लेख में कहा गया कि दलाई लामा ग्रुप वर्ष 1959 में सशस्त्र विद्रोह विफल होकर विदेश में भागा और वह लम्बे समय तक मातृभूमि को विभाजित करने में लगा हुआ है । पेइचिंग द्वारा वर्ष 2008 ऑलंपिक खेल समारोह के आयोजन का अधिकार प्राप्त करने के बाद ही दलाई लामा ग्रुप ने "ओलंपिक में अंतिम युद्ध"वाला नारा पेश किया, उस की कुचेष्टा है कि ऑलंपिक खेल समारोह को गड़बड़ कर तथाकथित"तिब्बती स्वाधीनता"को आगे बढ़ाया जा सके । इस तरह उस ने देश के अंदर व बाहर पेइचिंग ऑलंपिक खेल समारोह के खिलाफ़ सिलसिलेवार तोड़फोड़ गतिविधियां चलायीं ।
लेख में कहा गया कि दलाई लामा ग्रुप के उकसावे से मार्च की 14 तारीख को कुछ बदमाशों ने ल्हासा में तोड़-फोड़, लूटमार और आगजनी वाली कार्रवाई की । इसी दिन दलाई लामा ग्रुप ने सम्मेलन आयोजित कर "तिब्बती निष्कासित सरकार के वित्त विभाग" द्वारा पूंजी जुटाने का फैसला कर लिया, ताकि चीन सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए पर्याप्त पूंजी समर्थन प्रदान किया जा सके । इस के साथ ही दलाई लामा ग्रुप ने व्यक्तियों को गठित कर अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस और भारत आदि दस से ज्यादा देशों स्थित चीनी दूतावासों पर प्रहार किया । (श्याओ थांग)
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