2008-04-27 16:34:55

दलाई लामा गुट की मातृभूमि को विभाजित करने की कुचेष्टा की जरूर हार होगी

रविवार को प्रकाशित चीन के आधिकारिक अखबार जन जैनिक ने एक टिप्पणी में कहा कि पचास वर्ष में दलाई लामा गुट ने मातृभूमि को विभाजित करने की गतिविधि कभी नहीं छोडी ।उस की कुचेष्टा को जरूर मुंह की खानी पड़ेगी।

टिप्पणी में कहा गया कि चाहे दलाई गुट कैसे तिब्बती सवाल का हंगामा मचाता है ,विश्व में कोई देश खुले तौर पर तथाकथित तिब्बती स्वतंत्रता को मान्यता नहीं देता है ।तिब्बत सवाल की असलियत देश की प्रभुसत्ता से जुडा सवाल है ।प्रभुसत्ता के सवाल पर विचार करने की कोई गुंजाइश नहीं है ।चीन को विभाजित करने की कुचेष्टा जरूर नाकाम होगी ।जब गरीब व कमजोर पुराने चीन के समय साम्राज्यवादी तिब्बत को चीन से अलग नहीं कर सके ,तो आज दिन ब दिन मजबूत हो रहे नये चीन में तिब्बती स्वतंत्रता के साकार होने की कोई संभावना नहीं है ।

जन दैनिक के एक अन्य आलेख में कहा गया कि तिब्बती युवा कांग्रेस ने शुरू से ही सशस्त्र संघर्ष व हिंसा के जरिये तिब्बत स्वतंत्रता को साकार करने का एक अनिवार्य रास्ता चुना है । वह अपनी हिंसक बदनीयत को नहीं बदल सकता है।

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