2008-05-07 19:08:19

श्री हू चिन थाओ ने जापान के नेताओं के साथ मुलाकात की और चीन जापान आर्थिक संबंध के बारे में भाषण दिया

चीनी राष्ट्राध्यक्ष श्री हू चिन थाओ ने 7 मई को टोक्यो में जापान के राजा अकिहिटो के साथ मुलाकात की और जापान के प्रधानमंत्री श्री फुकुदा यासुओ के साथ बातचीत की। इस के बाद उन्होंने जापान के मुख्य आर्थिक समूहों द्वारा आयोजित दोपहर के भोज में भाग लिया और महत्वपूर्ण भाषण दिया।

राजा अकिहिटो के साथ मुलाकात में श्री हू चिन थाओ ने कहा कि चीन और जापान की जनता के बीच मैत्रिपूर्ण आवाजाही का लम्बा इतिहास है। उन्होंने राजा अकिहिटो द्वारा चीन जापान संबंधों के विकास पर ध्यान देने की प्रशंसा की। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध आगे बढाने का नया मौका आया है। चीन की आशा है कि वह जापान के साथ मिलकर चीन जापान रणनीतिक व पारस्परिक हितकारी संबंध के सर्वांगीण विकास की नई स्थिति को साकार करेगा। राजा अकिहिटो ने जापान चीन संबंधों के सुंदर भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं।

जापान के प्रधानमंत्री श्री फुकुदा यासुओ के साथ बातचीत में श्री हू चिन थाओ ने बलपूर्वक कहा कि चीन जापान संबंध इतिहास की नई शुरुआत पर खड़े हैं, दोनों पक्षों को साथ मिलकर चीन-जापान रणनीतिक व पारस्परिक हितकारी संबंधों के सर्वांगीण विकास की नई स्थिति को विकसित करना चाहिए। उन्होंने चीन जापान संबंध को आगे बढाने के छह सूत्रीय सुझाव पेश किए। श्री फुकुदा यासुओ ने कहा कि जापान और चीन विशेषकर दोनों देशों के नेताओं को द्विपक्षीय संबंध के विकास पर सहमति पाना चाहिए और विश्वास मजबूत करके द्विपक्षीय संबंध के विकास के लिए व्यवहारिक कोशिश करनी चाहिए। जापान की आशा है कि पेइचिंग ऑलंपियाड में सफलता प्राप्त होगी और वह चीन के साथ सहयोग करने को तैयार है।

बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने चीन जापान रणनीतिक व पारस्परिक हितकारी संबंध को सर्वांगीण रूप से आगे बढाने के बारे में संयुक्त वक्तव्य पर हस्ताक्षर किए।

उसी दिन दोपहर को श्री हू चिन थाओ ने जापान के प्रमुख आर्थिक समूहों द्वारा आयोजित दोपहर के भोज में भाग लिया और मौके का लाभ उठा करके समान विकास करना शीर्षक महत्वपूर्ण भाषण दिया। श्री हू चिन थाओ ने कहा कि चीन जापान आर्थिक व व्यापारिक सहयोग निरंतर आगे बढाना दोनों देशों व दोनों देशों की जनता के मूल हितों के अनुरूप है और चीन जापान रणनीतिक व पारस्परिक हितकारी संबंध के विकास के हित में भी है। वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय स्थिति में दोनों देशों के आर्थिक जगतों को सहयोग के क्षेत्रों व उपायों का विस्तार करके दोनों देशों के आर्थिक व व्यापारिक सहयोग को और ऊंचे स्तर पर बढाना चाहिए।

(वनिता)