2008-03-27 16:34:34

तिब्बत के विभिन्न तबकों के लोगों ने 14 मार्च ल्हासा हिंसा घटना की कड़ी निन्दा की

मध्य मार्च में चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हास में मारपीट , तोड़फोड़ , लूटमार और आगजनी की हिंसक घटना हुई , इस की तिब्बत के धार्मिक जगत , आम नागिरकों तथा विद्वानों ने कड़ी निन्दा की । उन्हों ने कहा कि हिंसा घटने के अपराधियों ने मानवता का उल्लंघन कर ल्हासा में मुश्किल से प्राप्त निर्माण उपलब्धियों को बर्बाद कर दिया । उन्हों ने अपील की कि इस प्रकार की वारदात को फिर से नहीं घटित होने दिया जाना चाहिए और ल्हासा निवासियों को अमनचैन का वातावरण लौटाया जाना चाहिए ।

14 मार्च को कुछ भिक्षुओं ने ल्हासा के रामोचे मठ के सामने सामान्य ड्युटि पर तैनात पुलिसकर्मियों पर पथराव किया । इस के बाद कुछ गुंडों ने सड़क पर जमा हो कर देश के विभाजन के नारे लगाए और मनमानी ढंग से मारपीट , तोड़फोड़ , लूटपाट और आगजनी की हिंसक हरकत शुरू की । हिंसा ने तेजी से तुल खींचा और अपराधियों ने ल्हासा की मुख्य सड़कों पर दुकानों , मीडिल व प्राइमरी स्कूलों , अस्पतालों और बैंकों को तोड़ने , लूटने और आग लगाने की उंमादपूर्ण कार्यवाही की , उन्हों ने वाहनों को रोक कर उन में आग लगायी और राहचलते लोगों का पीछा कर उन की मारपीट की । जिस से स्थानीय जन समुदाय की जानी माली सुरक्षा को गंभीर नुकसान पहुंचा ।

चीनी बौद्ध धर्म संघ के तिब्बती शाखा संघ के अध्यक्ष द्रुखांग थुबतन खेदरूप ने कहा कि मुट्ठी भर अपराधियों ने जम कर तोड़फोड़ , लूटमार और आगजनी की हरकत की , जिसे देख कर मुझे भारी अचंभा पहुंचा और साथ ही बड़ी शर्म भी महसूस हुई । इस प्रकार की हरकत ने सरासर मानवतावादी भावना का उल्लंघन किया है और वह बौद्ध धर्म के सिद्धांत के बिलकुल विरूद्ध है । बौद्ध भिक्षु होने के नाते हमें आत्म शिक्षा और स्वःचरित्र सुधार करना चाहिए । हमें पता है कि वर्तमान में तिब्बती जनता का जीवन सुखमय है और बौद्ध धार्मिक संस्कृति समृद्ध और विकसित हो रही है । हमें आशा है कि सरकार कानून के मुताबिक इस प्रकार की अपराधिक कार्यवाहियों को कड़ी सजा देगी ।

आंकड़ों के अनुसार ल्हासा हिंसा घटना में मृत बेगुनाह नागरियों की संख्या 18 तक पहुंची है , 120 रिहाईशी मकान जला कर नष्ट किए गए और 908 दुकानें तोड़ी गयीं , जलायी गयीं और लूट ली गयीं । इस के अलावा 7 स्कूलों और 5 अस्पतालों को बर्बादी पहुंचायी गयी . प्रत्यक्ष आर्थिक नुकसान 25 करोड़ य्वान तक पहुंची । ल्हासा के नागरिक श्री लोसांग ने आक्रोशित आवाज में कहाः

मैं ल्हासा में चंद कुछ अपराधियों द्वारा तोड़ फोड़ , लूटमार और आगजनी करने की घटना पर अत्यन्त क्रोधित हुआ हूं । वतर्मान में तिब्बत में जो स्थिरता और समृद्धि की स्थिति प्राप्त हुई है , वह वहां की विभिन्न जातियों की जनता द्वारा समान रूप से निर्माण किये जाने का सुफल है , जो मुश्किल से हासिल हुआ है । लेकिन मुट्ठी भर अपराधियों ने थोड़े कुछ दिनों में ही इतना भारी नुकसान पहुंचाया । ल्हासा के नागरिक होने के नाते हमें अत्यन्त बड़ा रोष भड़ा । चंद अपराधियों ने दलाई गुट के योजना और उकसावे में हम जन समुदाय के खिलाफ घोर अपराध कर डाला है , हम उन की साजिश को सफल होने की कतई इजाजत नहीं देंगे ।

ल्हासा हिंसा घटना में अपराधियों ने बेहद बर्बरतापूर्ण हथकंडा अपनाया , उन्हों ने एक मोटर साइकिल के चालक को घेर कर मारा और दर्जन गुंडों ने उस के सिर पर पत्थर दे मारा और उस की दाईं आंख को अंधा कर दिया और बाईं कान काटी। इस वरदात के प्रत्यक्षदर्शी नागरिक वृद्ध चोद्रेक ने कहाः

14 मार्च के दोपहर बाद मैं घर लौट रहा था , सड़क पर मैं ने इस सनसनीखेज दृश्य देखा । वर्तमान में तिब्बती लोग अमनचैन और सुखमय जीवन बिता रहे हैं , किन्तु चंद कुछ अपराधियों ने चौतरफा तौर पर मारपीट , तोड़फोड़ , लूटपाट और आगजनी की हिंसा कार्यवाहियां कीं , कुछ ही मेरी आंखों के सामने भी हुई थीं । उन्हों ने जनसमुदाय के जान माल को अटूक नुकसान पहुंचाया और गंभीर रूप से सामाजिक व्यवस्था और स्थिरता को भंग किया । हम तीव्र मांग करते हैं कि सरकार इन लोगों को जल्दी ही कड़ी और सख्त सजा देगी , ताकि हम शांति के वातावरण में जी सकें ।

चीनी तिब्बत शास्त्र अनुसंधान केन्द्र के विद्वान श्री दुकर त्सेरिंग ने कहा कि चीन सरकार ने हमेशा तिब्बती बौद्ध धर्म पर विशेष तवज्जो दिया और भारी पूंजी और बड़ी मात्रा में सोना चांदी प्रदान कर पोताला महल , जाशिलुनबू मठ और जुगड़ा खांग मठ आदि धार्मिक स्थलों की मरम्मत और संरक्षण करवाया । अब तिब्बत में 1787 मठ और अन्य धार्मिक स्थल हैं , और बौद्ध सूत्रों का बचाव और संरक्षण किया गया है। चीन सरकार भिक्षुओं के जीवन का ख्याल रखती है और उन्हें सामाजिक गारंटी सुविधा प्रदान कर रही है । उन्हों ने कहाः

मेरे अध्ययन से जाहिर है कि दलाई गुट वही है , जिस ने तिब्बती बौद्ध धर्म की सामान्य व्यवस्था , तिब्बती जाति की परम्परागत संस्कृति और शिक्षा की बहाली व विकास को क्षति पहुंचायी है , वे सब से बड़े खतरनाक अवरोधी हैं ।

ल्हासा हिंसा घटने के बाद तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की सरकार ने तुरंत कदम उठा कर अपराधिक कार्यवाहियों पर कानून के मुताबित प्रहार किया । अब ल्हासा में दुकान , स्कूल और बाजार सामान्य रूप से चलने लगे और ल्हासा में पहले की शांति का वातावरण बहाल हो चुका है ।