वर्ष 2008 पेइचिंग ऑलंपिक मशाल रिले की सब से महत्वपूर्ण घटना श्यांगयून मशाल के विश्व की सब से ऊंची चोटी---चुमुलांगमा चोटी पर चढ़ना है । हाल में हमारे संवाददाता तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा पहुंचे और वहां उन की मुलाकात पेइचिंग ऑलंपिक मशाल रिले की तिब्बती मशालधारक सुश्री दहछिंग पाइचङ से हुई ।
28 वर्षीय दहछिंग पाईचङ का जन्म ल्हासा में हुआ और इसी शहर में वे पली-बढ़ी हैं। पाईचङ तिब्बत स्थित चाइना रेडियो इन्टरनेशनल के संवाददाता केंद्र में संवाददाता हैं । लेकिन वर्तमान में उन की एक नयी हैसियत है ,वे तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में पेइचिंग ऑलंपिक मशाल रिले की एक मशालधारक हैं। ऑलंपिक मशालधारक बनने की चर्चा करते हुए सुश्री पाईचङ ने कहा:
"लगभग गत वर्ष के अंत में एक दिन दोपहर बाद मैं बाहर थी, और कुछ खरीदने के लिए ल्हासा की सड़क पर घूम रही थी । एकाएक मुझे फोन आया और सूचित किया गया कि मैं ऑलंपिक मशाल रिले की एक मशालधारक बन गयी हूं । यह खबर पाते ही मैं बहुत खुश हुई। उस समय मुझे विश्वास नहीं हुआ कि यह बात सच थी ।"
दहछिंग पाईचङ को मालूम हुआ कि ऑलंपिक मशालधारक को शांति व मैत्री के प्रसार का गौरवपूर्ण मिशन निभाना चाहिए । इस गौरवपूर्ण कार्य को अच्छी तरह समाप्त पूरा करने के लिए पाईचङ ने ज्यादा व्यायाम करना शुरू किया है, ताकि ऑलंपिक मशाल रिले के वक्त वह सब से अच्छी स्थिति में वह अपना दो सौ मीटर का रास्ता तय कर सके । इस की चर्चा में सुश्री दहछिंग पाईचङ ने कहा:
"हर दिन घर से ऑफिस जाने और ऑफिस से घर वापस लौटने के दौरान मैं पांच किलोमीटर पैदल चलती हूँ । इस के अलावा हर सप्ताहांत मैं तैरती हूँ ।"
यह पूछे जाने पर कि वर्तमान में सब से बड़ा दबाव क्या है?सुश्री पाईचङ ने मज़ाक करते हुए कहा कि एक मशालधारक बनने के बजाए संवाददाता के रूप में दूसरे संवाददाता के साथ साक्षात्कार करने पर उन्हें अधिक दबाव महसूस होता है ।
ल्हासा पहुंचने के बाद हमारे संवाददाता ने देखा कि शांत सड़कों पर रंगबिरंगी तिब्बती शैली की पोशाक पहने तिब्बती बंधु आराम से इधर-उधर घूम रहे हैं । अब मशालधारक दहछिंग पाईचङ की ही तरह तिब्बत वासी भी पेइचिंग ऑलंपिक मशाल रिले का इन्तज़ार कर रहे हैं ।
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16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040 |