
22 तारीख को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा तय किया गया विश्व जल दिवस था। संयुक्त राष्ट्र संघ ने उसी दिन जल दिवस मनाते हुए विभिन्न देशों से जल-संसाधन के प्रबंधन व अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने की अपील की , ताकि पानी के अभाव का मुकाबला किया जा सके ।
पानी मानव के सब से मूल्यवान संसाधनों में से एक है । लेकिन मीठा पानी , जो मानव के लिए उपयोगी है , पृथ्वी पर मौजूद कुल पानी का 0.26 प्रतिशत भाग है । इसलिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 1993 से प्रति वर्ष की 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाना तय किया है। संयुक्त राष्ट्र संघ के अनाज व कृषि संगठन के महासचिव श्री दिऊफ ने कहा कि जल के अभाव से विश्व व्यापी संकट पैदा हो सकता है ।
उन्हों ने कहा कि पानी के बिना हम उत्पादन नहीं कर सकते। संक्षेप में कहें , तो पानी के बिना मानव के लिए खाद्य पदार्थ भी नहीं रहेंगे । पानी के अभाव का सारे समाज और आर्थिक जीवन पर प्रभाव पड़ेगा । आज विश्व में 2 अरब 80 करोड़ लोग पानी के अभाव से पीड़ित हैं, पर वर्ष 2025 तक विश्व की कुल जनसंख्या का दो तिहाई भाग पानी के
अभाव से ग्रस्त रहेगा ।
संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2000 में सहस्राब्दी विकास के 8 लक्ष्य तैयार किये , उन में से एक है कि 5 वर्ष की उम्र से कम बच्चों की मृत्यु दर में दो तिहाई की कमी संपन्न करना।पर साफ सुरक्षित पेयजल का अभाव बच्चों की मृत्यु का प्रमुख कारण रहा है । संयुक्त राष्ट्र महासचिव के जल व चिकित्सा परामर्श कमेटी के प्रधान ,हॉलैंड के युवराज विलियम एलेक्जैंडर ने कहा ,हर वर्ष सुरक्षित पेयजल के अभाव से 5 वर्ष से कम आयु वाले लगभग 16 लाख बच्चों की मृत्यु हो जाती है । यह संख्या वर्ष 2004 में दक्षिण पूर्वी एशिया में आई सुनामी के कारण मारे गये व्यक्तियों से 8 गुणा अधिक है ।
बच्चों की मृत्यु दर के सिवा गरीबी-उन्मूलन , शिक्षा , पुरूष व स्त्री लिंग की समानता तथा अनवरत विकास आदि के विषय सब जल संसाधन से जुड़े हुए हैं । अफ्रीका विश्व में सब से अधिक गरीबी वाला क्षेत्र है , और यहां पानी का अभाव सब से अधिक है । अफ्रीकी जल संसाधन परिषद की अध्यक्ष , युगांडा की जल-संरक्षण मंत्री सुश्री मुटागाम्बा ने कहा ,साफ सुरक्षित पेयजल के अभाव से बहुत से लोगों को संक्रमित रोग हो जाते हैं । अगर जोरदार कदम न उठाए गए , तो वर्ष 2015 तक सुरक्षित पेयजल की आपूर्ति के अभाव वाले व्यक्तियों की संख्या दुगुनी हो जाएगी ।
फिर श्री दिऊफ ने कहा कि वर्ष 2015 तक संयुक्त राष्ट्र संघ के सहस्राब्दी विकास लक्ष्य को साकार करने के लिए जन संसाधन का संश्रित व अनवरत प्रबंधन किया जाना चाहिये । उन्हों ने अंतर्राष्ट्रीय व क्षेत्रीय वर्गों से सहयोग करने की अपील की ।
विभिन्न देशों के बीच सीमा-पार जल-संसाधन के प्रबंध को मजबूत किए जाने की बड़ी आवश्यकता है । और विभिन्न देशों के बीच आवश्यक संरचना कायम कर न्याय व निष्पक्षता के आधार पर जल संसाधन के प्रति प्रतिस्पर्द्धा का निपटारा किया जाना चाहिये ।
पानी मानव का मूल्यवान संसाधन है । लोग अपने गीतों में गाते रहे हैं कि पानी मानवीय संसाधन है , मानव को पानी का प्रयोग करते समय इसे मूल्यवान समझना ही चाहिये ।
