23 तारीख को प्रकाशित जन दैनिक की समीक्षा में बताया गया कि हिंसक घटना ने दलाई लामा गुट के अहिंसा दावे को झुठला दिया है।
समीक्षा में बताया गया कि वर्ष 2008 , सभी विश्व की जनता पेइचिंग ऑलिंपियाड के आगमन की प्रतिक्षा में है, लेकिन, दलाई लामा गुट ने पेइचिंग ऑलिंपियाड का मामला उठा कर तिब्बत की स्वाधीनता समस्या पर रियायत देने के लिए चीन सरकार पर दबाव डालने की कुचेष्टी की। उन्होंने जानबूझ कर ल्हासा में हिंसक कार्यवाई रची ।
समीक्षा में कहा गया कि हिंसक घटना के बाद विश्वव्यापी लोकमतों की निंदा के सामने दलाई लामा गुट वर्तमान हिंसक कार्यवाई के साथ अपने संबंध को स्वीकार करने से इंकार करता रहा । लेकिन, इतिहास और तथ्य , खासकर 14 मार्च हिंसक घटना ने दलाई लामा गुट के अहिंसा दावे को झुठला दिया है।
समीक्षा में यह भी कहा गया कि चाहे दलाई लामा तथा उस के समर्थक शांति व अहिंसा की आड़ में अपने पर पर्दा डालने की कैसे कोशिश क्यों न करते हैं, उन लोगों की अलगाववादी तोड़ फोड़ कार्यवाई अवश्य ही विफल हो कर रहेगी। (श्याओयांग)