लेख में कहा गया है कि 10 मार्च से अब तक विदेशों में चीन के 18 दूतावासों व कौंसुलेटों पर क्रमशः तिब्बत की स्वाधीनता व तिब्बत की सहायता करने वाले अन्तरराष्ट्रीय संगठनों के सदस्यों का हिंसक हमला किया गया, यहां तक कि नेपाल स्थित संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यालय भी नहीं छोड़ा गया। तिब्बत की स्वाधीनता की मांग करने वाले व्यक्तियों ने कानून की अनदेखी करते हुए चीन में पेइचिंग ऑलंपिक पवित्र अग्नि के मशाल रिले में खलल डालने की कुचेष्टा भी की।
लेख में कहा गया है कि वर्ष 1964 में प्रभावी हुई वियना राजनयिक संबंध संधि और वर्ष 1967 में प्रभावी हुई वियना कौंसुलर संबंध संधि के नियमों के अनुसार इन दो संधियों की सीमा में कौंसुलर सीमा का अतिक्रमण नहीं किया जा सकता है। लेकिन तिब्बत की स्वाधीनता की मांग करने वाले व्यक्तियों ने इन अन्तरराष्ट्रीय नियमों व स्थानीय कानूनों को अनदेखा करते हुए उक्त गैरकानूनी कार्यवाही की।
लेख में कहा गया है कि तिब्बत की स्वाधीनता की मांग करने वाले व्यक्तियों द्वारा गैरकानूनी कार्यवाही की जाने से न सिर्फ उन का बदनीयत राजनीतिक उद्देश्य अमल में नहीं लाया जा सकेगा, बल्कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय उन्हें स्पष्ट रूप से देख सकेगा। कुछ देशों की जनता ने उन के द्वारा की गई कार्यवाही की निंदा की है। संबंधित देशों के न्यायिक विभागों ने विवाद पेश खड़ा करने वाले व्यक्तियों को दंड दिया है। (ललिता)