29 तारीख को जारी जन-दैनिक ने एक लेख जारी करके दलाई लामा और कुछ लोगों के इस कथन कि तिब्बती समस्या धार्मिक समस्या है का खंडन किया और कहा कि यह धार्मिक समस्या नहीं है, बल्कि चीन का विभाजन करने की समस्या है।
लेख में बताया गया कि दलाई लामा ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तिब्बती समस्या पर ध्यान देने की अपील की, उन्होंने तथाकथित धार्मिक समस्या की झंडा उठाया है और कहा है कि तिब्बती लोगों के पास धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता का अभाव है।लेकिन, यथार्थ स्थिति यह है कि दलाई लामा द्वारा चीन पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं।
लेख में बताया गया है कि हाल में तिब्बत में तिब्बती बौद्ध धर्म के विभिन्न मंदिरों की संख्या 1700 से ज्यादा है , भिक्षुओं की संख्या 46 हजार है, चार मस्जिद हैं और एक चर्च है। विभिन्न धार्मिक गतिविधियां सामान्य रूप से आयोजित हो रही हैं, आम नागरिकों का धार्मिक जीवन बहुत प्रचुर है। पिछले 20 वर्षों में देश ने कुल मिलाकर 70 करोड़ से ज्यादा चीनी य्वान लगाकर मंदिरों , सांस्कृतिक धरोहरों व धार्मिक स्थलों की मरम्मत की है। अनेक तिब्बती बौद्ध धर्म के शास्त्रों को सुरक्षित किया गया है।
लेख में बताया गया है कि इन तथ्यों से पूर्ण रूप से साबित है कि तिब्बती समस्या तथाकथित धार्मिक समस्या नहीं है, तिब्बती समस्या तिब्बती स्वाधीनता की समस्या है।(श्याओयांग)