2008-04-19 18:19:39

जन दैनिक के समुद्री पारी अंक ने समीक्षा जारी करके कहा कि दलाई लामा मानवाधिकार पर धोखेबाजी न करे

चीनी अखबार जन दैनिक के समुद्री पारी अंक ने 19 तारीख को एक लेख जारी करके बताया कि दलाई लामा मानवाधिकार पर धोखेबाजी न करें।

लेख में बताया गया कि मानवाधिकार दलाई लामा का पसंदीदा ताश जैसा है , जिसे वे खेलना पसंद करते हैं और अच्छी तरह भी खेल सकते हैं। विदेशी मालिक की शिक्षा दीक्षा से उन का खेलने का हथकंडा इतना उन्नत हुआ कि कुछ दयालु लोगों को धोखे में डाला गया है और उन्हें अपने विदेशी मालिक से प्रशंसा भी हासिल हुई है।

याद रहे , दिसम्बर 1948 में , संयुक्त राष्ट्र संघ के पेरिस सम्मेलन में विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र को पारित हुआ , जिस की चौथी धारा के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को गुलाम या दास नहीं बनाया जाना चाहिए। किसी भी रूप की गूलामी व्यवस्था और गुलाम बिक्री निषिद्ध होनी चाहिए। लेकिन पुराने तिब्बत में दलाई लामा न सिर्फ भूदासों के मालिक थे, साथ ही वे दुष्ट शक्तियों के प्रतिनिधि भी थे। दलाई लामा का जन्मदिन मनाने के लिए भूदासों को जिन्दा मारा जाता था और उन के चमड़े उधेड़े जाते थे।

लेख में कहा गया कि दुनिया में सब से बर्बर पशु भी अपनी नस्ल की हत्या नहीं करता है, लेकिन, दलाई लामा गुट इतनी बर्बरता से तिब्बती बंधुओं का नरसंहार करता था। क्या वे लोग भी इंसान कहलाने के लायक हैं। क्या दलाई लामा ने मानवाधिकार घोषणा पत्र पढ़ा है ? मानवाधिकार घोषणा पत्र से जो वर्जित होता है, वही क्या दलाई लामा द्वारा की असली हरकत नहीं है ? दलाई लामा को मानवाधिकार की चर्चा करने का क्या अधिकार है ?! (श्याओयांग)