2008-04-22 10:12:11

छिंगहाई झील क्षेत्र में स्थानीय चेरवाहों व प्रोकप्रा प्रजवालस्की के बीच कहानियां बहुत मर्मस्पर्शी हैं

मसलन हाई य्येन कांऊटी के ह्वांग छाव गांव में चेरवाहे चू शंग फू और अपनी पत्नी ल्यू श्यू मेई की नन्हे प्रोकप्रा प्रजवालस्की का पालन पोषण करने की कहानी स्थानीय वासियों के जुबान पर है । मई 2006 में एक दिन की शाम को चेरवाहा चू शंग फू बकरियों को चराने के बाद घर लौट रहा था , रास्ते में उस ने एक मरणासन्न नन्हा प्रोकप्रा प्रजवालस्की देखा । चेरवाहा चू शंग फू इस बेचारे नन्हा प्रोकप्रा प्रजवालस्की को गोद में लिये घर ले आया , फिर वह अपनी पत्नी के साथ बड़ी सावधानी से इस नन्हे प्रोकप्रा प्रजवालस्की को पालने में जुट गयी । क्योंकि इस नन्हे प्रोकप्रा प्रजवालस्की का जन्म अभी अभी हुआ , इसलिये उसे पालने में दूध पिलाना जरूरी था , पर उन के दुग्ध गायं की दूध देने की अवधि समाप्त हो गयी है , मजबूर होकर यह दंपति प्रतिदिन अपने पैसे से दूध खरीदकर उसे पिलाता था।

प्रिय दोस्तो , प्रोकप्रा प्रजवालस्की मुख्यतः छिंगहाई झील क्षेत्र के हाई आन और कांग चाई आदि जगहों में बसे हुए हैं , क्योंकि इन क्षेत्रों की प्राकृतिक स्थिति बहुत उम्दा है और पर्याप्त पानी व हरी भरी घास भी उपलब्ध है , इसलिये यहां प्रोकप्रा प्रजवालस्की के रहने के लिये अनुकूल है । प्रोकप्रा प्रववालस्की का स्वभाव बहुत चतुर व चौकस है और दौड़ने में भी बेहद तेज है , इसलिये पर्यटकों को दूर से खड़े होकर दूरबीन से उन्हें देख सकते हैं ।

हालांकि प्रोकप्रा प्रजवालस्की चतुर और चौकस हैं , पर वे मानता से परिचित हैं । यदि वे किसी व्यक्ति से परिचित हैं , तो वे बच्चों की तरह उस व्यक्ति के पास बड़े प्रेम से चलते फिरते हैं । छिंगहाई झील क्षेत्र की बहुत सी जगहों में बहुत से स्थानीय चेरवाहों व प्रोकप्रा प्रजवालस्की के बीच मर्मस्पर्शी कहानियां प्रचलित हैं ।

मसलन हाई य्येन कांऊटी के ह्वांग छाव गांव में चेरवाहे चू शंग फू और अपनी पत्नी ल्यू श्यू मेई की नन्हे प्रोकप्रा प्रजवालस्की का पालन पोषण करने की कहानी स्थानीय वासियों के जुबान पर है । मई 2006 में एक दिन की शाम को चेरवाहा चू शंग फू बकरियों को चराने के बाद घर लौट रहा था , रास्ते में उस ने एक मरणासन्न नन्हा प्रोकप्रा प्रजवालस्की देखा । चेरवाहा चू शंग फू इस बेचारे नन्हा प्रोकप्रा प्रजवालस्की को गोद में लिये घर ले आया , फिर वह अपनी पत्नी के साथ बड़ी सावधानी से इस नन्हे प्रोकप्रा प्रजवालस्की को पालने में जुट गयी । क्योंकि इस नन्हे प्रोकप्रा प्रजवालस्की का जन्म अभी अभी हुआ , इसलिये उसे पालने में दूध पिलाना जरूरी था , पर उन के दुग्ध गायं की दूध देने की अवधि समाप्त हो गयी है , मजबूर होकर यह दंपति प्रतिदिन अपने पैसे से दूध खरीदकर उसे पिलाता था। उन के स्नेहपूर्ण देखरेख में यह नन्हा प्रोकप्रा प्रजवालस्की बड़ा हो गया और उन के बीच इतना गहरा प्रेमभाव भी कायम हो गया कि ल्यू श्यू मेई जहां जाती थी , तो यह नन्हा प्यारा प्रोकप्रा प्रजवालस्की ल्यू श्यू मेई के पीछ भी वहां जाता था । बाद में एक व्यक्ति ल्यू श्यू मेई के घर जाकर 8 हजार य्वान में इस नन्हे प्रोकप्रा प्रजवालस्की को खरीदना चाहता था , पर इस दंपति ने उसे बेचने से एकदम इनकार कर दिया । बाद में इस दंपति ने प्यारे नन्हे प्रोकप्रा प्रजवालस्की को जल्द ही प्राकृतिक पर्यावरण में वापस लौटने देने के लिये स्थानीय जावरी संरक्षण विभाग को सौंप दिया ।

जी हां , स्थानीय चेरवाहे अपनी नम्रता और स्नेह से छिंग हाई झील क्षेत्र में बसे इन बड़े प्यारे नन्हे प्रोकप्रा प्रजवालस्की का संरक्षण करने में जुट हुए हैं । कुछ ग्रामीण वासियों ने नन्हे प्रोकप्रा प्रोजवालस्की को बचाने के लिये अपने बच्चे का दूध भी पिलाया , और कुछ चेरवाहे अपने चरागाह पर प्रोकप्रा प्रजवालस्की को घास खिलाने दे दिया । सर्दियों में बर्फीले मौसम में स्थानीय चेरवाहे स्वेच्छा से प्रोकप्रा प्रजवालस्की को चारा भी खिला देते हैं ।

पर स्थानीय प्रोकप्रा प्रजवालस्की की मौजूदा स्थिति फिर भी आशाप्रद नहीं है और लुप्त होने की उन की स्थिति सामने खड़ी हुई है । छिंग हाई झील क्षेत्र की कांग छाई कांऊटी में एक बुजुर्ग तिब्बती जातीय न्यायधीश चओ थाई को प्रोकप्रा प्रजवालस्की से विशेष लगाव है । 2007 के शुरू में सेवा से निवृत चओ थाई ने प्रोकप्रा प्रजवालस्की की रहने और वंशवृद्धि होने की स्थिति का पर्वेक्षण करना शुरू किया । उन का मानना है कि प्राकृतिक पर्यावरण में आयी बिगाड़ से प्रोकप्रा प्रजवालस्की के रहने के कुछ अखाड़े खो गये हैं ।

व्यक्तियों की संख्या बढने की वजह से प्रोकप्रा प्रजवालस्की रहने का गुंजाइश लुप्त होता जा रहा है , यह प्रोकप्रा प्रजवालस्की के अस्तित्व के लिये अत्यंत हानिकारक है ।

श्री चओ थाई ने आगे कहा कि अभी छिंगहाई झील क्षेत्र में चार सौ से अधिक प्रोकप्रा प्रजवालस्की रहते हैं , इसलिये उन की वंशवृद्धि बढाने के लिये और प्रभावशाली कमद उठाकर उन के बचाव व संरक्षण को मजबूत बनाना चाहिये । उन्हों ने कहा कि प्राकप्रा प्रजवालस्की की रक्षा करने के लिये बहुत ज्यादा काम करना बाकी है ।