प्रिय दोस्तो , चीन की लम्बी दीवार का नाम आप ने कभी सुना होगा । पिछले हजार वर्षों से चीनी जनता इस विश्वविख्यात लम्बी दीवार को गर्व महसूस करती आयी है । यह लम्बी दीवार मानव जाति के इतिहास की सब से बड़ी परियोजनाओं में से एक होने के नाते आज तक भी ज्यों का त्यों उत्तर चीन की भूमि पर खड़ी हुई नजर आती है । यह लम्बी दीवार स्मृद्ध सांस्कृतिक गर्भिता वाला विश्व सांस्कृतिक अवशेष ही नहीं , अपनी विशेष प्राकृतिक दृश्य का परिचायक भी है । आज के चीन का भ्रमण कार्यक्रम में हम आप के साथ इस महान लम्बी दीवार का दौरा करने जा रहे हैं ।
आज से कोई दो हजार वर्ष से पहले के चीनी वसंत शरद युद्धरत काल में लम्बी दीवार का निर्माण शुरू हुआ , तत्काल में इस लम्बी दीवार के निर्माण में जितना ज्यादा समय लगने और परियोजना की कठिनता की दृष्टि से देखा जाये , वह बेमिसाल मानी जाती थी । ईसा पूर्व 221 वर्ष में चीन के प्रथम सामंती राजा छिन शह ह्वांग ने चीन को एकीकृत करने के बाद विभिन्न छोटे छोटे राज्यों में निर्मित लम्बी दीवारों को जोड दिया है । फिर ईस्वी के आगे पीछे के हान राजवंश काल तक लम्बी दीवार की लम्बाई बढ़कर दस हजार किलोमीटर से अधिक हो गयी । पर लम्बे वर्षों की वर्षाओं और हवाओं की थपेट से प्राचीन काल के विभिन्न राज्यों में निर्मित अधिकतर लम्बी दीवारें छिन्न भिन्न होकर खंडहर रह गयीं , आज जो संरक्षित लम्बी दीवार देखने को मिलती है , वह सात सौ वर्षों से पहले के मिंगराजवंश काल में निर्मित हो गयी है ।
तो इस अभूतपूर्व प्राचीन महान परियोजना का निर्माता आखिरकार कौन है , लम्बी दीवार संरक्षण की विशेष अनुसंधान शाला चीनी लम्बी दीवार सोसाइटी के महा सचिव श्री तुंग याओ ह्वी ने इस का परिचय देते हुए कहा लम्बी दीवार के निर्माताओं में मुख्यतः सैनिक , आम नागरिक और सजा भूगतने वाले अपराधी शामिल थे । क्योंकि लम्बी दीवार का निर्माण एक राष्ट्रीय परियोजना था , इसलिये तत्कालीन सेना में कार्यरत सैनिक निर्माताओं की मुख्य शक्ति की हैसियत से निर्माण में जुटे हुए थे । फिर हाथ बटाने के लिये देश के विभिन्न क्षेत्रों से तंदुरूस्त जवान व वयस्क नागरिकों को भी बुला लिया गया । जहां तक कि अपराधियों का ताल्लुक है कि तत्काल में अपराधियों को सुधारने के लिये आम तौर पर दूर दराज क्षेत्रों में भेजा जाता था , लम्बी दीवार का निर्माण सीमाओं पर था , अतः सजा भूगतने वाले सभी अपराधियों को लम्बी दीवार के निर्माण में लगवाया गया था ।
सुविधाजनक प्रतिरक्षा के लिये लम्बी दीवार के प्रमुख भाग ऊंचे पर्वतों और ढलांनों पर हैं । लम्बी दीवार पर अंगिनत झरोखे और फौजी सूचना देने वाले मंडप भी पाये जाते हैं । लम्बी दीवार पर तैनात सैनिक ऊंची टिकाऊ दीवारों के सहारे अतिक्रमण करने आये दुश्मनों का जवाबी प्रहार करते थे । यदि बड़ी तादाद में आक्रमणकारियों का सामना करना पडे , तो वे सूचना देने के लिये सूचना देने वाले मंडपों में आग जलाते थे । लम्बी दीवार की स्थापना के बाद लम्बी दीवार की तलहटी में बहुत से खूंखार भीषड़ युद्ध चलाये गये ।
आज फौजी संस्थापन की हैसियत से लम्बी दीवार की भूमिका नहीं रही है और वह विश्वविख्यात प्राचीन सास्कृतिक अवशेष के नाम से जाना जाता है । लम्बी दीवार की भव्यता और महत्ता हर वर्ष लाखों करोड़ों देशी विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करती है ।
पेइचिंग क्षेत्र में खड़ी हुई लम्बी दीवार का भाग सब से टिकाऊ और आलीशान है । क्योंकि यहां पर निर्मित लन्बी दीवार मुख्यतः राजधानी और शाही कब्रस्थानों की रक्षा करने का कार्य निभाती थी । अब पेइचिंग के उपनगरों में स्थित प्रसिद्ध पा ता लिंग , मू थ्येन यू और समाथाई जैसी लम्बी दीवार के प्रमुख भाग मशहूर रमणीक स्थल बन गये हैं ।
पेइचिंग क्षेत्र में स्थित लम्बी दीवार में पा ता लिंग लम्बी दीवार अपना अलग स्थान रखती है । इस क्षेत्र की लम्बी दीवार सब से मजबूत है और उस का संरक्षण भी बहुत बढ़िया है । पिछले अनेक सालों में वह देशी विदेशों पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है । पर्वत पर निर्मित पा ता लिंग लम्बी दीवार की औसत ऊंचाई 8 मीटर है और उस के अधिकतर भाग पर बड़े चौकोर वाले सगमरमर बिछाये गये हैं । और तो और दीवार पर हर दो सौ मीटर के स्थल पर रक्षा के लिये एक झरोख निर्मित हुआ है ।