2008-03-26 14:47:59

मछुआ गांव में चमडे से तैयार कलात्मक वस्तुएं पर्यटकों को आकर्षित हैं

आज इसी प्रकार के नाव मछली पकड़ने का साधन ही नहीं ,बल्कि चमड़ा नाच नाचने का औजार भी हैं । तिब्बती भाषा में गायं चमड़े नाव को को ज़ कहा जाता है , को का अर्थ है गायं चमड़ा नाव , ज़ का अर्थ है नाच । कहा जाता है कि यह नाच तिब्बत के परम्परागत सुलगायं नाच के आधार पर विकसित हुआ है । स्थानीय रीति रिवाज के अनुसार तिब्बती पंचांग के अनुसार हर तीसरे माह की तीन तारीख को मछली पकड़ने वाला उत्सव मनाया जाता है । मौके पर स्थानीय लोग बड़े व भारी चमड़े नाव को पीठ पर बांधकर नाचते हैं , जबकि बाकी गाववासी उन्हें हौसला बढ़ाने के लिये गाना गाते हैं । अब यह गायं नाव नाच का प्रदर्शन एक मनोरंजक रूप बदल गया है । जब अवकाश का समय मिलता है , तो गांव के कुछ लोग इकट्ठे होकर गाते हुए गायं नाच कर लेते हैं ।

प्रिय मित्रो , आज के इस कार्यक्रम में हम आप के साथ ल्हासा नदी घाटी में बसे चुन पा गांव का दौरा करने जा रहे हैं । इस लेख के पहले में भाग में हमें मालूम हुआ है कि चुन पा गांव तिब्बत में प्रथम मछुआ गांव माना जाती है , पर इस का क्या कारण है , क्योंकि चुनपा गांव यालुचांगपू नदी व ल्हासा नदी के संगम पर स्थित है , इसलिये यहां मछलियों की भरमार होती हैं और स्वाद भी बड़ा स्वादिष्ट व ताजा है । लम्बे अर्से से मछली खाने की वजह से गांववासी मछली पकाने में बहुत निपुण हैं । यदि पर्यटक घूमने यहां आते हैं , तो वे तिब्बती जाति के परम्परागत पकवान घी चाय और ची पा जैसे स्थानीय पसंदीदा चीजें चखते ही नहीं , नाना किस्मों वाली मछलियों से तैयार भोजन का स्वाद भी ले सकते हैं । चुनपा गाव कमेटी के प्रधान पा चू ने बड़े उत्साह के साथ हमें बताया कि हमारे यहां मछली पकाने के तौर तरीके विविधतापूर्ण हैं , करीब दसियों किस्में होती हैं । आम दिनों में स्थानीय लोग मछली को भाप से पकाकर खाते हैं , पानी में उबालकर खाते हैं या तेल में भुनकर खाते हैं ।

चुनपा गांववासियां के उत्पादन व दैनिक जीवन का मछली पकड़ने से गहरा वास्ता है , यहां तक कि मनोरंजन भी मछली पकड़ने से जुड़ा हुआ है । पर्यटकों को चुन पा गांव में यह देखने को मिलता है कि सभी गांववासियों के दरवाजों के पास चमड़े नाव रखे हुए हैं । एक चमड़ा नाव बनाने में लगभग चार गायों के चमड़ों का प्रयोग किया जाता है ।

पहले चुनपा गांव में कोई मोटर सड़क नहीं थी , गांवावासी बाहर जाने आने में चमड़े नाव का एकमात्र यातायात के साधन के रूप में इस्तेमाल करते थे । आज इसी प्रकार के नाव मछली पकड़ने का साधन ही नहीं ,बल्कि चमड़ा नाच नाचने का औजार भी हैं । तिब्बती भाषा में गायं चमड़े नाव को को ज़ कहा जाता है , को का अर्थ है गायं चमड़ा नाव , ज़ का अर्थ है नाच । कहा जाता है कि यह नाच तिब्बत के परम्परागत सुलगायं नाच के आधार पर विकसित हुआ है । स्थानीय रीति रिवाज के अनुसार तिब्बती पंचांग के अनुसार हर तीसरे माह की तीन तारीख को मछली पकड़ने वाला उत्सव मनाया जाता है । मौके पर स्थानीय लोग बड़े व भारी चमड़े नाव को पीठ पर बांधकर नाचते हैं , जबकि बाकी गाववासी उन्हें हौसला बढ़ाने के लिये गाना गाते हैं । अब यह गायं नाव नाच का प्रदर्शन एक मनोरंजक रूप बदल गया है । जब अवकाश का समय मिलता है , तो गांव के कुछ लोग इकट्ठे होकर गाते हुए गायं नाच कर लेते हैं ।

चुनपा गांव में मछुआगीरी साधन को छोड़कर चमड़े प्रोसेसिंग कारोबार भी है । गांववासियों द्वारा तैयार छोटे आकार वाले गायं चमड़े नाव , बैग , मोबाइल थैले जैसी कलात्मक कृतियां अलग ढंग ही नहीं , सस्ती भी हैं ।

चुनपा गांव कमेटी के पूर्व प्रधान बुजुर्ग सोनान भी गायं चमडे प्रोसेसिंग काम में लगे हुए हैं । उन्हों ने हमें बताया कि अब मैं चमड़े बैग और मोबाइल थैले जैसी चमड़े वस्तुएं बनाता हूं । सरकार के समर्थन में हमारे यहां पर्यटन का विकास भी होता जा रहा है , हमारे लिनका के दौरे पर आने वाने पर्यटकों की संख्या भी पहले से काफी ज्यादा हो गयी है , इसलिये हमारा जीवन भी खुशहाल होने लगा है ।

बुजुर्ग सोनान ने अभी जिस लिनका का उल्लेख किया , वह स्थानीय तिब्बतियों का एक महत्वपूर्ण मनोरंजन स्थल ही है । लिनका का तिब्बती भाषा में मतलब है सुंदर उद्यान । लिनका मनाने का अर्थ है उद्यान जैसे रमणीय स्थल पर क्रीड़ा करना । चुनपा गांव के विशेष रीति रिवाज के अनुसार लिनका मनाते समय पुरुष व महिलाएं अपने अपने ग्रुप में मनोरंजन करते हैं । मसलन पुरूष एक साथ बैठकर बाजा बजाते हुए गीत गाते हैं या नाच नाचते हैं , जबकि महिलाएं अलग जगह पर बैठकर गाना गाती हैं या हंसा मजाक उड़ाती हैं । ऐसे मौके पर यदि पर्यटन यहां आते हैं , तो वे जरूर ऐसी अलग पहचान वाली गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं , वे स्थानीय गांववासियों की विशेषता युक्त नाच गान

देख पाते हैं , बल्कि उन की रूचिकर मनोरंजक गतिविधियों में पर्यटक भी भाग ले सकते हैं और वहां के रंग में रंगे भी हो जाते हैं ।