हम तिब्बत की राजधानी ल्हासा की ओर जा रहे हैं । रास्ते में हमें भीतरी इलाके के शानशी प्रांत के अनेक पर्यावरण संरक्षण स्वयं सेवक मिले । वे आम तौर पर शानशी प्रांत के ताथोंग शहर के विश्वविद्यालयों के विद्यार्थी हैं और छिंगहाई प्रांत की राजधानी शीनिंग से साइकिल चला कर तिब्बत आए हैं । उन्होंने कहा कि उन की मौजूदा गतिविधि का लक्ष्य पर्यावरण संरक्षण प्रसार-प्रचार करना और रास्ते में गरीब प्राइमरी स्कूलों की स्थिति की जांच करना है । हमारे संवाददाता ने इस टीम के एक सदस्य के साथ साक्षात्कार किया, जो टीम का नेता है । ली च्येनफङ नामक इस विद्यार्थी का कहना है:
"हम ने शानशी से छिंगहाई प्रांत की राजधानी शीनी होकर तिब्बत में प्रवेश किया । आप को पता है कि शानशी प्रांत में वायु प्रदुषण की स्थिति गंभीर है । रास्ते में हम ने देखा कि यहां का पर्यावरण संरक्षण कार्य अच्छी तरह किया जा रहा है । मुझ पर गहरी छाप पड़ी कि यहां प्लास्टिक की थैलियों का प्रयोग कम है । इस के स्थान पर काग़ज़ के लिफाफों का प्रयोग किया जाता है । यह मुझे अच्छा लगता है । दूसरी बात है कि यहां के स्थानीय लोग जल संसाधन को मूल्यवान समझते हैं । वे पानी की किफायत पर ध्यान देते हैं ।"
शानशी के इन विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों के पर्यावरण संरक्षण स्वयं सेवकों ने पर्यावरण संरक्षण के प्रसार-प्रचार के लिए रास्ते में दस हज़ार से ज्यादा व्यक्तियों को गठित कर हस्ताक्षर गतिविधि आयोजित की । इस के साथ ही उन्होंने अपनी टीम के अंदर भी कड़ा अनुशासन रखा है । मसलन वे खाने-पीने के लिए एक ही बार प्रयोग होने वाली वस्तुओं के प्रयोग से इनकार करते हैं, वे मनमाने ढ़ंग से रद्दी इधर-उधर नहीं छोड़ते हैं और रास्ते में दूसरे व्यक्ति द्वारा छोड़ी गई रददी को इक्ट्ठा करने की कोशिश करते हैं । इन विद्यार्थियों से गठित इस टीम में एक साठ वर्षीय बूढ़े भी शामिल हैं । वू पाओथ्येन नामक इस बूढ़े ने कहा कि वे संयम रख कर इस टीम में शामिल हुए हैं। पर्यावरण संरक्षण के प्रसार-प्रचार के महत्व की चर्चा में बूढ़े स्वयं सेवक श्री वू पाओथ्येन ने कहा:
"मुझे लगता है कि हमारे भीतरी इलाके के व्यक्तियों के लिए और स्वच्छ पेय जल की प्राप्ति के लिए पर्यावरण संरक्षण का प्रसार-प्रचार अनिवार्य है। क्योंकि छिंगहाई प्रांत और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश हमारे देश में एक बहुत बड़ा जलाशय है । अगर यहां प्रदूषण होगा, तो भीतरी इलाके में स्थिति कितनी बिगड़ेगी, मैं इस की कल्पना नहीं कर सकता । वर्तमान में चीन के भीतरी इलाके में पेय जल को स्वच्छ करने के पूर्व बिलकुल नहीं पिया जा सकता । लेकिन तिब्बत में हर एक पहाड़ की घाटी में स्वच्छ पानी मिलता है । मेरा विचार है कि यह पर्यावरण संरक्षण का नतीजा है । आशा है कि हमारे तिब्बती बंधु और अन्य जातियों के भाई बहन अच्छे पर्यावरण को बरकार रखेंगे ।"
