चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ ने 12 तारीख को बताया कि तिब्बती मामला बिल्कुल चीन का अंदरूनी मामला है ।चीनी केंद्रीय सरकार और दलाई लामा गुट के बीच की टकराव जातीय सवाल ,धार्मिक सवाल व मानवाधिकार सवाल नहीं बल्कि मातृभूमि विभाजित करने या मातृभूमि के एकीकरण को बनाए रखने का सवाल है ।
श्री हू चिन थाओ ने दक्षिण चीन के सान या शहर में आस्ट्रेलियाई प्रधान मंत्री केविन रुद से मुलाकात में उक्त बात कही ।उन्होंने कहा कि चीन की तिब्बत में हुई गंभीर आपराधिक कार्वाहियां शांतिपूर्ण प्रदर्शन व अहिंसा कार्यवाही नहीं है ।वह सरासर एक हिंसक अपराध है ।मानवाधिकार ,सामाजिक व्ववस्था व जनता की जाली माली संपत्ति पर गंभीर हानि पहुंचाने वाली इस तरह की आपराधिक गतिविधि पर कोई भी जिम्मेदाराना सरकार इस का निपटारा करने में हाथ धरे नहीं बैठ सकती है ।
श्री हू चिन थाओ ने बल देकर कहा कि दलाई लामा के साथ वार्तालाप करने का केंद्रीय सरकार का द्वार खुला है ।दोनों पक्षों के बीच वार्ता करने की बाधा हमारी तऱफ नहीं है ,बल्कि दलाई लामा गुट की ओर से है ।अगर दलाई लामा अपनी सदिच्छा प्रकट करना चाहता है , तो उसे व्यावहारिक कदम उठाना चाहिए ।अगर दलाई लामा मातृभूमि विभाजित करने ,हिंसा उकसाने व पेइचिंग ऑलंपियाड को भंग करने की गतिविधियां को बंद करता है , तो हम हर समय पर उस के साथ वार्ता करने को तैयार है ।
श्री केविन रूद ने बल देकर कहा कि आस्ट्रेलिया तिब्बत व ताइवान पर चीन की प्रभुत्व को पूरी मान्यता देता है ।आस्ट्रेलिया की एक चीन नीति नहीं बदलेगी ।उन्होंने पेइचिंग ऑलंपियाड की सफलता की पर शुभकामनाए व्यक्त की ।
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