2008-05-05 18:06:12

चीन-जापान संबंध की एक सुनहरी वसंत यात्रा

सुहावने वसंत ऋतु के फूलों की मुस्कराहट की घड़ी में, चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ 6 मई से जापान की राजकीय यात्रा शुरू करने जा रहे हैं। यह चीनी राष्ट्राध्यक्ष की दस साल के बाद फिर एक बार जापान की राजकीय यात्रा है, और चीन-जापान संबंध के कठोर सर्दी के खतम होने के बाद, एक सुनहरी वसंत यात्रा मानी जाती है।

इस बार की सुनहरी वसंत यात्रा की चर्चा करते हुए चीनी आधुनिक अन्तरराष्ट्रीय संबंध अनुसंधान प्रतिष्ठान के जापान अनुसंधान विभाग के उप निदेशक मा च्वीन वए का मानना है कि बीता एक साल चीन-जापान राजनयिक संबंध की स्थापना के बाद का एक विशेष वर्ष रहा था, दोनों देशों के नेताओं ने उभय प्रयासों से दोनों देशों के संबंध में उत्पन्न कड़ी सर्दी को पार कर सुनहरी वसंत की अगवानी की है, उन्होने कहा 2006 में अवे शिनजो ने जोनिचिरो कोईजुमी का स्थान लेकर जापानी प्रधान मंत्री का पद संभालने के बाद अपनी पहली यात्रा चीन चुनी , और चीन-जापान संबंध के छह सालों के स्थगित होने के बाद उच्च स्तरीय यात्रा की शुरूआत हुई। जिसे बाद में बर्फ तोड़ने वाली यात्रा की संज्ञा दी गयी। छह महीनों के बाद चीनी प्रधान मंत्री वन च्या पाओ ने बर्फ पिघलने वाले नाम की जापान यात्रा की, दोनों देशों के बीच की अनेक समस्याओं के समाधन में मदद मिली। इस के बाद जापान में फुकुदा यासुओ ने प्रधान मंत्री का पद संभाला, उन्होने पूर्व प्रधान मंत्री अवे शिनजों से भी कहीं अधिक चीन-जापान संबंध को महत्व दिया।

छिंगहवा यूनीवर्सीटी के अन्तरराष्ट्रीय संबंध सवाल के विशेषज्ञ ल्यू च्यांग सुए ने कहा कि चीन-जापान संबंध के निरंतर गहन होते, श्री हू चिन थाओ की 6 मई से शुरू होने वाली जापान यात्रा , चीन और जापान के संबंधो में नया अध्याय खोलेगा, उन्होने कहा चीन और जापान के बीच तीन राजनीतिक दस्तावेज दोनों देशों के संबंध की राजनीतिक नींव है, विशेषकर मौजूदा साल चीन-जापान के बीच शान्तिपूर्ण मैत्री संधि के संपन्न होने की 30 वीं वर्षगाठ हैं, अन्तरराष्ट्रीय परिस्थिति में भारी परिवर्तन आया है, इस तरह दोनों के संबंधो में नये विषय भी शामिल होगें। चीन और जापान ने 1998 से शान्ति व विकास की मैत्रीपूर्ण सहयोग साझेदार संबंध की स्थापना की थी, हाल ही में रणनीतिक पारस्पारिक लाभ संबंध के निर्माण पर मतैक्य स्थापित हुआ है, मेरा मानना है कि इस बार की जापान यात्रा में इस आधार पर कुछ नवीन रूख पेश किए जाएगें।

श्री ल्यू च्या युंग का यह मानना है कि श्री हू चिन थाओ की यात्रा दोनों देशों के संबंध के बहुत से ठोस सवालों पर प्रभाव डालेगी। उन्होने कहा सबसे पहले नयी परिस्थिति पर दोनों देश उच्च स्तरीय पारस्परिक यात्रा को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगें। दूसरा ,चीन-जापान कुछ नए क्षेत्रों में कुछ ठोस सहयोग कायम करेगें। जैसे कि जल वायु परिवर्तन , शायद कुछ ठोस मतैक्य हासिल करने व आगे की योजना निश्चित करने की भी गुंजाइश है। और तो और, इस साल चीन-जापान के युवा के मैत्रीपूर्ण आदान प्रदान का वर्ष भी है, राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ की इस बार की यात्रा दोनों जनता की मैत्रीपूर्ण भावी आवाजाही को प्रेरित करेगी।

अलबत्ता, वर्तमान दोनों देशों के संबंधो में कुछ असमंजस्यपूर्ण तत्व भी मौजूद हैं, इन सवालों को छिपाया या टाला नहीं जा सकता है । चीनी अकादमी विज्ञान के जापान सवाल के विशेषज्ञ प्रोफेसर काओ हुंग ने टिप्पणी करते हुए कहा चीन और जापान पूर्वी एशिया के पड़ोसी देश व बड़े देश होने के नाते, मैत्रीपूर्ण विकास के अलावा, मौजूद टक्करों को भी न्यायोचित ढंग व समानता के रूख से हल किया जाना चाहिए, दोनों देशों के बीच आपसी समझ व आपसी विश्वास को बढ़ाना एक लम्बा सफर होगा, लेकिन फिर भी इसे जरूर हल करने की कोशिश की जानी चाहिए, जनता और अधिकारियों दोनों को एक साथ प्रयास करना चाहिए।

कई सालों के अनुभवों ने साबित कर दिखाया है कि चीन और जापान की मित्रता दोनों के लिए लाभ लाएगी, जबकि दोनों के बीच संघर्ष एक दूसरे को क्षति पहुंचाएगी। चीन और जापान की जनता हार्दिक दिल से श्री हू चिन थाओ की सुनहरी वसंत यात्रा की अपेक्षा में हैं , ताकि चीन-जापान संबंध सुनहरी वसंत की तरह फलता फूलता रहें। श्री मा च्वीन वए ने इस पर बोलते हुए कहा वर्तमान चीन और जापान न केवल एशिया , बल्कि दुनिया के दो बड़े देश हैं। दोनों देशों का अच्छा या बुरा संबंध ,एशिया यहां तक कि अन्तरराष्ट्रीय परिस्थिति पर भारी प्रभाव डालता है। अन्ततः श्री हू चिन थाओ की यात्रा अवश्य दोनों के संबंध को आगे बढ़ाएगी और एशिया व अन्तरराष्ट्रीय सुरक्षा की स्थिति पर बेहतरीन प्रभाव लेकर आएगी।