लेख में कहा गया है कि दलाई ग्रुप ने बारबार कहा था कि "दलाई लामा तिब्बत की स्वाधीनता का रूख नहीं अपनाते, चीन सरकार पर विश्वास का अभाव वर्तमान सवाल है ।"लेकिन वास्तव में दलाई का विचार है कि अगर अंतर्राष्ट्रीय परिस्थिति उन के हित में होगी, तो वे स्वाधीनता चाहते हैं, अगर उन्हें लगा कि परिस्थिति उन के हित में नहीं होगी, तो वे अपना रूख बदल लेंगे । वास्तव में दलाई ग्रुप के मातृभूमि को विभाजित करने के मूल में कोई परिवर्तन नहीं आया है और मातृभूमि में गड़बड़ वाली स्थिति बनाने की कार्रवाई कभी बंद नहीं की गई है ।
लेख में कहा गया है कि दलाई एक तरफ़"अहिंसा","मध्यम रास्ता"तथा"शांति वार्ता"की बात करते हैं, दूसरी तरफ़ वह"तिब्बत की स्वाधीनता"पर डटे रहने वाले"तिब्बती युवा संघ"समेत उग्रवादी संगठनों का समर्थन करता है । आज तक दलाई के प्रमुख समर्थक "तिब्बती युवा संघ "के सरगना हैं । (श्याओ थांग)