2008-04-30 18:12:49

तिब्बत सवाल मानवाधिकार का सवाल नहीं है

30 तारीख को जारी जन-दैनिक ने तिब्बत सवाल मानवाधिकार का सवाल नहीं शीर्षक लेख जारी कर कहा कि दलाई गुट द्वारा तथ्यों का उल्लंघन करते हुए तिब्बती मानवाधिकार की हांक लगाए जाने का उद्देश्य है कि इस के सहारे कुछ पश्चिमी राजनीतिज्ञों का समर्थन मिलेगा और कथित तिब्बत की स्वाधीनता का नारा लगा करके देश का विभाजन करने की कोशिश की जाएगी।

लेख में कहा गया है कि अस्तित्व और विकास अपरिहार्य मानवाधिकार हैं। दलाई गुट लगातार कथित तिब्बती मानवाधिकार का प्रचार कर रहा है। लेकिन दलाई लामा के नियंत्रण में पुराने तिब्बत में कुल आबादी के 95 प्रतिशत से अधिक दासों को स्वतंत्रता नहीं थी, यहां तक कि अस्तित्व का अधिकार भी सुनिश्चित नहीं किया गया था। कई सालों में दलाई लामा तिब्बती लोगों के विकास को अनदेखा करके क्रमशः तिब्बत की स्थिरता को नुकसान पहुंचाने वाली कार्यवाही कर रहा है। अनेक देशों के विशेषज्ञ समझते हैं कि दलाई लामा द्वारा हांक लगाए जाने वाला तिब्बती मानवाधिकार सवाल झूठा है। (ललिता)