चीनी राष्ट्रीय जन-प्रतिनिधि सभा का और चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन का वार्षिक सम्मेलन पेइचिंग में आयोजित हुआ ।चीनी राष्ट्रीय जन-प्रतिनिधि सभा के वार्षिक सम्मेलन में चीनी प्रधान मंत्री श्री वन च्यापाओ ने अपनी सरकारी कार्य रिपोर्ट में स्वच्छ ऊर्जा के विकास पर जोर देने की बात कही, ताकि चीन में आर्थिक अनवरत विकास को मूर्त रूप दिया जा सके । श्री वन च्यापाओ ने कहाः
"चीन किफ़ायत, पुनरूत्पादनीय और चक्रीय संसाधन और प्रदुषणरहित तकनीक का विकास करेगा । ऊर्जा किफ़ायत व कम निकासी वाली तकनीक और संबंधित परियोजना का कार्यान्वयन करेगा । सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा समेत स्वच्छ ऊर्जा तथा पुनरूत्पादनीय ऊर्जा का विकास करेगा ।"
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश चीन का महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी बाड़ा है । तिब्बत की पारिस्थिति न सिर्फ़ चीन की पारिस्थितिकी सुरक्षा से जुड़ी हुई है, बल्कि दक्षिण पूर्वी एशिया और दक्षिण एशिया से भी यह गहरे रुप से संबंधित है । इधर के वर्षों में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की सरकार और तिब्बती जनता की समान कोशिशों के जरिए तिब्बत के पर्यावरण संरक्षण कार्य में भारी प्रगति हासिल हुई है । स्वच्छ ऊर्जा के विकास के क्षेत्र में तिब्बत ने बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं हैं। वर्तमान में जल ऊर्जा, सौर ऊर्जा, मैथन गैस और जियोथर्मिक ऊर्जा आदि एक दूसरे के पूरक हैं , जिस से तिब्बत में नई किस्म वाली ऊर्जा व्यवस्था पर प्रारंभिक तौर पर काम शुरु हुआ है ।
चीनी राष्ट्रीय जन-प्रतिनिधि सभा के प्रतिनिधि, ल्हासा शहर के मेयर श्री तोची त्सेरिन ने जानकारी देते हुए कहा कि अब तिब्बत में पारिस्थितिकी सभ्यता का निर्माण करने वाली विचारधारा लोगों के दिल में आ बसी है । स्वच्छ पानी का विकास करना स्थानीय सरकार और व्यापक जनता का समान विचार बन गया है । श्री तोची त्सेचू ने कहा:
"तिब्बत को विकास चाहिए, इस के साथ ही यहां मानव और पर्यावरण के बीच सामंजस्य को भी बरकरार रहना चाहिए । इस तरह पर्यावरण संरक्षण का भारी महत्व है । अगर तिब्बत में कोयले का प्रयोग कर बिजली पैदा की जाती है, तो पर्यावरण पर इस का कुप्रभाव पड़ेगा। इस तरह इधर के वर्षों में हम सौर ऊर्जा समेत स्वच्छ ऊर्जा के विकास की खोज कर रहे हैं और साथ ही गांव में मैथन गैस परियोजना का विकास कर रहे हैं ।"
श्री तोचित्सेचू ने कहा कि वर्तमान तिब्बत में सौर ऊर्जा का प्रयोग साधारण बात बन गई है और अब मैथन गैस के विकास पर जोर दिया जा रहा है । तिब्बत के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक मैथन गैस गांव स्थापित किए गए हैं जिस से स्थानीय किसानों व चरवाहों के जीवन तरीके में भारी परिवर्तन आया है और साथ ही स्थानीय पर्यावरण का संरक्षण भी किया गया है ।
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के लिनची प्रिफैक्चर में एक ऐसा गांव है, जहां हर परिवार मैथन गैस का प्रयोग करता है । इस तरह इस गांव को मैथन गैस गांव कहा जाता है । गांववासी चोमा लामू ने कहा:
