2008-04-22 15:01:52

चीनी फिल्मोद्योग चतुर्मुखी विकास की ओर

चीन में तेज आर्थिक विकास के साथ-साथ फिल्म-उद्योग का भी तेजी से विकास हो रहा है।नई फिल्में बारिश के बाद उगने वाले कुकुरमुत्तों की तरह उभरकर सामने आ रही हैं।

कुछ समय पहले चीन के प्रमुख शहरों में एक साथ छिंगहाई से तिब्बत तक नामक नई फिल्म प्रदर्शित हुई।यह फिल्म छिंगहाई-तिब्बत रेलवे के निर्माण-कार्य की पृष्ठभूमि में पिछली सदी के छठे दशक के बाद से इस रेलवे के निर्माण में रत तीन पीढ़ियों के निर्माताओं के कड़े परिश्रम को दर्शाती है।छिंगहाई-तिब्बत पठार पर ऑक्सीजन की भारी कमी,जमी बर्फ वाली सख्त जमीन औऱ नाजुक पारिस्थितिकी जैसी तीन प्रमुख प्राकृतिक बाधाओं को इस फिल्म में बखूबी अभिव्यक्त किया गया है।फिल्म-निर्माता ने नई व उच्च तकनीक से भूकंप,भूस्खलन और गरजते बादलों और उन से उत्पन्न हुई भयानक विपत्तियों को सजीव रूप से दर्शाया है। फिल्म के बहुत से दृश्य दर्शकों को किसी ऐतिहासिक काव्य की सी भव्यता का एहसास कराते हैं। इसलिए बाजार में आते ही इस फिल्म का खूब स्वागत किया गया है।बॉक्स-ऑफिस पर यह फिल्म कई हफ्तों तक नम्बर तीन पर रही है।

चीनी फिल्मकार प्रतिवर्ष अनेक ऐसी फिल्में बनाते हैं,जो प्रमुख ऐतिहासिक घटनाओं और वीरों जैसे आदर्श वाले व्यक्तियों की कहानियों पर आधारित होती हैं और जिन में चीनी राष्ट्र की भावना को अभिव्यक्त किया जाता है।इन फिल्मों के निर्माण में सरकार विशेष धनराशि लगाती है। इधर के वर्षो में इस तरह की फिल्मों के कलात्मक स्तर में बहुत तरक्की हुई है,जिस से इन फिल्मों का आकर्षण बढ़ा है और इन्हें देखने वाले दर्शकों की संख्या में भी बड़ा इजाफा हुआ है।फिल्म "छिंगहाई से तिब्बत तक" कलात्मक स्तर पर बहुत बढ़िया फिल्म है और रेलवे पर काम करने वाले लोगों के जीवन के अंतरंग हिस्सों को इतनी खूबसूरती से दर्शाती है कि फिल्म देखते समय करीबन सभी दर्शकों की आंखें भर आती हैं। इस फिल्म के निर्देशक श्री फंग श्याओ-निंग ने कहाः

"अब तक मुझे इस फिल्मों के दर्शकों में से कोई ऐसा नहीं मिला है,जो फिल्म देखते समय खुद को आंसू बहाने से रोक पाया हो।इस से जाहिर है कि यह फिल्म सफल रही है औऱ मेरा लक्ष्य पूरा हुआ है। इस फिल्म में खोखला प्रचार-प्रसार और रूखी-सूखी शिक्षा जैसे उबाऊ तत्व नहीं हैं।पूरी कहानी तीन पीढियों के व्यक्तियों की जिन्दगी से घनिष्ठ रूप से जुड़ी हुई है।सो वह बड़ी संख्या में दर्शकों को आकर्षित करती है।

चीन में हर साल 300 से ज्यादा फिल्में बनाई जाती हैं।सरकार और गैरसरकारी संस्थाओं के अलावा विदेशी निदेशक भी फिल्मांकन में सक्रिय हैं।चीनी फिल्म निर्यात संवर्द्धन कंपनी के मैनेजर श्री यांग बु-थिंग ने कहाः

"चीन में सिनेमा-घर आधुनिकतम होते जा रहे है।डिजिटल तकनीक से फिल्में बनाना और फिल्में दिखाना चीनी फिल्म-उद्योग के विकास की नई प्रेरक शक्ति बना है।खासकर ग्रामीण फिल्म-बाजार के विकास में डिजिटल तकनीक की महत्वपूर्ण भूमिका देखने में आ रही है।इस समय चीनी समाज में फिल्म-उद्योग का ख्याल रखने वाले लोगों की संख्या काफी है।सरकारी संस्थाओं व गैरसरकारी संगठनों और विदेशी पूंजी वाली संस्थाओं ने भी फिल्मांकन में सक्रियता से पूंजी-निवेश किया है।इस तरह फिल्मांकन के लिए धन का स्रोत बहिर्मुखी हो गया है और चीनी फिल्म अर्थव्यवस्था में सुधार आया है।संक्षेप में अब चीन में फिल्मोद्योग के विकास के लिए सामाजिक ताकत ज्यादा कोशिश करने को तैयार है।उधर सरकार ने फिल्मोद्योग की बुनियादी सुविधाओं के निर्माण को भी भारी महत्व दिया है।उस ने फिल्म बनाने के नए केंद्रों का निर्माण,संबद्ध नए साजोसामान की खरीद और संबंधित नवीन व उच्च तकनीक के आयात में भारी धनराशि लगाई है।इस सब से चीनी फिल्मोद्योग के भावी जोरदार विकास के लिए पुख्ता नींव डाली गई है।"

इस शताब्दी के शुरू से ही चीनी फिल्मोद्योग की व्यवस्था में सुधार शुरू हो गया था । फिल्म-वितरण में कंपनियों और सिनेमा-घरों के बीच सहयोग की व्यवस्था शुरू हुई है।इस व्यवस्था से सरकारी प्रशासन के एकाधिकार की स्थिति समाप्त हुई है और फिल्म-बाजार में नई जीवन-शक्ति का संचार किया गया है।इस व्यवस्था से प्रेरित होकर बहुत से प्रतिभाशाली फिल्म-निर्देशकों ने बॉक्स-ऑफिस की तीव्र स्पर्द्धा में अपनी ताकत दिखाई है।उदाहरणार्थ चांग ई-मो और फ़ंग श्याओ-कांग आदि फिल्म-निर्देशक भारी लागत वाली फिल्में बनाकर अंतराष्ट्रीय फिल्म-जगत का ध्यान अपनी ओर खींचने में सफल रहे हैं।