2008-04-16 15:15:48

पेइचिंग शहर की गली च्यांग म्युजियम का दौरा

पश्चिम पेइचिंग शहर स्थित लू काउ पुल के पास खड़ा एक छोटा वान फिंग नगर है , इस नगर में गली चांग नामक पुराना पेइचिंक सांसारिक म्युजियम अपनी विशेष पहचान बना लेता है । क्योंकि यह म्युजियम पेइचिंग की परम्परागत सांस्कृति से प्यार करने वाले एक बुजुर्ग पेइचिंग वासी ने स्थापित किया है । असल में चीनी भाषा में हू थुंग यानी गली पुरानी परम्परागत पेइचिंग संस्कृति का प्रतिनिधित्व है , जबकि चांग का अर्थ है इस म्युजियम के मालिक का कुल नाम है । इस म्युजियम का क्षेत्रफल कोई सात सौ से अधिक वर्गमीटर है और इस में हजार से अधिक परम्परागत दस्तकारी वस्तुएं और लोक कलात्मक कृतियां तथा सौ से ज्यादा पुराने ऐतिहासिक फोटो संग्रहित हुए हैं ।

आप जरूर जानते ही होंगे कि चालू वर्ष की ग्रमियों में पेइचिंग में 29 वां आँलम्पिक खेल समारोह का आयोजन होगा । आज इस तीन हजार वर्ष पुराने शहर में हुए भारी परिवर्तन अधिकाधिक देशी विदेशी पर्यटकों को मोहित करते हैं ही नहीं , बड़ी तादाद में पर्यटक इस प्राचीन शहर की शानदार छवि को अपनी आंखों से देखने के लिये होड़ सी भी लगाते हैं । आज के इस कार्यक्रम में हम आप को इस प्राचीन शहर की पुरानी गलियों में पुराने पेइचिंग का मजा लेने ले चलते हैं ।

पश्चिम पेइचिंग शहर स्थित लू काउ पुल के पास खड़ा एक छोटा वान फिंग नगर है , इस नगर में गली चांग नामक पुराना पेइचिंक सांसारिक म्युजियम अपनी विशेष पहचान बना लेता है । क्योंकि यह म्युजियम पेइचिंग की परम्परागत सांस्कृति से प्यार करने वाले एक बुजुर्ग पेइचिंग वासी ने स्थापित किया है । असल में चीनी भाषा में हू थुंग यानी गली पुरानी परम्परागत पेइचिंग संस्कृति का प्रतिनिधित्व है , जबकि चांग का अर्थ है इस म्युजियम के मालिक का कुल नाम है । इस म्युजियम का क्षेत्रफल कोई सात सौ से अधिक वर्गमीटर है और इस में हजार से अधिक परम्परागत दस्तकारी वस्तुएं और लोक कलात्मक कृतियां तथा सौ से ज्यादा पुराने ऐतिहासिक फोटो संग्रहित हुए हैं ।

इस गली चांग म्युजियम में कदम रखते ही पेइचिंग ढोल की ऊंची आवाज सुनने को मिलती है , फिर पुराने पेइचिंग की विविधतापूर्ण पुरानी लोक कलात्मक कृतियां पर्यटकों को तुरंत ही अपनी ओर खिंच लेती हैं । इस म्युजियम में कार्यरत हरेक कर्मचारी जब यहां पर सुरक्षित पुरानी दुर्लभ वस्तुओं की चर्चा करता है , तो वह इन से फटाफट इतनी तफसील से आप को अवगत करा सकते हैं , मानो ये सभी वस्तुएं अपने घर की हों । इस म्युजियम में स्थापित पेइचिंग का स्वाद नामक सौ मीटर पुरानी पेइचिंग सड़कों का नमूना सब से आकर्षित है । इस नमूने में फिर एक बार बीसवीं सदी के 20 व 30 वाले दशकों में प्राचीन पेइचिंग बाजार संस्कृति की अभिव्यक्ति हुई है और पुराने पेइचिंग वासियों के जीवन का दृश्य नजर आया है । इस नमूने में एक सौ 40 से ज्यादा पुरानी दुकानें , खाद्य तेल व नमक दुकान , ऊनी दुकान और वस्त्र दुकान और आज सुरक्षित दो पुरानी दुकानों का नमूना भी उपलब्ध हैं । साथ ही सड़क पर दसेक पुराने आकार वाले वाहन और विभिन्न रूपों वाली जीती जागती रंगीन मिट्टी आकृतियां भी दिखाई देती हैं । ऐसी सड़क में घूमते हुए पर्यटक मानों फिर प्राचीन पेइचिंग शहर के पर्यावरण में लौट गये हों । 

इस गली चांग म्युजियम में कार्यरत गाइड ल्यू ने ऊन धागा दुकान का परिचय देते हुए कहा कि इस दुकान का असली नाम थ्येन हो छंग है , पर लोगों के बीच इस नाम के बजाये बड़ा हुक्का नामक नाम ज्यादा लोकप्रिय रहा है । कारण यह है कि पुराने जमाने में अधिकतर महिलाएं अन्पढ़ थीं , उन्हें बाजार आने के बाद इस ऊनी धागा दुकान की खोज करने में काफी बड़ी दिक्कत थी , अक्सर वे गलती से दूसरों की दुकान में प्रविष्ट करती थीं । यह स्थिति देख कर इस ऊनी धागा दुकान का मालिक बहुत चिंतित था । अपने व्यापार पर असर पड़ने न देने के लिये उस ने अपनी दुकान के गेट के ऊपर एक बड़ा हुक्का लगा दिया , ताकि अन्पढ़ महिलाएं आसानी से उस की दुकान को पहचान सके और अंदर जाकर खरीददारी कर सके । धीरे धीरे यह दुकान बड़े हुक्के के नाम से प्रसिद्ध हो गयी है ।