जापान की यात्रा कर रहे चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ ने 8 मई को तोक्यो में दो विशेष महत्वपूर्ण गतिविधियों में भाग लिया।
गत सदी के पचास वाले दशक में जापानी बेले में कार्यरत दंपति शिनिजो मासाओ और मात्सुयामा मिकिको ने इसी मर्मस्पर्शी कहानी को बेले नृत्य नाट्य का रुपांतर किया । पिछले 50 सालों में इस दंपति द्वारा स्थापित मात्सुयामा बेले मंड़ली ने 12 बार चीन में यह रुपांतरिक बेले नृत्य नाट्य प्रस्तुत किया , इसी बीच स्वर्गीय माओ त्से तुंग , चओ एन लाई , तंग श्याओ फिंग और च्यांग त्से मिन जैसी चीनी तीन पीढ़ियों वाले नेताओं ने उन से भेंट की । पिछली आधी शताब्दी में चीन के साथ कायम उन के बेले मैत्रीपूर्ण रिश्ते ने एक अविस्मरणीय बेले कुटनीतिक एतिहास कलमबंद कर दिया है ।
8 मई की सुबह जापान की यात्रा कर रहे चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ उक्त दंपति को देखने के लिये विशेष तौर मात्सुयामा बेले मंडली गये । बुजुर्ग दंपति शिनिजो मासाओ और मात्सुयामा मिकिको ने अपनी संतानों की सहायता में आदरणीय चीनी मेहमानों की अगवानी की ।
रोशनीदार ट्रेनिंग हाल में जापान की विख्यात बेले कलाकार और शिनिजो मासाओ की बहू मोरिशिता योको के निर्देशन में दसियों अभिनेताओं ने राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ के सम्मान में पीनी नदी का गुणगान प्रस्तुत किया , फिर मोरिशिता योको ने भोवविभोर होकर स्वर्गीय चओ एन लाई की प्रसिद्ध कविता वर्षा में लान पर्वत सुनायी , जिस से तत्स्थल पर मौजूद सभी चीनी आदरणीय मेहमान अत्यंत प्रभावित हुए ।
चीन के प्रति गहरा मैत्री भाव रखने वाले शिनिजो परिवार के सामने श्री हू चिन थाओ ने उत्साहवर्धक भाषण दिया । मात्सुयामा बेले मंडली एक विश्वविख्यात बेले मंडली है , श्री शिनिजो मासाओ लम्बे अर्से से चीन जापान मैत्रीपूर्ण कार्य में संलग्न रहे हैं । पिछले आधी शताब्दी से अधिक समय में आप लोगों ने चीन जापान मैत्रीपूर्ण विश्वास लिये दोनों देशों के सांस्कृतिक आदान प्रदान को बढावा दिया है और दोनों देशों की जनता के बीच समझ और मैत्री के लिये विशेष भूमिका निभाई है । श्री शिनिजो और मात्सुयामा बेले मंडली चीन जापान गैर सरकारी आवाजी का अग्रगामी और दोनों देशों के सांस्कृतिक आदान प्रदान का एक पताका कहने लायक हैं , हार्दिक कामना है कि मात्सुयामा बेले मंडली और अधिक विकसित हो और शिनिजो का संपरिवार व मात्सुयामा बेले मंडली के सभी मित्र सुख चैन रहें ।
चीन जापान मैत्रीपूर्ण आवाजाही के इतिहास में बेले कुटनीति की तरह छोटी गेंदी ने भी अंगिनत अविस्मरणीय कहानियां छोड़ रखी हैं । अप्रैल 1956 में तोक्यो में हुई 23 वीं विश्व टेबिन टेनिस चैम्पियनशीप प्रतियोगिता में चीनी खिलाड़ियों ने प्रथम बार भाग लिया और चीन जापान टेबिल टेनिस आदान प्रदान का पहला कदम उठाया । पिछली शताब्दी के 60 वाले दशक में चीनी खिलाड़ियों ने जापानी खिलाड़ियों से बहुत से समुन्नत कोशल सीखे , तत्कालीन चीनी नेताओं ने बहुत से जापानी टेबिल टेनिस खिलाड़ियों के साथ गहरी दोस्ती बना ली है ।
8 मई को राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ और फुकुदा यासुओ वासेदा विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय आदान प्रदान केंद्र गये । इस केंद्र के हाल में चीनी विश्व टेबिल टेनिस चैम्पिचन रही खिलाड़िन वांग नान और जापान की प्रसिद्ध खिलाड़िन फुकुहारा आई टेबिल टेनिस खेल रही थीं , टेबिन टेनिस आदान प्रदान के जीते जागते दृश्य ने दोनों देशों के नेताओं को एकदम मोहित कर दिया। दोनों खिलाड़िनों के निमंत्रण पर श्री हू चिन थाओ ने प्रसन्नता से उन के साथ टेबिल टेनिस खेला ।
मौके पर श्री हू चिन थाओ ने कहा कि 1984 में चीन यात्रा पर गये तीन हजार सदस्यों वाले जापानी युवा प्रतिनिधि मंडल के सत्कार में भाग लिया और 1985 में उन के नेतृत्व में चीनी युवा प्रतिनिधि मंडल ने जापान की यात्रा की , इधर सालों में उन्हों ने अकसर जापानी युवा प्रतिनिधि मंडलों से भेंट की । पक्का विश्वास है कि दोनों देशों के युवा दोनों देशों के भावी संबंध व आशा का प्रतिनिधित्व करते हैं , आज हम ने जो मैत्रीपूर्ण बीज बोने हैं , वे आइंदे अवश्य ही बड़े चीन जापान मैत्रीपूर्ण पेड़ परवान हो जाएंगे । आशा है कि चीन व जापान दोनों देशों की जनता के बीच पीढ़ी दर पीढ़ी मैत्री बनी रहेगी और चीन जापान रणनीतिक संबंध विकसित हो जाएंगे ।