2008-04-09 10:52:48

चीनी और विदेशी नटकलाकारों का ऊछाओ में मिलन-समारोह

कुछ समय पहले उत्तरी चीन के हपे प्रांत की राजधानी शीच्याज्वांग में 11वां ऊछाओ अंतर्राष्ट्रीय नटकला उत्सव संपन्न हुआ।वर्ष 1987 में शुरू हुआ इस तरह का उत्सव विश्व में 3 प्रमुख नटकला उत्सवों में से एक है।सो इसे वैश्विक स्तर पर नटकलाकारों का मिलन-समारोह भी कहलाता है।

चीन में नटकला का इतिहास 2000 वर्षों से पहले के हान राजवंश से शुरू हुआ था।खदाई से प्राप्त ग्रंथों के अनुसार प्राचीन काल में नटकला आम चीनियों का एक प्रमुख मनोरंजन-मुद्दा थी।उस समय खुले मैदान पर नटकलाकार लकड़ी के डंडे-डंडियों,कटोरे-कटोरियों, तश्त-तश्तरियों और तीरों व चाकुओं से ही तरह-तरह के आश्चर्यजनक तमाशे करके दिखाते थे।

हपे प्रांत के दक्षिणी भाग में स्थित ऊछाओ नगर चीन का नटकला-घर माना गया है।चीन के बहुत से श्रेष्ठ नटकलाकार और नट-कार्यक्रम इसी नगर से आए हैं।ऊछाओ में नटकला-स्कूल,नटकला-मंडली बहुत मशहूर हैं और नटकला के विषय पर बनी पार्क साल भर देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करती है।बहुत से विदेशी लोग चीनी नटकला सीखने के लिए विशेष तौर पर इस नगर में आते हैं।

सानटोस वेनेजुला से आए एक नटकलाकार है।अपने पेशावर कौशल को उन्नत करने के लिए वे ऊछाओ अंतर्राष्ट्रीय नटकला स्कूल का एक छात्र बने हैं।उन्हों ने कहाः

'मुझे यहां आए 4 महीने हो चले हैं।मैं इसलिए यहां आया हूं क्योंकि चीन की नटकला सर्वश्रेष्ठ है।यहां मुझे उसे सीखने का अच्छा मौका मिला है। मैं यहां मुख्य रूप से रस्सी के सहारे ऊंचाई पर चक्कर लगाने और कुर्सियों से बनी ऊंची सीढी पर तरह-तरह की अंगभंगिमाएं दिखाने का हूनर सीखता हूं।'

ऊछाओ अंतर्राष्ट्रीय नटकला स्कूल सन् 1983 में कायम किया गया।इस में चीनी छात्रों के अलावा विदेशी छात्र भी ज्यादा हैं।वर्ष 2002 में चीन सरकार ने इस स्कूल में पढ़ रहे विदेशी छात्रों को वित्तीय सहायता देनी शुरू की।विदेशी छात्र निःशुल्क इस स्कूल में एक साल का अध्ययन कर सकते हैं।अब इस स्कूल में 24 विदेशी छात्र पड़ रहे हैं,जिन में सब से छोटे की उम्र 8 साल और सब से बड़े की 20 साल है।वे सब नटकला में गहरी दिलचस्प लेते हैं।स्कूल के कुलपति के अनुसार अब तक इस स्कूल से 150 से अधिक विदेशी छात्र प्रशिक्षण लेकर स्वदेश लौट हैं।

चीनी नटकलाकारों ने सन् 1956 में अंतर्राष्ट्रीय नटकला प्रतियोगिता में भागीदारी शुरू करने के बाद पिछले 20 वर्षों में सौ से ज्यादा स्वर्ण पदक जीते हैं।चीनी नटकला भी नये सृजन के आधार पर लगातार विकसित होती चली गई हैं।20 वर्षीय नटकलाकार ल्यांग-जन ने कहा कि उन्हें नटकला बहुत भाती है औऱ विभिन्न क्षेत्रो में जाकर प्रदर्शन करना उन्हें अच्छा लगता है।इस तरह की जिन्दगी उन्हें रोजाना नयापन देकर परिपूर्णता का एहसास कराती है।दर्शकों की तालियां उन की जिन्दगी को सार्थक बनाती हैं।उन का कहना हैः

` मुझे मलेशिया औऱ कोरिया गणराज्य की यात्रा करने के मौके मिले।इन देशों के सोल और क्वालालंबुर आदि शहरों में हम ने प्रदर्शन किए।देश में जो कार्यक्रम हम ने पेश किए थे,वे सब इन शहरों में भी दिखाए गए और उन्हों ने दर्शकों से वाह-वाही लूटी।मुझे लगता है कि हमारे जीवन में जरा भी ऊबाउपन नहीं है।हर रोज हम रसदारी से बिताते हैं।`

नटकला जनसमुदाय में जन्मी थी।इधर के वर्षों में चीन सरकार ने नटकला समेत परंपरागत संस्कृतियों व कलाओं के संरक्षण में तेजी लाई है,अनेक लोककलाकारों को मास्टर की संज्ञा दी है और उन्हें वित्तीय सहायता दी है।63 वर्षीय वांग बाओ-ह ऊछाओ नटकला को विरासत में लेने वाला एक संवाहक हैं।उन्हों ने कहा कि चीनी नटकला की अपनी ही विशेषता है।वे इस कला के प्राचीन कौशल का शोध कर रहे हैं,ताकि वह लुप्त न हो जाए।उन्हों ने कहाः

`चीनी नटकला का प्राचीन कौशल स्थलों और मंच-सज्जे के कारण सीमित नहीं थे,उसे जहां कहीं भी प्रदर्शित किया जा सकता था।उस की सफलता पूरी तरह तमाशा करने वालों के स्तर पर निर्भर करती थी।चीनी नटकला के अनेक परंपरागत कार्यक्रमों को अभौतिक सांस्कृतिक विरासत का दर्जा मिला है।मैं उन्हें विकसित करने के लिए कोशिश कर रहा हूं।मेरे बेटे और कुछ छात्र ये कार्यक्रम सीखने में लगे हुए हैं।`

श्री वांग बाओ-ह ने जानकारी दी कि चीनी नटकला के परंपरागत कार्यक्रम खुले मैदान में प्रस्तुत किये जाते थे।जो सज्जे प्रयोग में लाए जाते थे,वे रोजमर्रा के जीवन के उपकरण होते थे।कार्यक्रम प्रस्तुतकर्ता दर्शकों से रूबरू होते थे।अगर दर्शकों को किसी तमाशे की सचाई पर संदेह होता था,तो वे आगे चलकर सज्जो को परख सकते थे या सज्जों को बदलने की मांग कर सकते थे।स्थल सीमितता से मुक्त होना,प्रदर्शन की लगात कम होना और कार्यक्रम प्रस्तुतकर्ताओं व दर्शकों के बीच सीधा आदान-प्रदान चीनी नटकला की परंपरागत विशेषता है और इस के चलते चीनी नटकला का गहरा जनाधार है।