2008-04-19 18:29:32

ल्हासा की वरिष्ठ भिक्षुओं ने कहा कि चंद भिक्षुओं की हिंसक कार्यवाई दर्दनायक है

ल्हासा शहर की सेरा मठ के 75 वर्षीय वरिष्ठ भिक्षु लोसांग छोसफेल ने 18 तारीख को कहा कि उन्हें चंद भिक्षुओं द्वारा 14 मार्च गंभीर हिंसक कार्यवाई में भाग लेने पर दुख है।

लोसांग छोसफेल ने कहा कि तिब्बती बौद्ध धर्म की देशभक्ति और धर्मभक्ति की परम्परा है। इतिहास में अधिकांश दलाई लामा और पंचन लामा मातृभूमि के एकीकरण की रक्षा करते थे और तिब्बत संबंधी चीन की केंद्र सरकार की नीतियों का समर्थन करते थे ।

द्रेपुंग मठ के जीवित बुद्ध नगावांग दोंगचोग ने कहा कि क्यों इधर के वर्षों में द्रेपुंग मठ में लगातार ऐसी समस्याएं उत्पन्न हुई हैं , इस के दो कारण हैं , एक, यह मठ दलाई लामा का मूल मठ है। दूसरा, चीन विरोधी पश्चिमी शक्तियां गुप्त रूप से तिब्बती समस्या में हस्तक्षेप करती रहती हैं।

दलाई गुट और विदेशी अलगाववादी शक्ति के उकसाने में उक्त दोनों मठों के चंद भिक्षुओं ने ल्हासा हिंसक घटना में भाग लिया। उन की गैरकानूनी कार्यवाइयों की समाज के विभिन्न तबकों द्वारा जबरदस्त निंदा की गयी है, साथ ही मठ के अंदर में भी उन पर बड़ा असंतोष पैदा हुआ है। व्यापक भिक्षुओं ने कहा कि हिंसक कार्यवाइयां करने वाले भिक्षुओं ने मनमानियां करके कानून का उल्लंघन किया है और साथ ही बौद्ध धर्म का भी अपमान किया है। उन्होंने कहा कि वे अलगाववाद का दृढ़ विरोध करते हैं, मातृभूमि के पुनरेकीकरण और जातीय एकता की रक्षा करते हैं, मठ के विभिन्न कार्यों को अच्छी तरह अंजाम देंगे और सामान्य धार्मिक व्यवस्था की रक्षा करेंगे, ताकि तिब्बत में अर्थतंत्र व समाज और सामन्जस्यपूर्ण हो और जनता और सुखमय हो। (श्याओयांग)

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