2008-05-08 12:55:32

आँलम्पिक मशाल चुम्लांगमा चोटी पर पहुंचाने में सफल

पेइचिंग के स्थानीय समय के अनुसार 8 मई की सुबह पेइचिंग आँलम्पिक मशाल दुनिया की सब से ऊंची चोटी चुम्लांगमा पर सफतापूर्वक पहुंचाया गया है , यह आलम्पिक के इतिहास में मशाल पहली बार समुद्र की सतह से 8844.43 मीटर की ऊंचाई पर पहुंच गया है । 

पेइचिंग के स्थानीय समय के अनुसार 8 मई की सुबह नौ बजकर 18 मीनट पर जब अतिम मशालधारक सुश्री त्सरिनवांगमो ने चुम्लांगमा चीटी पर मंगलमय बादल नामक मशाल अपने सिर के ऊपर उठाया , तो चुम्लांगमा चोटी की छावनी में प्रतीक्षा कर रहे लोगों ने हर्षोल्लासपूर्ण रूप से जयजयकार किया और सारी छावनी में जोशीली तालियों की आवाज गुंज उठी । अंतर्राष्ट्रीय आलम्पिक कमेटी के पांच कड़ियों वाला झंडा , चीनी राष्ट्रीय ध्वज और पेइचिचंग आलम्पियाड झंडा चुम्लांगमा चोटी पर एकदम शान से फहराये जाने लगे । मशाल धारकों ने चुम्लांगमा चोटी पर खड़े होकर पेइचिंग आलम्पियाड को शुभकानाएं दीं ।

सुबह तीन बजे से चीनी पर्वतारोहण टीम के पर्वतारोहियों ने छै घंटे के कठोर परिश्रम करके आखिरकार आलम्पिक मशाल विश्व की छत पर पहुचा दिया है , इस तरह चीन ने आलम्पिक मशाल चुम्लांगमा चोटी पर ज्वलंत करने का अपना वचन पूरा कर लिया है ।

आलम्पिक मशाल को चुम्लांगमा चीटी पर सफलतापूर्वक पहुंचाये जाने के बाद मौजूदा गतिविधि के जनरल कमांडर व चीनी पर्वतारोहण संघ के अध्यक्ष ली ची शिन ने कहा इस अहम गतिविधि को सफल बनाने के लिये चीनी पर्वरोहियों ने इधर दो सालों में कठोर अभ्यास किया और गत वर्ष में चुम्लांगमा चोटी पर चढ़ने का अभियान भी चलाया । चालू वर्ष में 28 मार्च को चीनी पर्वतारोहण टीम के तमाम पर्वतारोहियों और कोचों ने चुम्लांगमा चीटी छावनी में प्रवेश किया और 22 अप्रैल से पहले छावनी का निर्माण व समन्वित काम पूरा कर लिया ।

चीनी पर्वतारोहण संघ के पूर्व महा सचिव श्री यू ल्यांग फू 19 बार चुम्लांगमा चोटी छावनी में प्रविष्ट हुए , उन्हों ने कहा कि चुम्लांगमा चोटी पर चढने के अतिम 40 मीटर के फासले पर खड़ी सीधी भीमकाय चट्टान लगी हुई है , चोटी से पांच मीटर के फासले पर खड़ी सीधी चट्टानें इतनी अधिक भयंकर हैं कि उन की डिग्री 90 की है , यह चीनी पर्वतारोहियों के लिये एक अत्यंत भारी परीक्षा ही है । यहां की खड़ी सीधी चट्टान की औसत ऊंचाई बहुत है , विशेषकर चोटी से पांच मीटर के फासले पर खड़ी चट्टान 90 डिग्री की है । उस पर चढना बहुत कठिन है । साठ वर्ष से पहले तीन पर्वतारोही मानव सीढियों और सुरक्षित रस्सी के जरिये चुम्लांगमा चोटी पर पहुंचने में सफल हुए थे ।

सौभाग्य की बात है कि इस बार चीनी बहादुर पर्वतारोहियों ने पर्वतारोहण में खड़ी सभी अकल्पनीय मुश्किलों को दूर कर पवित्र मिशन पूरा कर लिया है । इस बार चुम्लांगमा चोटी पर पहुंचने में कुल 12 सफल पर्वतारोहियां तिब्बती , हान और थु जातियों से आये हैं और दो महिलाएं भी हैं । पर्वतारोही एवोरवुचादू चौथी बार चुम्लांगमा चोटी पर चढने में सफल हए हैं । उन्हों ने पहले हमारे संवाददाता से अपना अनुभव बताते हुए कहा चुम्लांगमा चोटी पर खड़ा होकर नीचे से देखा जाये , तो सब के सब साफ साफ नजर आते हैं । ऐसे मौके पर यह लग गया कि मानो खुद आकाश पर उड़ रहा हो ।

चीनी पर्वतारोहण संघ के प्रवक्ता चांग ची च्येन ने कहा हालांकि अंत में चंद पर्वतारोही चोटी चढने में सफल हुए और उन्हों ने चुम्लांगमा चोटी पर आलम्पिक मशाल उठा दिया है , पर हमें फिर भी इस गतिविधि को सफल बनाने में संलग्न अन्य पर्वतारोहियों को नहीं भूलना चाहिये ।

पेइचिंग आलम्पिक मशाल चुम्लांगमा चोटी पर पहुंचाये जाने के बाद ल्हासा शहर में सुरक्षित रखा जायेगा , फिर आगामी जून में ल्हासा में आयोजित मशाल रिले में विलीन हो जायेगा।