2008-04-14 10:58:54

तिब्बत के वरिष्ठ जीवित बौद्धों ने कहा तिब्बती परम्परागत बौद्ध धर्म हिंसा को इन्कार करती है

ल्हासा व अन्य तिब्बती क्षेत्रों में भड़की तोड़ फोड़, मारपीट, लूटमार व आगजनी गंभीर हिंसक घटना पर तिब्बत के वरिष्ठ जीवित बौद्धों ने इस की निन्दा करने के साथ अलग अलग तौर से जोर देकर कहा कि तिब्बत परम्परागत बौद्ध धर्म करूणा के प्रसार को प्रेरित करने और निर्दयता हरकतों को रोकने का पक्ष लेता है तथा हिंसा को इन्कार करता है, नम्र से अपनी मांग पेश करता है।

बौद्ध धर्म संघ की तिब्बती शाखा के उपानिदेशक व जीवित बौद्ध दुपखांग दुपदेन खेदप ने कहा कि जब उन्होने ल्हासा की 14 मार्च हिंसक घटना में कुछ तिब्बती बौद्ध का चोगा पहने भिक्षुओं को हिंसक कार्रवाई से बौद्ध धर्म का अपमान करते देखा तो उन्हे असीम रोष व दुख हुआ।

बौद्ध संघ की तिब्बती शाखा के उपनिदेशक दादराक तेन्जीन गेलेग ने कहा कि चन्द गैर कानूनी व्यक्तियों की तोड़ फोड़, मारपीट, लूटमार व आगजनी कार्रवाईयों ने पूरी तरह महात्मा बौद्ध के करूणा व कल्याण मूल सिद्धांतो का ही नहीं बल्कि बौद्ध धर्म के सूत्रों का भी उल्लंघन किया है।

वर्तमान तिब्बत की मात्र महिला जीवित बौद्ध सानदांग दूरजेफाकमो देछेन छोदरून ने भी कहा कि मंदिर लोगों की आवाज सुनने व बौद्ध पूजा का पवित्र स्थल है, भिक्षुओं को पूरे तन मन से बौद्ध धर्म का अध्ययन करना चाहिए। कुछ गैर कानूनी भिक्षु हाथों में डंडे , पत्थर व छुरी लिए मासूम लोगों का पीछा कर उन्हे मारना, कत्ल करना , कैसे उनके दिल में थोड़ी सी भी करूणा व प्रेम भावना व तरस तक नहीं रही है।

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