इधर के दिनों में तिब्बत की विभिन्न जातियों के लोगों ने अलग अलग तौर पर 14 मार्च को ल्हासा में हुई मारपीट, तोड़फोड़ और अग्नि लगाने की गंभीर हिंसक अपराधिक घटना की निंदा की और कहा कि सुखमय जीवन को बर्बाद करने की कतई इजाजत नहीं दी जाती है ।
जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की ल्हासा शहर की कमेटी के उपाध्यक्ष लाजुच्वोगा ने कहा कि मातृभूमि के एकीकरण , जातीय एकता, समाज सामंजस्य की रक्षा करना तिब्बत की विभिन्न जातियों की जनता की समान अभिलाषा है। तिब्बत के विकास व प्रगति को कोई भी प्रतिक्रियावादी शक्ति नहीं रोक सकती ।
तिब्बत स्वायत प्रदेश के सामाजिक विज्ञान अकादमी की अर्थ अनुसंधान संस्था के उप प्रधान श्री वांग देई य्वेन ने संवाददाताओं के साथ साक्षात्कार में कहा कि तिब्बत में शांतिपू्र्ण मुक्ति के बाद पिछले लगभग 50 वर्षों में तिब्बत का उल्लेखनीय आर्थिक व सामाजिक विकास हुआ है। तिब्बत की आबादी वर्ष 1951 के 11 लाख 40 हजार से बढ़ कर अब की 28 लाख से ज्यादा पहुंची है, जिन में अधिकांश तिब्बती जाति के लोग हैं। औसत व्यक्तिय की आयु 35 से अब की 67 तक पहुंची है। पिछले सात वर्षों में तिब्बत का अर्थतंत्र लगातार सात वर्ष तक 12 प्रतिशत से ज्यादा बनी रही है। तिब्बत में किसानों व चरवाहों की औसत आय भी पिछले पांच वर्षों में दो अंकों से बढ़ती गयी है।
ल्हासा के इस्लामी धर्म संघ के प्रधान यागू ने इने गिने गुंडों के ल्हासा में मारपीट , तोड़फोड़ करने व अग्नि लगाने की कार्यवाई की जबरदस्त निंदा की। उन्होंने विश्वास प्रकट किया कि सरकार अवश्य ही तिब्बत की सामाजिक स्थिरता व जातीय एकता की रक्षा करेगी। तिब्बत का भविषय और सुन्दर होगा। (श्याओयांग)