2008-04-23 18:42:29

फ्रांस के पूर्व सीनेट ने कहा दलाई लामा को तिब्बत के विकास का विरोध नहीं करना चाहिए


विश्व का चौथा होटल समूह के फ्रांसीसी आकोर ग्रुप यानी ए सी सी ओ आऱ के स्थापक, फ्रांस के संसंद के पूर्व सीनेट पोल दुबरूल ने हाल ही में शांगहाए में कहा कि तिब्बत में उनके अपने खुद के अनुभव के मुताबिक उनका मानना है कि चीन सरकार का तिब्बत स्वायत्त प्रदेश का निर्माण व प्रबंधन सही है, दलाई लामा को तिब्बत के अर्थतंत्र व सामाजिक विकास का विरोध नहीं करना चाहिए।

श्री दुबरूल आकोर ग्रुप के शांगहाए के पहले किफायती होटल के निर्माण की स्थिति का सर्वेक्षण करने शांगहाए पधारे हैं। 74 वर्षीय फ्रांसीसी नागिरक श्री दुबरूल ने युवा के समय अपने दोस्तों के साथ मिलकर विश्व होटल प्रबंधन उद्योग के प्रसिद्ध आकोर ग्रुप की स्थापना की थी, वह मेयर व संसंद के सीनेट भी रह चुके हैं।

हमारे संवाददाता के साथ साक्षात्कार में श्री दुबरूल ने जानकारी देते हुए कहा कि छह साल पहले उन्होने आठ महिनों के समय में साईकिल से फ्रांस से कम्बोडिया तक के 15 हजार किलोमीटर की यात्रा पूरी की थी, इन में तीन महीने उन्होने चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की साईकिल यात्रा भी की थी। उन्होने कहा कि वह इस से पहले कभी तिब्बत नहीं गए थे, वह और बहुत से कभी तिब्बत नहीं गए पश्चिमी लोगों की तरह उनका मानना था कि तिब्बत एक गरीब व पिछड़ीपन जगह है। मीडिया से मिली खबर उनके लिए यह थी कि लाचार तिब्बती चीन की केन्द्रीय सरकार का बुरा बर्ताव सह रहे हैं। लेकिन तीन महीनों के तिब्बत की यात्रा में उन्होने एक बिल्कुल अगल तिब्बत देखा। उन्होने कहा छह साल पहले मुझे साईकिल से चीन की यात्रा करने का मौका मिला तो मैने तीन महीने तिब्बत में गुजारे, मेरे ख्याल में फ्रांसीसी लोगों में मैं तिब्बत के बारे में बहुत अच्छी तरह जानता हूं।

श्री दुबरूल ने कहा कि वहां उन्होने अपनी आंखो से तिब्बत का सुन्दर नजारा देखा और स्वंय तिब्बत के अर्थतंत्र व सामाजिक विकास को महसूस किया। उन्होने कहा कि फ्रांस की बराबरी में तिब्बत की जनता का भौतिक जीवन हालांकि गरीब है, लेकिन चीनी केन्द्रीय सरकार तिब्बत के अर्थतंत्र के विकास में सक्रिय से जुटी हुई हैं और तिब्बती जनता के जीवन स्तर को सुधारने की पूरी कोशिश कर रही है। उन्होने उल्लेखनीय रूप से यह महसूस हुआ कि तिब्बती जनता सामाजिक प्रगति के सुफल के आन्नद का उपभोग कर रही है। उन्होने कहा मैने उस यात्रा के बाद एक पुस्तक लिखी, इस पुस्तक में मैने यह लिखा कि चीन सरकार ने तिब्बत में जो काम किए हैं उसपर मैं सहमत हूं।

श्री दुबरूल ने पिछली शताब्दी के 90 वाले दशक से तिब्बत से संबंधित पुस्तकें पढ़ना शुरू किया था। उनके नजर में पश्चिम समाज अढ़ियल रूख से 14 वें दलाई लामा को धर्म गुरू बना कर उनके लिए ढिंढोरा पीट रहे हैं, और कहते हैं कि वह एक सौन्दर्य नैतिकता का मिसाल हैं और वह कथित एक पीडि़त व्यक्ति भी हैं। लेकिन दलाई लामा के शासन के दौर में पुराना तिब्बत की असली स्थिति यह थी कि बालकों की मृत्यु दर आश्चर्यजनक थी, पूरे तिब्बत में एक आधुनिक मायने वाला स्कूल तक नहीं था। दलाई लामा का आर्थिक विकास परम्परागत संस्कृति की मौत ला रहा है कि कथनी को लेकर श्री दुबरूल ने बलपूर्वक कहा कि संस्कृति यदि समाज के साथ आगे नहीं बढ़ती है तो उसे आजायबघर में डाला जाने के अलावा कोई चारा नहीं रहेगा, न ही वह जनता के लिए खुशहाली लेकर आ सकती है। उन्होने कहा दलाई लामा तिब्बत को पीछे ले जाने का रूख अपना रहा है। क्योंकि मैने देखा है कि चीन सरकार तिब्बत में सड़कों, हवाई अडडों, स्कूलों व अस्पतालों का निर्माण कर रही हैं, यह सभी अर्थतंत्र के विकास को प्रतिबिंबित करती है।

उन्होने कहा चाहे कोई भी हो, क्या वह संस्कृति संरक्षण व धार्मिक की ओढ़ में अर्थतंत्र के विकास को ठुकरा सकता है, स्कूलों व अस्पतालों को ठुकरा सकता है।

श्री दुबरूल ने विशेषतौर से छिंगहाए-तिब्बत रेलवे का जिक्र करते हुए कहा कि इस रेल मार्ग के निर्मित होने से तिब्बती जनता को बाहरी संपर्क में भारी सुविधा प्राप्त हुई है, उसने तिब्बत के अर्थतंत्र विकास के लिए महत्वपूर्ण नींव डाली है। उन्होने कहा कि उन्होने समाचारों में देखा है कि दलाई लामा ने छिंगहाए-तिब्बत रेलवे के निर्माण पर विरोध जताया है, इस का मतलब यह है कि वह तिब्बती जनता की खुशहाली को बिल्कुल नजरअन्दाज कर रहे हैं, इस से साबित होता है कि दलाई लामा तिब्बत के अर्थतंत्र विकास का विरोधी है।

श्री दुबरूल ने कहा कि हालांकि उन्होने दलाई लामा से कभी भी भेंट नहीं की है, लेकिन वह उनसे कहना चाहते हैं कि एक देश को अपनी जनता के धार्मिक विश्वास की सुरक्षा करनी चाहिए, लेकिन इस के विपरित, धार्मिक को भी अपने देश का विरोध नहीं करना चाहिए।