दिछिंग तिब्बती स्वायत्त प्रिफैक्चर दक्षिण पश्चिमी चीन के युन्नान प्रांत में स्थित है, यहां के हरे-भरे पहाड़ों और नीली झीलों के कारण यह स्थान चीन में सब से मशहूर पर्यटन स्थलों में से एक है । दिछिंग को शांगरिला का नाम दिया गया है, तिब्बती भाषा में शांगरिला का मतलब है दिल का सूर्य और चंद्रमा । आज दिछिंग प्रिफैक्चर चीनी लोगों के दिल में स्वर्ग के रूप में माना जाता है ।
दिछिंग दक्षिण पश्चिमी चीन के युन्नान प्रांत के उत्तर पश्चिमी भाग में स्थित है, जो तिब्बत स्वायत्त प्रदेश से जुड़ा हुआ है । तिब्बती भाषा में दिछिंग का अर्थ है सुख और अमनचैन । यहां तिब्बती जाति, लिसू जाति, नाशी जाति, हान जाति और पाई जाति आदि 26 जातियां मेलमिलाप से रहती हैं । तिब्बती जाति की जन-संख्या कुल जन-संख्या का एक तिहाई भाग है ।
दस वर्ष पहले बाह्य दुनिया के लोगों ने दिछिंग को जानना शुरू किया था। इस के बारे में एक सुन्दर कथा भी प्रचलित है । कहा जाता है कि अमरीकी लेखक जेम्स हिल्टन ने वर्ष 1933 में अपना लम्बा उपन्यास《लॉस्ट होरिज़न》प्रकाशित किया, जिस में पूर्व में एक चिरस्थाई, शांतिपूर्ण व अमनचैन शांगरिला नामक स्थल का वर्णन किया गया । इस के बाद से लोग इस रहस्यमय शांगरिला की खोज में लगे हुए हैं । गत शताब्दी के नब्बे वाले दशक के मध्य में परिणाम निकला कि दिछिंग जेम्स हिल्टन के उपन्यास में वर्णित स्थान शांगरिला के बराबर है । और रूचिकर बात यह है कि दिछिंग की राजधानी चोंगत्यान को तिब्बती भाषा में शांगरिला ही कहा जाता है, जिस का अर्थ है दिल का सूर्य चंद्रमा । वर्ष 2001 में दिछिंग की राजधानी चोंगत्यान को औपचारिक तौर पर शांगरिला कांउटी में परिवर्तित किया गया । इस तरह शांगरिला स्वप्न में से वास्तविक जीवन में आ गया और यह दिछिंग का उपनाम बन गया ।
दिछिंग स्वायत्त प्रिफैक्चर में जेम्स हिल्टन के उपन्यास में वर्णित इस स्थान का सुन्दर पठारीय पारिस्थितिकी पर्यावरण है, इस के साथ ही यहां रहने वाली विभिन्न जातियों के लोग लम्बे समय तक शांतिपूर्ण और अमनचैन वाला जीवन बिता रहे हैं । दिछिंग स्वायत्त प्रिफैक्चर के सांस्कृतिक ब्यूरो के प्रधान श्री फूच्यन ने कहा कि शांगरिला दिछिंग वासियों के दिल में विचारात्मक जीवन का प्रतिनिधित्व करता है । उन्होंने कहा:
"मुझे लगता है कि शांगरिला का मूल तत्व सामंजस्य, शांति, अमनचैन और सुख है । दिछिंग में मानव तथा प्रकृति के बीच सामंजस्य है . यहां रहने वाली 26 जातियों में से नौ जातियां पीढ़ी दर पीढ़ी यहां रहती आई हैं । दिछिंग में बहुधर्म वाली अनेक जातियां साथ-साथ रहती हैं । यहां के लोग मिलमिलाप से रहते हैं । इस के अलावा दिछिंग के प्राकृतिक दृश्य बहुत सुन्दर हैं । वनों की दर युन्नान प्रांत में प्रथम स्थान पर है । मुझे लगता है कि यहां रहना बहुत सुखमय है।"
