तिब्बत के ल्हासा में हुई 14 मार्च हिंसक घटना को लेकर चीन में तिब्बती विद्या अनुसंधान केंद्र के विशेषज्ञों ने दलाई ग्रुप की विभाजन की कथनी और करनी की आलोचना की। विशेषज्ञों का विचार है कि इधर के सालों में दलाई ग्रुप की कथनी और करनी से जाहिर है कि उस का चीन का विभाजन करने का स्वभाव नहीं बदला है ।
तिब्बती विद्या अनुसंधान केंद्र के महा निदेशक श्री लापाफिंगज़्वो ने कहा कि 10 मार्च 1959 को दलाई ग्रुप ने ल्हासा में सशस्त्र विद्रोह किया , तब से लेकर अब तक हर साल 10 मार्च को दलाई ग्रुप तथाकथित तिब्बत बगावत दिवस का स्मरणोत्सव और स्थिति के अनुसार विभाजित कार्यवाही करता है।
तिब्बती विद्या अनुसंधान केंद्र के विशेषज्ञ श्री ज़ु श्याओमिन्ग ने कहा कि गत साल युरोप में दलाई ने कहा कि ऑलंपियाड संभवतः तिब्बती व्यक्तियों के लिए अंतिम अवसर होगा और उस ने संबंधित देशों से तिब्बत के सवाल को पेइचिंग ऑलंपियाड के साथ ज़ोड़ने की अपील की।
श्री ज़ु श्याओमिन्ग ने और कहा कि चाहे दलाई ग्रुप और चीन-विरोधी पश्चिमी शक्ति तिब्बत के बारे में कोई भी कदम क्यों न उठाएं,तिब्बत चीन का एक भाग है,इस तथ्य को नहीं बदला जा सकता । (होवे)
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