चीन के तिब्बत स्वायत प्रदेश के शिकाजे के जाश्लंबू मठ की मरम्मत परियोजना 18 तारीख को औपचारिक रूप से शुरू हुई। यह इस बात का द्योतक है कि तिब्बत में 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान, प्रमुख सांस्कृतिक अवशेषों की संरक्षण परियोजना चतुर्मुखी रूप से शुरू हो गई है।
जाश्लंबू मठ तिब्बती बौद्ध धर्म के मुख्य मठों में से एक है और पंचनलामा का निवास स्थान भी है। वर्ष 1961 में उसे चीनी राज्य परिषद द्वारा देश की प्रथम प्रमुख सांस्कृतिक अवशेष संरक्षण इकाई घोषित किया गया। तिब्बत स्वायत प्रदेश के सांस्कृतिक धरोहर ब्यूरो के संरक्षण ब्यूरो के प्रधान श्री ल्यू शी जुंग ने परिचय देते हुए बताया कि सरकार जाश्लंबू मठ की संरक्षण व मरम्मत परियोजना में लगभग 12 करोड़ चीनी य्वान की पूंजी लगाएगी।
तिब्बत स्वायत प्रदेश के सांस्कृतिक धरोहर ब्यूरो के प्रधान श्री यूदावा ने परिचय देते हुए बताया कि जाश्लंबू मठ समेत तिब्बत में 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान प्रमुख सांस्कृतिक अवशेषों की संरक्षण परियोजना में कुल 22 परियोजनाएं शामिल हैं। चीनी राष्ट्रीय विकास व रूपांतरण कमेटी और चीनी वित्त मंत्री ने 57 करोड़ चीनी य्वान की पूंजी देने का निर्णय लिया है।
ध्यान रहे, हाल में तिब्बत में कुल 2000 से ज्यादा विभिन्न किस्मों के धरोहर स्थल हैं, जिन में से तीन दुनिया की सांस्कृतिक धरोहरों की नामसूची में शामिल किये जा चुके हैं और 35 राष्ट्रीय स्तरीय प्रमुख सांस्कृतिक अवशेष संरक्षण इकाइयां हैं। चीन की केंद्र सरकार हमेशा से तिब्बत के सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण कार्य को बड़ा महत्व देती आई है। पिछले 20 वर्षों से भी अधिक समय में चीन ने कुल मिलाकर 70 करोड़ से ज्यादा चीनी य्वान की पूंजी लगा कर तिब्बत की सांस्कृतिक धरोहरों की मरम्मत व संरक्षण किया है।(श्याओयांग)