2008-05-08 17:29:56

श्री हु चिनथाओ ने वासेडाडेगाकु विश्वविद्यालय में अहम भाषण दिया

चीनी राष्ट्राध्यक्ष हु चिनथाओ ने 8 तारीख को जापान के वासेडाडेगाकु विश्वविद्याल में महत्वपूर्ण भाषण देते हुए कहा कि चीन जापान मित्रता दोनों देशों का समान कार्य है , इस के विकास के लिए चीनी और जापानी युवा यौवन से भरी मुख्य शक्ति है और चीन जापान मित्रता का भावी विकास दोनों देशों के युवा पर निर्भर करता है ।

वासेडाडेगाकु विश्वविद्यालय जापान के सुप्रसिद्ध निजी विश्वविद्यालयों में से एक है , जो 1882 में स्थापित हुआ था और जिस ने सब से पहले चीनी छात्रों को दाखिला किया है । 8 तारीख को जापान की यात्रा कर रहे चीनी राष्ट्राध्यक्ष हु चिनथाओ ने छात्रों की जोशीली तालियों के बीच भाषण दिया । अपने भाषण में उन्हों ने कहाः

चीन और जापान निकटस्थ पड़ोसी देश हैं और नयी ऐतिहासिक शुरूआत पर खड़े दोनों देशों के सामने विकास के नए मौके मौजूद हैं । चीन सरकार और चीनी जनता आशा करती है कि वे जापानी सरकार व जनता के साथ मिल कर आपसी विश्वास और मैत्री बढ़ाएगी , सहयोग को गहरा करेगी , भविष्य का विकास करेगी और परस्पर लाभ वाले रणनीतिक संबंधों के विकास के लिए नयी स्थिति तैयार करेगी।

श्री हु चिनथाओ ने कहा कि चीन एक लम्बा इतिहास वाला देश है और एक भारी परिवर्तनशील देश भी है । 5000 सालों के लम्बे इतिहास में चीनी राष्ट्र ने शानदार सभ्यता विकसित की है , मानव जाति की सभ्य प्रगति के लिए बड़ा योगदान किया है , साथ ही उसे कठिन रास्ते से भी गुजरना पड़ा है।

चीन के सुधार व खुलेपन के पिछले तीस सालों की प्रक्रिया और प्राप्त भारी उपलब्धियों की चर्चा में श्री हु ने कहा कि पिछले तीस सालों में चीन का तेज विकास सुधार व खुलेपन पर निर्भर है और चीन का भावी विकास भी सुधार व खुलेपन पर निर्भर करेगा । सुधार और खुलेपन वर्तमान चीन के भाग्य को निश्चित करने वाला कुंजीभूत विकल्प है और 1 अरब 30 करोड़ चीनी जनता का समान विकल्प भी है ।

श्री हु चिनथाओ ने बताया कि चीन अडिग रूप से शांतिपूर्ण विकास के रास्ते पर कायम रहेगा , यह चीनी सरकार व जनता का रणनीतिक विकल्प है । उन्हों ने कहाः

चीन अटल रूप से स्वतंत्रता और शांति की विदेश नीति पर कायम रहेगा , अडिग रूप से आपसी लाभ व विजय वाली खुली रणनीति अपनाता रहेगा , अन्तरराष्ट्रीय संबंधों के लोकतांत्रिकीकरण , आर्थिक भूमंडलीकरण को संतुलित , व्यापक लाभ सुलभ तथा साझी सफलता के विकास की दिशा में बढ़ा देगा ,मानवीय सभ्यातों के आदान प्रदान को बढ़ावा देगा , विश्व के सभी देशों के साथ विकास के मौकों का समान उपभोग करेगा , जोखिमों व चुनौतियों का सामना करते हुए स्थाई शांति व समान समृद्धि वाली सामंजस्यपूर्ण दुनिया के निर्माण को गति देगा । चीन प्रतिरक्षा की राष्ट्रीय रक्षा नीति लागू करेगा , सैन्य होड़ नहीं करेगा , किसी भी देश के खिलाफ सैनिक खतरा नहीं बनेगा और कभी भी प्रभुत्व और विस्तार के लिए कोशिश नहीं करेगा ।

दो हजार सालों के चीन जापान मैत्री इतिहास की चर्चा करते हुए श्री हु चिनथाओ ने कहा कि दोनों देशों की जनता को एक दूसरे से सीखना चाहिए , परस्पर आदान प्रदान कर अपने अपने देश की प्रगति बढ़ाना चाहिए। अर्वाचीन युग में जापानी सैन्यावाद ने चीन पर आक्रमण किया था , जिस से दोनों देशों के संबंध को गंभीर नुकसान पहुंचा था । इस दुखांत इतिहास से चीनी राष्ट्र को भारी आफत लगी , साथ ही जापानी जनता को भी गहरा नुकसान पहुंची । श्री हु चिनथाओ ने कहाः

इतिहास बहुत अच्छा दार्शनिक पाठ्यपुस्तक है। हम इतिहास की याद पर जोर देते हैं , इस का अर्थ यह नहीं है कि नफरत की याद की जाए, इस का मकसद है कि ऐतिहासिक सबक लेते हुए भविष्य के उन्मुख शांति को मूल्यवान समझ जाएगा और उस की रक्षा की जाएगी , चीनी और जापानी जनता पीढी दर पीढी मित्र बनेगी और सभी देशों की जनता को भी शांति का उपभोग करने देगी ।

श्री हु चिनथाओ ने कहा कि चीन जापान मित्रता दोनों देशों की जनता का समाय मिशन है , इस के लिए दोनों को अथक कोशिश करना चाहिए । उन्हों ने युवा पीढी से इस मित्रता के लिए योगदान करने की अपील की ।

दोनों देशों के युवा चीन जापान मित्रता की भावी मुख्य शक्ति है और चीन जापान मैत्री के भविष्य का विकास आप लोगों पर निर्भर करेगा। मुझे अनुभव हुआ है कि युवाओं में जो मैत्री का बीज बोया है , वह हमारे साथ हमेशा रहेगा । आइये , हम एक साथ प्रयास करें और चीन जापान मैत्री के बीज व्यापक रूप से बोएं और इस मैत्री का झंडा पीढि से पीढ़ी फहराने दें ।