"पहले हम मैथन गैस का प्रयोग नहीं करते थे । खाना पकाने और पशुओं का खाना तैयार करने के लिए दिन-रात लक़ड़ी का प्रयोग करते थे । रसोई घर बहुत गंदा रहता था । लेकिन मैथन गैस का प्रयोग करने के बाद घर में स्वास्थ्य की स्थिति में भारी परिवर्तन आया है ।"
मैथन गैस गांव के गांववासी छोचोमा का कहना है:
"पहले हमारे यहां मैथन गैस ताल नहीं था । इस तरह एक ही साल में हम तीन ट्रक लकड़ी का प्रयोग कर लेते थे । लेकिन आज मैथन गैस का प्रयोग करने के बाद हम लकड़ी का इस्तेमाल नहीं करते, जिस से वन संसाधन का संरक्षण किया गया है।"
चीनी राष्ट्रीय जन-प्रतिनिधि सभा के प्रतिनिधि, ल्हासा के मेयर श्री तोचित्सेरिन ने गर्व के साथ कहा:
"अब मैथन गैस की नॉब को खोल कर खाना पकाया जा सकता है । चरवाहों व किसानों के घर बहुत स्वच्छ रहने लगे हैं । जातीय विशेषताओं के साथ-साथ आधुनिक वातावरण भी महसूस किया जा सकता है । तिब्बती बंधुओं को सुविधा और लाभ मिला है ।"
पठार में स्थित होने के कारण तिब्बत स्वायत्त प्रदेश का तापमान कम रहता है । इसलिए मैथन गैस के प्रयोग में कठिनाइयां मौजूद हैं । अपनी वास्तिवक स्थिति के मद्देनज़र तिब्बत ने मैथन गैस ताल के सुधार के लिए तकनीकी कर्मचारियों को भेजा । इस की चर्चा में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शीर्ष नेता श्री चांग छिंगली ने कहा:
"तिब्बत का तापमान कम रहता है । हम ने मैथन गैस ताल के ऊपर एक ग्रीन हाउस का निर्माण किया, जिस से तापमान बढ़ गया और इस का प्रयोग कर हम सब्जियां भी उगा सकते हैं ।"
श्री चांग छिंगली ने जानकारी देते हुए कहा कि सब्ज़ियों के बाड़े से तिब्बती किसानों व चरवाहों की आय बढ़ी है। मैथन गैस परियोजना के विकास के भविष्य के प्रति श्री चांग छिंगली को विश्वास है । उन का कहना है:
"'ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना'के दौरान हम बीस हज़ार परिवारों तक मैथन गैस पहुंचाएंगे । अनुमान है कि अगले वर्ष यह परियोजना पूरी होगी । अब तिब्बती नागरिक इस परियोजना में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं क्योंकि स्वच्छ ऊर्जा से उन्हें वास्तविक लाभ मिला है।"
मैथन गैस परियोजना और तापमान के बीच प्रत्यक्ष संबंध होने के कारण इस प्रकार वाली ऊर्जा का विकास सीमित रुप में ही हो सकता है । समुद्र से ज्यादा ऊंची सतह पर स्थित होने के कारण तिब्बत का तापमान देश के दूसरे क्षेत्रों के तापमान के बराबर नहीं पहुंच सकता । इस कमी को दूर करने के लिए तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की सरकार सौर ऊर्जा के विकास पर भी जोर दे रही है । ल्हासा के मेयर श्री तोचित्सेचू ने कहा:
"सौर ऊर्जा स्वच्छ ऊर्जा है,जिस से विद्युत आ सकती है, सेल फॉन को बिजली मिल सकती है और रेडियो, रिकॉर्डर तथा टी.वी. के लिए भी इस का प्रयोग किया जा सकता है । इस के अलावा, तिब्बत के शहर में सर्दियों में सौर ऊर्जा का प्रयोग कर गर्मी भी पाई जा सकती है ।"
खुशी की बात है कि विभिन्न स्तरीय विभागों की समान कोशिशों के जरिए अब तक तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में स्वच्छ पानी व नीला आसमान वाला दृश्य बरकरार है । तिब्बत की पर्यावरण स्थिति विश्व में सब से अच्छी है ।
अच्छा दोस्तो, आज का यह कार्यक्रम यहीं तक। अब रुपा को आज्ञा दें, नमस्कार ।(श्याओ थांग)
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