2008-04-18 16:30:11

विशेषज्ञों का कहना है कि "ल्यांगचो वार्ता"से तिब्बत चीन का एक अभिन्न अंग जाहिर हुआ

चीनी समाचार ऐजंशी शिनह्वा की रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिमी चीन के कान सू प्रांत के लान्चो विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफैसर श्री फ़ान पाओल्यांग, जो गत शताब्दी के सत्तर वाले दशक से तिब्बती जाति के इतिहास का अनुसंधान कर रहे हैं, ने जानकारी देते हुए कहा कि"ल्यांग चो वार्ता"महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना से जाहिर हुआ है कि तिब्बत चीन का एक अभिन्न अंग है।

श्री फ़ान पाओल्यांग ने कहा कि चीन का इतिहास बहुत पुराना है, जिसे चीनी राष्ट्र की विभिन्न जातियों ने समान रूप से रचा है । वर्ष 1247 में मंगोल जाति और तिब्बती जाति के नेताओं के बीच"ल्यांगचो वार्ता"सफलतापूर्वक आयोजित हुई थी । मंगोल जाति और तिब्बती जाति ने चीनी राष्ट्र की जातीय एकता के लिए अपना-अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

सूत्रों के अनुसार, तिब्बत के संदर्भ में वार्ता में ये विषय शामिल हैं, तिब्बत के स्थानीय भिक्षुओं, अधिकारियों व तिब्बती लोगों को मंगोल खान के अधिनस्थ मानने चाहिए, विभिन्न स्थलों के भिक्षुओं, अधिकारियों व तिब्बती जनता के राजनीतिक व प्रशासनिक क्षेत्र से संबंधित मामलों का प्रबंधन मंगोल दरबार द्वारा भेजे गए अधिकारियों से किया जाना चाहिए, धर्म और मठ से संबंधित मामलों का प्रबंधन करने के लिए मंगोल दरबार विशेष तौर पर स्थानीय धार्मिक नेताओं को अधिकार सौंप देगा ।

श्री फ़ान पाओल्यांग ने कहा कि"ल्यांगचो वार्ता"से जाहिर हुआ है कि तिब्बत चीन का एक अभिन्न अंग है । उस समय चीन एकीकृत बहु जातीय सुदृढ़ देश बन गया था। (श्याओ थांग)