दिछिंग का जीवन, पर्यावरण बाह्य दुनिया के लोगों को आकृष्ट करता है । अनेकानेक विदेशी पर्यटकों ने यहां आने के तुरंत बाद दिछिंग को पसंद किया । यहां तक कि उन में से कुछ व्यक्तियों ने स्थाई तौर पर यहां रहने का फैसला कर लिया । चीन स्थित संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के जनरल प्रतिनिधि खालिद मलिक की पत्नी सुश्री काटर साहिर मलिक उन में से एक हैं । वर्ष 2004 में वे प्रथम बार दिछिंग की शांगरिला कांउटी आयीं और उन्हें यह जगह एकदम पसंद आ गई और उन्होंने दिछिंग में रहने का फैसला कर लिया । इधर के वर्षों में सुश्री काटर साहेर मलिक ने दिछिंग की अल्पसंख्यक जातीय संस्कृति से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अवगत कराया है । इस के अलावा वे युन्नान शानदी अवशेष कोष की स्थापना कर स्थानीय शिक्षा कार्य के लिए चंदा प्राप्त करने की कोशिश कर रही हैं । उन्होंने दिछिंग की मानसेवी नागरिकता प्राप्त की है। मानसेवी नागरिकता प्रदत्त रस्म में सुश्री काटर मलिक की बेटी साह्रा मलिक ने शांगरिला के प्रति अपनी मां का प्यार अभिव्यक्त करते हुए कहाः
"मेरी मां चार साल पूर्व पहली बार यहां आयीं । इस के बाद वे अनेक बार शांगरिला वापस लौटीं हैं। उन्होंने युन्नान शानदी अवशेष कोष की स्थापना की है और वे हस्त कला कार्य के विकास के लिए स्थानीय कलाकारों को मदद देती हैं । शांगरिला वासियों की सहायता के लिए मां ने अनेक परियोजनाएं शुरु की हैं । क्योंकि मां यहां काम करती हैं, मैंने उन की सहायता के लिए उस कोष में भाग लिया । मुझे शांगरिला बहुत पसंद है । यहां के दृश्य ही सुन्दर नहीं, लोग भी बहुत मैत्रीपूर्ण हैं ।"इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े। (श्याओ थांग)
दक्षिण पश्चीमी चीन स्थित युननान प्रांत के दिछिंग में रहने वाले अल्पसंख्य जातियों का सुखमय जीवन
दिछिंग दक्षिण पश्चिमी चीन के युन्नान प्रांत के उत्तर पश्चिमी भाग में स्थित है, जो तिब्बत स्वायत्त प्रदेश से जुड़ा हुआ है । तिब्बती भाषा में दिछिंग का अर्थ है सुख और अमनचैन । यहां तिब्बती जाति, लिसू जाति, नाशी जाति, हान जाति और पाई जाति आदि 26 जातियां मेलमिलाप से रहती हैं । तिब्बती जाति की जन-संख्या कुल जन-संख्या का एक तिहाई भाग है ।
दिछिंग दक्षिण पश्चिमी चीन के युन्नान प्रांत के उत्तर पश्चिमी भाग में स्थित है, जो तिब्बत स्वायत्त प्रदेश से जुड़ा हुआ है । तिब्बती भाषा में दिछिंग का अर्थ है सुख और अमनचैन । यहां तिब्बती जाति, लिसू जाति, नाशी जाति, हान जाति और पाई जाति आदि 26 जातियां मेलमिलाप से रहती हैं । तिब्बती जाति की जन-संख्या कुल जन-संख्या का एक तिहाई भाग है ।
दिछिंग तिब्बती स्वायत्त प्रिफैक्चर की शांगरिला कांउटी की सड़क पर चलते हुए आप देख सकते हैं कि जातीय वस्त्र पहने हुए विभिन्न जातियों के स्थानीय लोग इधर-उधर आ-जा रहे हैं, सड़क के दोनों किनारों पर तिब्बती शैली में बने भवन खड़े हैं, मकान की छत पर तिब्बती बौद्ध धर्म के सूत्र झंडे हवा में फहरा रहे हैं, घास मैदान में पशु आराम से घास चर रहे हैं, दूर-दूर की खेती में जौ की लहरें लहरा रही हैं । इन सभी से एक सुन्दर चित्र उभर कर सामने आता है ।
