प्रिय मित्रो , हम जानते ही हैं कि भारत विश्व में सब से बड़ा धार्मिक देश माना जाता है , भारतीय वासी अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी धर्म पर विश्वास करने में स्वतंत्र होते हैं , अतः भारत में विभिन्न रुपों वाले मंदिर पाये जाते हैं और ये नाना प्रकार वाले मंदिर साल भर में देशी विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर खिंच लेते हैं । पर क्या आप जानते हैं कि चीन भी एक धार्मिक देश है , वर्तमान चीन में बौद्ध धर्म , इसलामी धर्म , ताओ धर्म , इसाई व कैथोलिक जैसे धर्मों के अनुयायी पहले से अधिक हो गये हैं , भगवान की पूजा करने वाले तीर्थ स्थल मंदिर भी अपनी विशेष पहचान बना लेते हैं । इसी संदर्भ में पहले हम आप के साथ इसी कार्यक्रम में काफी बड़ी संख्या में मंदिरों का दौरा कर चुके हैं , विशेषकर तिब्बत के सुप्रसिद्ध चुमलाखां मठ , चाशिलुम्पु मठ और छिंग हाई प्रांत में स्थित तार्स मठ से हम तो बहुत परिचित हुए हैं । पर चीन के भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश में अवस्थि ता चओ नामक प्राचीन मठ की चर्चा हम पहले कभी नहीं की । तो आइये , अब हम भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश में खड़े ता चओ नामक इस प्राचीन मठ को देखने चलते हैं ।
भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश उत्तर चीन की सीमा पर स्थित है , सुंदर विशाल घास मैदान और अल्पसंख्यक जातीय रीति रिवाज इस अल्पसंख्यक जातियों बहुलक्षेत्र की विशेष पहचान हैं । जी हां , इस स्वायत्त प्रदेश में विभिन्न किस्मों वाले धर्म भी साथ साथ प्रचलित हैं । ता चओ नामक प्राचीन महा मठ भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश का तीर्थ बौद्ध धार्मिक स्थल बहुत विख्यात है ।
ता चाओ मठ भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश की राजधानी हुहोहाउत शहर के पुराने शहरी क्षेत्र में खड़ा हुआ है , मंगोल भाषा में इक्चाओ कहा जाता है , अर्थ है महा मंदिर । ता चाओ मंठ सन 1580 के मिंग राजवंश काल में स्थापित हुआ था । ता चाओ मठ की वास्तु शैली बहुत अनौखा है , मुख्य भवन में चांदी से तैयार एक बुद्ध मूर्ति स्थापित हुई , इसलिये वह चांदी बुद्ध मठ के नाम से जाना जाता है । चा ताओ मठ में सुरक्षित बड़ी तादाद में मूल्यवान सांस्कृतिक वस्तुएं मंगोल जाति के इतिहास व धार्मिक संस्कृति पर अनुसंधान करने की दुर्लभ सामग्री हैं ।
ता चाओ मठ हान जातीय मंदिर की वास्त़ु शैली के आधार पर निर्मित हुआ है , उस का कुल क्षेत्रफत तीस हजार वर्गमीटर से अधिक है , जिन में निर्माण का क्षेत्रफल 8 हजार वर्गमीटर से ज्यादा है , जहां पर्वत गेट , स्वर्ग राजा भवन , पिपल भवन , नौ कमरों वाली इमारत , सूत्र भवन , और बुद्ध भवन स्थापित हुए हैं , जिन में सूत्र भवन और बुद्ध भवन एक दूसरे से जुड़ा हुआ है और उसे महा भवन कहा जाता है । यह महा भवन समूचे मठ में हान व तिब्बती वास्तु शैयियों से निर्मित एक मात्र लामा मठ ही है , यह महा भवन आगले भवन, सूत्र भवन और बुद्ध भवन से गठित है , बुद्ध भवन के बीचोंबीच एक दो मीटर से अधिक लम्बी चांदी बुद्ध मूर्ति स्थापित हुई है , इसलिये इस बुद्ध भवन को चांदी बुद्ध भवन कहा जाता है , चांदी बुद्ध के सामने आकाश से बातें करने वाला खंभा खड़ा हुआ है , खंभे पर उड़ते हुए ड्रेगनों का चित्रण चित्रित हुआ है , चांदी बुद्ध के दोनों ओर क्रमशः चुगकपा और तीसरी व चौथी पीढी वाले दलाई की कांस्य मूर्तियां खड़ी हुई हैं । इस के अतिरिक्त ता चाओ मठ में बड़ी तादाद में धार्मिक सामग्री सुरक्षित रखी हुई है , जिन में चांदी बुद्ध मूर्ति , नक्काशीदार ड्रेगन चित्र और भित्ति चित्र इस ता चाओ मठ के तीन धरोहरों के रूप में माने जाते हैं ।
ता चाओ मठ भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश के पर्यटन क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान रखता है , भीतरी मंगोलिया विश्वविद्यालय के मंगोल विद्या अनुसंधान केंद्र के प्रोफेसर बुरंपातु ने इस का परिचय देते हुए कहा ता चाओ मठ में आयोजित वार्षिक मेले में हजारों वासी बढ़ चढ़ कर रंगारंग धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने आते हैं , यह देखकर एक शांतिमय व सामंजस्यपूर्ण सामाजिक वातारवण हमारे सामने नजर आता है । ता चाओ मठ जातीय सांसारिक धार्मिक संस्कृति का विरासत के रूप में ग्रहण करने में अतुलनीय भूमिका निभाता रहा है और वह भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश के पर्यटन उद्योग को बढावा देने की एक प्ररेक शक्ति भी है ।
ता चाओ मठ में एक परम्परागत धार्मिक गतिविधि चार्म बहुत लोकप्रिय है , चार्म का मतलब है कि राक्षेसों व भूतों को भगाने और शानदार कृषि फसलों और सुख चैन की प्राप्ति करने के लिये देव नृत्य किया जाता है । चीनी पंचांग के अनुसार हर वर्ष के जनवरी व जून में ता चाओ मठ में अवश्य ही शानदार चार्म गतिविधि की जाती है । मौके पर भिक्षु निश्चित पोशाक व मुखोटे पहनकर नाना प्रकार के देवताओं का स्वांग करते हुए लामा मठ में सुरक्षित विशेष बड़े नगाड़े और समुद्री शंघ जैसे बाजाओं के तालमेल में उत्साह के साथ नृत्य नाट्य करते है और दर्शक उन के अनौखा अभिनय पर मोहित हो जाते हैं ।