हम जानते हैं कि एक अच्छे पर्यावरण को बनाए रखने के लिए सभी लोगों की भागीदारी चाहिए। वर्ष 2006 की पहली जुलाई को छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग पर यातायात शुरू होने के बाद समूचे चीन में यहां तक कि विश्व भर में तिब्बत की यात्रा करना एक फैशन बन गया है।इस वर्ष की जनवरी से जुलाई तक तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की पर्यटन आय गत वर्ष की समान अवधि की तुलना में 46 प्रतिशत बढ़ी है । पर्यटन उद्योग के तेज़ विकास से तिब्बत के आर्थिक विकास के लिए एक अच्छा मौका मिला है । लेकिन इस के साथ ही तिब्बत के पर्यावरण संरक्षण के सामने चुनौती भी आई है । लोगों की चिंता है कि पर्यटन उद्योग के विकास से तिब्बत को अल्पकालिक आर्थिक लाभ मिलेगा, लेकिन पर्यटकों की संख्या पर प्रतिबंध और उचित मार्गदर्शन के अभाव से तिब्बत के कमज़ोर प्राकृतिक पर्यावरण और मानव विरासत को भारी क्षति पहुंचेगी । तिब्बत की राजधानी ल्हासा में स्थित विश्वविख्यात मठ जोखान मठ के प्रतिबंध समिति के उप निदेशक श्री निमा त्सेरिंग ने इस पर अपनी चिंता व्यक्त की । उन्होंने कहा कि जोखान मठ का क्षेत्रफल बड़ा नहीं है । हर रोज़ इस में एक हज़ार से ज्यादा पर्यटकों व तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायियों का सत्कार करने की क्षमता है । लेकिन इस वर्ष की जुलाई से सितम्बर तक हर दिन जोखान मठ ने चार हज़ार से ज्यादा व्यक्तियों का सत्कार किया । श्री निमा त्सेरिंग ने कहा:
"हमारी चिंता है कि वर्तमान प्रवृत्ति के चलते अब तक सुरक्षित 1360 से ज्यादा वर्ष पुराने सांस्कृतिक अवशेषों का भविष्य उज्ज्वल नहीं है । जोखान मठ लकड़ी से बना हुए काष्ठ निर्माण है । ज्यादा लोगों के यहां आने-जाने से उस पर पोताला महल की तरह भारी दबाव आएगा ।"
जोखान मठ की प्रतिबंध कमेटी के उप निदेशक श्री निमा त्सेरिंग ने कहा कि मानव जाति को अल्पकालिक आनंद में नहीं डूबना चाहिए । लोगों को प्राकृतिक संसाधन और सांस्कृतिक संसाधन की समझ होनी चाहिए, उन का सम्मान करना चाहिए । खुशी की बात है कि विभिन्न स्तरीय विभागों द्वारा उच्च महत्व देने, सक्रिय भागीदारी और कोशिशों के कारण अब तक तिब्बत की पर्यावरण स्थिति बेहतर रही है । तिब्बत स्वायत्त प्रदेस के पर्यावरण संरक्षण ब्यूरो के प्रधान श्री चांग योंगचह ने कहा:
"वर्तमान में तिब्बत की प्रमुख नदियों के पानी की गुणवत्ता अच्छी है । पर्यावरण व वायु की गुणवत्ता भी नियंत्रित की जा रही है । उदाहरण के लिए वर्ष 2000 से लेकर अब तक राजधानी ल्हासा में वायु की गुणवत्ता दर 95 प्रतिशत बनी रही है । विशेष कर गत वर्ष स्थिति बेहतर थी, जब यह दर 99 प्रतिशत तक पहुंच गई है । ऐसा कहा जा सकता है कि अब तक तिब्बत विश्व में पर्यावरण की गुणवत्ता की दृष्टि से सब से अच्छी जगह है ।" (श्याओ थांग)