दिछिंग का जीवन, पर्यावरण बाह्य दुनिया के लोगों को आकृष्ट करता है । अनेकानेक विदेशी पर्यटकों ने यहां आने के तुरंत बाद दिछिंग को पसंद किया । यहां तक कि उन में से कुछ व्यक्तियों ने स्थाई तौर पर यहां रहने का फैसला कर लिया ।
आज दिछिंग में रहने वाले अल्पसंख्यक जाति के लोग अपनी परम्परा को बरकरार रखने के साथ-साथ आर्थिक विकास का लाभ भी उठा रहे हैं । नाशी जाति की किसान सुश्री यांगछुनशङ ने का कहना है:
"मेरे घर में इलेक्ट्रनिक साजोसामान उपलब्ध है । टी.वी.सेट, फ्रिज, प्राकृतिक गैस सारी सुविधाएं हैं । हमारा जीवन खुशहाली के जीवन स्तर तक पहुंच गया है । मैं कभी-कभी अपने पति और बेटे के साथ बाहर जाकर घूमती हूँ । ऐसा कहा जा सकता है कि गांव में अवकाश के समय हम दूसरे स्थलों की यात्रा करते हैं ।"
पता चला है कि इधर के वर्षों में दिछिंग तिब्बती स्वायत्त प्रिफैक्चर का सकल उत्पादन मूल्य 22 प्रतिशत की वृद्धि तक बरकरार रहा है । हर वर्ष किसानों और चरवाहों की शुद्ध आय में 14.2 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है । दिछिंग वासी समृद्ध हो गए हैं और दूसरे स्थलों की यात्रा करना उन के लिए साधारण बात बन गयी है ।
बाह्य दुनिया के लोग यहां आते हैं और दिछिंग वासी बाहर जाते हैं। दिछिंग में रहने वाले ज्यादा से ज्यादा अल्पसंख्यक जातीय लोग बाहर की सैर करते हैं, व्यापार करते हैं और बड़े शहरों में पढ़ाई करने जाते हैं। लगातार बढ़ रही आवाजाही से दिछिंग वासियों की नज़र और विशाल हो गयी है और उन्हें अपनी जन्मभूमि के प्रति और गौरव महसूस होता है। चीन की राजधानी पेइचिंग स्थित पेइचिंग इस्टिंट्युट ऑफ़ टेक्नालाजी विश्वविद्यालय के विद्यार्थी तिब्बती लड़की झासी छ्वुछू दिछिंग से आयी है । वह अपने जन्मस्थान को बहुत प्यार करती है । तिब्बती लड़की जाशी छ्वुछू ने कहा:
"मैं पेइचिंग में तीन साल तक पढ़ी हूँ । तीन साल के बाद मैं अपने जन्मस्थान शांगरिला वापस लौटी । मुझे लगता है कि यहां भारी परिवर्तन आया है। तिब्बती क्षेत्र में मुझे लगता है कि मेरी जन्मभूमि सब से अच्छी है । पढ़ाई के लिए मैं बाहर गयी । लेकिन अपनी जन्मभूमि की चर्चा करते समय मुझे बहुत गौरव महसूस होता है ।"
सच है, शांगरिला वासियों बहुत गौरवशाली हैं । क्योंकि वे मानवीय स्वर्ग में रहते हैं । दिछिंग वासियों को भी गौरव महसूस होता है, क्योंकि यह शांगरिला का घर ही है ।
हर दिन रात को दिछिंग तिब्बती स्वायत्त प्रिफैक्चर की सरकार कार्यालय के आसपास स्थिति थानछंङ मैदान में आस पड़ोस के शहरों, कस्बों व गांवों से आए करीब एक हज़ार लोग मधुर संगीत के साथ आनंद उठाते हुए नाच रहे हैं । वे मैदान के केंद्र में गोल घेरा बनाकर भिन्न-भिन्न धुनों पर अलग-अलग नृत्य कर रहे हैं । लोगों के चेहरों पर आई मुस्कुराहट से पर्यटक बहुत प्रभावित होते हैं । वे नृत्य के घेरे में भाग लेकर संगीत में दिछिंग की अल्पसंख्यक जाति के लोगों का सरल व सुखमय जीवन महसूस करते हैं ।
इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े।(श्याओ थांग)