2008-03-20 18:32:34

ल्हासा में तोड़ फोड़, लूटमार व आगजनी घटना के प्रत्यक्षदर्शियों व पीड़ितों ने अपनी गवाही पेश की

हाल ही में दलाई लामा गुट के फूटपरस्त व सुयोजित रची साजिश तहत, चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के ल्हासा शहर के मठों के आंशिक भिक्षुओं द्वारा भड़काए दंगे फसाद ने गंभीर रूप से ल्हासा की सामान्य सामाजिक स्थिति को भंग कर दिया था और ल्हासा के नागरिकों के जान माल की सुरक्षा को गहरी क्षति पहुंचाई । इस हिंसक घटना के बाद, तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की सरकार ने तुरन्त हिंसक गतिविधियों के खिलाफ कानून के मुताबिक कड़े कदम उठाए, वर्तमान ल्हासा की सामाजिक व्यवस्था बुनियादी तौर से सामान्य हो गयी है।


14 तारीख की सुबह 11 बजे कुछ भिक्षुओं ने ल्हासा के उत्तर पूर्व दिशा में स्थित रामोछे मठ के नजदीक सड़क पर गश्त लगा रहे पुलिसों पर पत्थराव किया, इस के बाद, कुछ भिक्षुओं ने सड़क पर एकत्र होकर दंगा मचाना और राष्ट्र के विभाजन के नारे लगाना शुरू कर दिया, और तो और उन्होने तोड़ फोड़, मारपीटाई ,लूटमार व आगजनी कार्रवाईयां करना भी शुरू कर दिया और यह गंभीर स्थिति फैलने लगी। दंगाईयो ने ल्हासा के मुख्य सड़कों पर खुली दुकानों, प्राइमरी व मिडिल स्कूलों, अस्पतालों, बैंकों व समाचार मुख्यालयों को तोड़ना, लूटना व आग लगाना शुरू कर दिया, यहां तक कि वहां से आने जाने वाले वाहनों को जला डाला और वहां से गुजर रहे लोगों का पीछा कर उनकी मार पिटाई की। इस घटना की याद करते हुए ल्हासा शहर के हाएछंग प्राइमरी स्कूल की प्रिन्सिपल नीमाछेरिन ने कहा कि स्कूलों के छात्रों के दोपहर का खाना खाने के बाद स्कूल वापस लौटने के समय, दंगाईयो ने हाएछांग स्कूल पर हमला किया। उन्होने कहा इन दंगाईयो ने पागलों की तरह हमारे स्कूल की कक्षाओं पर हमला किया और छात्रों व अध्यापकों की जान व स्कूल की संपत्तियों को गंभीर खतरा पहुंचाया। इस आपात स्थिति में हमने तुरन्त अध्यापकों से सभी छात्रों को अपनी अपनी कक्षाओं में छुप जाने को कहा और फौरन छात्रों के अभिभावकों को सूचना भेजी, ताकि रात को वे खुद अपने अपने बच्चों को स्कूल से लेने आ सके। इस हिंसक घटना ने हमारे स्कूल को करीब 14 लाख य्वान का नुकसान पहुंचाया है, लेकिन सबसे ज्यादा तो इस घटना ने बच्चों के दिन में भारी घाव डाला है।

इस हिंसक घटना की चर्चा करते हुए दूसरी क्लास की छात्रा दावायूदोरान ने कहा कि वह उस समय बहुत ही घबरा गयी थी। मैने देखा कि कुछ लोग पुलिसों को मार रहे थे, कुछ लोग दुकानों की तोड़फोड़ कर रहे थें, मैं तो बहुत घबरा गयी थी। मेरी दादी ने मुझे स्कूल जाने से मना कर दिया, मैं तीन दिन तक घर में बैठी रही।

जानकारी के अनुसार, इस हिंसक घटना में दंगाईयो ने 210 मकानों व दुकानों को जला दिया, 56 वाहनों में आग लगा कर उसे नष्ट कर दिया और 13 बेकसूर लोगों को आग में जिन्दा जलाकर या काट कर मार डाला। ल्हासा के कुछ मुख्य सड़कों पर जलाए गए दुकानों की सामग्रियां जगह जगह फैली हुई है, सड़कों की सूरत लूटमार तोड़फोड़ व आगजनी से पहचानी नहीं जा रही है। दंगाईयो ने न केवल दुकानों को नष्ट किया, दुकानदारों की जमकर पिटाई की, बल्कि उनकी दुकानों के मालों को लूट लिया । इस हिंसक घटना की पीड़ित महिला फंग पी श्या ने रोते हुए हमारे संवाददाता को दंगाईयो द्वारा उनकी मारपीट की कहानी बताते हुए कहा 14 तारीख की शाम को मैं खाना बनी रही थी कि मेरी पड़ोसन ने मुझे जल्द से कमरा बन्द करने को कहा, और कहा कि सड़कों की दुकाने बन्द हो गयी है। एक आयी का पांच साल का तिब्बती बच्चा स्कूल जाते समय झटपट मेरे घर में छुपने के लिए भाग आया। बच्चा बड़ा घबराया हुआ था ,उसने मेरे पति से कहाः चाचाजी कृपा आप हमे बचा लें। मेरे पति ने कहा वह अभी बाहर नहीं जा सकते हैं, लेकिन बच्चा बराबर अपनी मांग करता रहा, मेरे पति से सहा नहीं गया उसने दरवाजा खोला ही था कि एक ईंट का पत्थर हमारे उपर जा पड़ा, हमने भागना शुरू किया, लेकिन दंगाईयों ने हमारा पीछा किया और मेरे पति व उस बच्चे को दबोच कर मार पिटाई की, हम एक दूसरे से अलग हो गए।

ल्हासा के एक अस्पताल में घायल फंग श्याओ पो ने हमें बताया कि उसकी चार दुकानों को दंगाईयों ने पैट्रोल डालकर भस्म कर दिया। घबराहट में सारे घरवाले अपनी जान बचाने इमारत से कूद पड़े, मेरी पत्नी की कमर की हडडी टूट गयी, मेरे चाचाजी व मेरी छोटी बहन घर से भाग न सकी और जलती आग में जिन्दा मारी गयी।

परिजनों के मरने के दुख ने ल्हासा नागरिकों को गहरी चोट पहुंचायी, दंगाईयों की हिंसक कार्रवाईयों के खिलाफ, विभिन्न जगतों के लोगों ने कड़ी निन्दा व जबरदस्त क्रोध जताया । वर्तमान इस हिंसक घटना में घायल लोगों को अस्पतालों में इलाज के लिए भर्ती करा दिया गया है, ल्हासा की सड़कों में फिर से गाड़ियां दौड़ती नजर आ रही हैं, अधिकतर दुकानों ने अपना धन्धा चलाना शुरू कर दिया है, ल्हासा के सभी स्कूलों की कक्षाए सामान्य रूप से चल रही है, ल्हासा की सामाजिक स्थिति बुनियादी तौर से बहाल हो गयी है।