लोग कहते हैं कि चीन का तिब्बत स्वायत्त प्रदेश मानव की सब से अंतिम स्वच्छ भूमि है । तिब्बत की चर्चा में लोगों के दिमाग में एकदम वहां का नीला आसमान, सफेद बादल, हरे-हरे पहाड़ और स्वच्छ पानी वाले सुन्दर चित्र उभर आते हैं । लेकिन आर्थिक विकास के चलते लोगों को चिंता हो रही है कि यह अंतिम स्वच्छ भूमि कितनी देर तक कायम रहेगी?छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग पर यातायात शुरू होने के बाद तिब्बत की यात्रा करने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है, जिस से तिब्बत की कमज़ोर पारिस्थीतिकी को भारी क्षति पहुंच सकती है या नहीं ? इन चिंताओं के साथ हाल में हमारे संवाददाता ने तिब्बत के लिनची प्रिफैक्चर और ल्हासा का दौरा किया ।
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश का लिनची प्रिफैक्चर का प्राकृतिक दृश्य बहुत सुन्दर है । तिब्बत के अन्य स्थलों की तुलना में लिनची प्रिफैक्चर की ऊंचाई समुद्री सतह से ज्यादा नहीं है और यहां वनस्पति व जंगल तथा जल संसाधन पर्याप्त हैं । यहां प्रचुर पारिस्थितिकी संसाधन भी हैं । लिनची प्रिफैक्चर ने तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में सब से पहले पारिस्थितिकी क्षेत्र का निर्माण करने का नारा पेश किया, ताकि इस क्षेत्र के घास मैदानों व जंगलों का संरक्षण कर तिब्बत की पारिस्थितिकी सुरक्षा बाड़ की स्थापना की जा सके। लिनची प्रिफैक्चर के पर्यावरण संरक्षण ब्यूरो के पारिस्थितिकी विभाग के प्रधान श्री ह्वांग क्वांगयाओ ने हमारे संवाददाता को बताया कि बाहर के उपक्रमों से यहां पूंजी-निवेश करने के लिए कड़ी मांग की जाती है । पर्यावरण को क्षति पहुंचाने वाली परियोजनाओं पर लिनची प्रिफैक्चर में प्रवेश करने की पाबंदी है । इन में काग़ज़ निर्माण कारखाना, दियासलाई निर्माण कारखाना और कंक्रीट कारखाना शामिल हैं । श्री ह्वांग क्वांगयाओ का कहना है:
"उदारहण के लिए वर्ष 2002 के अंत से वर्ष 2003 के शुरू में लिनची प्रिफैक्चर की लिनची कांउटी में एक कंक्रीट कारखाने की स्थपाना की जा रही थी । यह लिनची के आर्थिक विकास के लिए अच्छी बात है । क्योंकि इस क्षेत्र के तेज़ आर्थिक विकास के लिए बड़ी संख्या में कंक्रीट के प्रयोग की ज़रुरत है । लेकिन अंत में इस कंक्रीट कारखाने का निर्माण पूरा नहीं किया गया । इस क्षेत्र की भूमि के संरक्षण के लिए हम ने उसे बंद कर दिया। आज तक इस कारखाने का प्रमुख ढांचा वहां खड़ा हुआ है । यह एक जीवंत उदाहरण है ।"
पर्यावरण को क्षति पहुंचाने वाली कार्रवाई के स्रोत की कड़ी जांच करने के साथ-साथ लिनची प्रिफैक्टर स्वच्छ ऊर्जा के प्रयोग में क्रियाशील है । इस प्रिफैक्चर के पर्यावरण संरक्षण ब्यूरो के निदेशक श्री वन शूला ने कहा:
"हमारे प्रिफैक्चर में स्वच्छ ऊर्जा के प्रयोग का विस्तार किया जा रहा है । हम ने मैथेन गैस के विकास को प्रधानता दी है। यह ऊर्जा किफायत के क्षेत्र में हमारे द्वारा उठाए गए अनेक कदमों में से एक है। इस के साथ ही हमारे सभी कर्मचारियों की ऊर्जा किफायत वाली विचारधारा भी उन्नत हुई है। आजकल सौर ऊर्जा का प्रयोग भी साधारण बात है ।"
वास्तव में लिनची प्रिफैक्चर में ही नहीं, तिब्बत के अनेकानेक क्षेत्रों में, चाहे सरकारी संस्थाएं हों या आम किसान हों, यहां तक कि मठ मंदिरों में भी सौर ऊर्जा का प्रयोग लोकप्रिय हो रहा है । लिनची प्रिफैक्चर की राजधानी बायी कस्बे से तीस किलोमीटर दूर स्थित एक गांव है, जो मैथेन गैस का प्रयोग करने की आदर्श मिसाल पेश करता है । वर्ष 2006 के मई माह में गांव की मैथेन गैस परियोजना का निर्माण स्वायत्त प्रदेश के वैज्ञानिक व तकनीकी ब्यूरो द्वारा लगाई गई पूंजी से किया गया । सरकार ने औसतन परिवार के किसानों को 3700 य्वान की राशि और संबंधित तकनीक प्रदान की । यहां तक कि सरकार ने किसानों को सब्ज़ी उगाने के लिए बाड़ों की स्थापना करने में भी मदद दी । मैथेन गैस गांव के ग्रामीण 66 वर्षीय चोमा लामू ने हमारे संवाददाता को बताया:
"मैथेन गैस का प्रयोग किए जाने के बाद, हमारे घर में स्वास्थ्य की स्थिति बदली है । पहले जब मैथेन गैस नहीं थी,एक साल में हम तीन ट्रक लकड़ियों का प्रयोग कर लेते थे । खाना पकाने और सूअरों को पालने के लिए ज्यादा लकड़ियों की आवश्यकता पड़ती थी । लकड़ियों से घर में खाना पकाने के कारण रसोईघर बहुत गंदा रहता था । लेकिन आज मैथेन गैस के प्रयोग के बाद स्थिति में भारी सुधार आया है ।"
मैथेन गैस गांव का पुराना नाम है डोबू गांव, जो कृषि प्रधान गांव है । मैथेन गैस के प्रयोग के प्रसार के पूर्व गांववासियों के रोज़ाना जीवन तथा सर्दियों में गर्मी के लिए आवश्यक लकड़ी के लिए पेड़ों पर निर्भर रहना पड़ता था । इस तरह हर साल प्रति परिवार को तीन ट्रक लकड़ियों की आवश्यकता थी । लेकिन मैथेन गैस का प्रयोग किए जाने के बाद हर वर्ष मात्र एक ट्रक लकड़ी चाहिए जिस से बड़े हद तक वन संसाधन का संरक्षण हुआ है । मैथेन गैस गांव के मुखिया श्री छ्याओ चोमा ने कहा कि उन्होंने अपने घर में मैथेन गैस बनाने वाले गड्डे के ऊपर सब्ज़ी बाड़ा बनाया है जिस में तरबूज, टमाटर और ककड़ी आदि सब्ज़ी उगायी जाती है । मैथेन गैस गांव के मुखिया श्री छ्याओ चोमा ने कहा:
"मैथेन गैस गड्डा बनाने के बाद हमारे यहां स्वास्थ्य की स्थिति बड़ी हद तक सुधरी है। गड्डे में इक्ट्ठे गोबर से सब्ज़ी को पोषक पदार्थ मिल जाते हैं, जिस से आर्थिक लाभ भी होता है ।"
इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े । (श्याओ थांग)