब्बती पर्वतारोहण स्कूल के कुलपति भी हैं ।उन के विचार में मौसम का बदलाव पर्वतारोहण में सब से बड़ा दुश्मन है ।इस लिए आधुनिक आरोहण की कुंजी तेज गति है ।उन्होंने कहा ,वर्तमान पर्वतारोह की एक बडी विशेषता है कि तेज गति को प्राथमिकता देना ।इस बार हम 6500 मीटर से प्रस्थान कर सीधे 8300 मीटर ऊंचे स्थान पर पहुंचे ।मशाल रिले पूरा करने के बाद भी हम चोटी से सीधे 6500 मीटर ऊंचे स्थान पर तक आ गये ।इस के बीच हम नहीं रुके ।क्योंकि चू मू लांग मा में मौसम का बदलाव बहुत तेज़ है ।अगर मौसम परिवर्तित हुआ ,तो परेशानी होगी ।

विश्व की सब से ऊंची चोटी चू मू लांग मा पर पेइचिंग ऑलंपिक मशाल रिले सिर्फ 90 सैकेंड तक चली ।लेकिन ये 90 सैकेंड ऑलंपिक के इतिहास में एक मील का पत्थर बन गए हैं । चू मू लांग मा पर पवित्र ऑलंपिक मशाल ले जाने वाली चीनी आरोहण टीम के सभी सदस्यों को वीर कहा जा सकता है ।उन का करिश्मा यादगार रहेगा ।