2008-03-27 15:45:29

चीन के छिंगहाई प्रांत की फिनश्यान आँपेरा

फिनश्यान आँपरा छिंगहाई प्रांत में व्यापक तौर पर प्रचलित एक लोक गायन कला है।कई पीढ़ियों के कलाकारों की अथक कोशिशों से अब फिनश्यान आँपेरा की अपनी मजूबत गायन व अभिनय शैली बन गई है।लेकिन उस के विकास के रास्ते में कुछ मुश्किलें व समस्य़ाएं भी आ खड़ी हो गई हैं।वर्तमान आँपेरा-बाजार कई साल पहले जैसा गर्म नहीं है।इस का कारण यह नहीं है कि आँपेरा सांस्कृतिक उपभोग के प्रति लोगों की मांग से हट गई है।छिंगहाई प्रांत के गांवों में आज भी बहुत से स्थानीय आँपेरा मंडलियां सक्रिय हैं।इस से जाहिर है कि आँपेरा का बाजार बना रहा है।फिनश्यान आँपेरा मंडली ने छिगहाई में ही नहीं पूरे देश में भी अपनी पहचान बनाए रखने के लिए श्रेष्ठ कृतियां रचकर बनाने,श्रेष्ठ अभिनेताओं व अभिनेत्रियों को तैयार करने की ठान ली है।इस मंडली के महानिदेशक श्री ली ई-आन का कहना हैः

`सुयोग्य व्यक्ति कला के विकास का आधार है।अब फिनश्यान आँपेरा का अनिभय करने वालों की संख्या कम होती जा रही है।अगर नए सुयोग्य व्यक्तियों को तैयार नहीं किया जाए,तो कई साल बाद यह आँपेरा लुप्तप्राय हो सकती है।छिंगहाई प्रांत की सरकार ने इस स्थानीय आँपेरा के विकास को भारी महत्व दिया है और अनेक बार हमारी मंडली से युवा अभिनेताओं व अभिनेत्रियों की भर्ती करने को कहा।पिछले साल हम ने बमुश्किल कुछ युवाओं को दाखिला दिया,जो सब स्थानीय आँपेरा-परिवारों से हैं।आँपरा के प्रति उन की बहुत अच्छी समझ है और वे बहुत मेहनत है।फिनश्यान आँपेरा का भविष्य उन पर निर्भर है।`

खुद श्री ली ई-आन फिनश्यान आँपेरा मंडली के प्रथम पीढ़ी के अदाकार थे।हालांकि उन्हों ने अभिनय के मंच से संन्यास ले लिया है,वह लेकिन नये अदाकारों के प्रशिक्षण और फिनश्यान आँपेरा के अनुसंधान में जुटे हुए हैं।इस तरह की आँपेरा को कैसे और अच्छी तरह आम लोगों की चाहत से मेल बिठाया जा सके और किस तरह से उसे मंचीय जरूरतों के ज्यादा अनुकूल किया जाएइस के बारे में श्री ली ई-आन ने कहा कि छिंगहाई प्रांत की स्थानीय संस्कृति का प्रतीक होने के कारण फिनश्यान आँपेरा को यदि विकास की राह पर आगे बढनी है,तो नया सृजन किया जाना,वर्तमान आधार पर आगे अनुसंधान किया जाना और सुयोग्य व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया जाना होगा।उन्हों ने कहाः

`अब मैं मुख्यतः फिनश्यान आँपेरा के संगीत में सुधार के लिए अनुसंधान कर रहा हूं। इस तरह की आँपेरा का गायन-ढंग बहुत पुराना पड़ चुका है,जो आधुनिक मंचीय अभिनय से अच्छी तरह मेल नहीं खा सकता है।इस तरह वह आधुनिकीकरण के चलते लोगों की बदलती मांगों को पूरा नहीं कर सकती है।स्थानीय विशेषता और आधुनिकता दोनों को साथ-साथ महत्व देना हमारा अनिवार्य काम है।`

छिंगहाई चीन का एक जातिबहुल प्रांत है।वहां सक्रिय एक लोककला के रूप में फिनश्यान आँपेरा विभिन्न जातियों के इतिहास व संस्कृतियों का संवाहक रही है।छिंगहाई प्रांत की सरकार इस आँपेरा के विकास को बहुत महत्वपू्ण मानती है और इस संदर्भ में ढेर सारी कोशिशें की हैं।प्रांत के संस्कृति विभाग के कला मामलों की देखरेख करने वाले कार्यालय के प्रधान च्याओ यू ने कहाः

`इस साल हम ने प्रांतीय सरकार को राष्ट्रीय अभौतिक सांस्कृतिक विरासत के रूप में फिनश्यान आँपेरा के आगे अनुसंधान का आवेदन दिया है।ऐसा इसलिए क्योंकि इस तरह की आँपेरा के अभिनय का फार्मूला अब भी अनिश्चित है,जो बाजार की जरूरतों से ज्यादा मेल नहीं खाता है।इस आँपेरा के ढंग को कैसे बाजार की मांग से और इस के अभिनय-शैली को कैसे दर्शकों के सौंदर्य-बोध से मेल बिठाया जाए? इस के लिए हम ने फैसला किया है कि किसी एक कृति के रिहर्सल के जरिए उस के गायन,संगीत और अभिनय-ढंग में कुछ नया करके दिखाया जाएगा,ताकि छिंगहाई प्रांत की इस स्थानीय विशेषता वाली आँपेरा के आगे विकास के लिए एक अपेक्षाकृत परिपक्कव रास्ता हमवार किया जाए। `