2008-05-05 17:23:55

ग्यारहवें पंचन लामा अर्देनी गोइग्यी ग्यिबो ने कहा कि तिब्बत की विभिन्न जातियों की जनता के सुखमय जीवन को मूल्यवान समझना चाहिए

ग्यारहवें पंचन लामा अर्दनी गोइग्यी ग्यिबो ने चार तारीख को पेइचिंग के जातीय सांस्कृतिक भवन में आयोजित"तिब्बत का आज और कल"शीर्षक प्रदर्शनी देखने के दौरान कहा कि तिब्बत की विभिन्न जातियों की जनता ने मुश्किल से आज का सुखमय जीवन प्राप्त किया है, इसे मूल्यवान समझना चाहिए ।

प्रदर्शनी में 160 वस्तुओं और 400 से ज्यादा चित्रों के जरिए एक बार फिर जाहिर किया गया कि प्राचीन समय से ही तिब्बत चीन का एक अभिन्न अंग है, इन वस्तुओं व चित्रों से वर्ष 1951 में शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद से ले कर अब तक तिब्बत गरीबी से समृद्धि पाने तक, तानाशाही शासन से छूट कर लोकतांत्रिक प्रशासन में आने और बंद द्वार की स्थिति से द्वार खुलने तक का इतिहास जाहिर हुआ है।

प्रदर्शनी देखने के बाद ग्यारहवें पंचन ने कहा कि तथ्यों से जाहिर है कि तिब्बत की समृद्धि व विकास केंद्र सरकार के समर्थन, सारे देश की जनता के समर्थन और तिब्बत की विभिन्न जातियों की जनता की समान कोशिशों का परिणाम है । धार्मिक जगत के व्यक्तियों को देश भक्ति व धार्मिक निष्ठा का रूख अपनाकर कानून का पालन करना चाहिए और तिब्बत के सामंजस्य व शांति, समृद्धि व विकास तथा देश की एकता व एकीकरण के लिए अपना योगदान करना चाहिए । (श्याओ थांग)