चीनी प्रधानमंत्री श्री वन च्या पाओ ने 18 तारीख को पेइचिंग में कहा कि थाइवान जलडमरूमध्य की शांति व सुस्थिरता की रक्षा करने और दोनों तटों के समान विकास को आगे बढ़ाने वाले काम को चीनी मुख्य भूमि और थाइवान के बीच संबंधों का प्रमुख विषय बनना चाहिए ।
चीन की 11वीं राष्ट्रीय जन-प्रतिनिधि सभा का प्रथम पूर्णांधिवेशन 18 तारीख को पेइचिंग में समाप्त हुआ । चीनी प्रधानमंत्री श्री वन च्या पाओ ने अधिवेशन की समाप्ति पर संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि चीन इसीलिए 'संयुक्त राष्ट्र संघ में थाइवानी सदस्यता के लिए जनमतग्रहण' का विरोध करता है , कि ऐसी कार्यवाइयों के सफल होने से थाइवान और मुख्य भूमि एक चीन में होने की स्थिति बदलेगी , दोनों तटों के संबंधों में रुकावट आएगी , दोनों तटों की जनता के मूल हितों को नष्ट किया जाएगा , थाइवानी जलडमरूमध्य क्षेत्र में तनाव पैदा किया जाएगा , और इस क्षेत्र और यहां तक एशिया व प्रशांत महासागर क्षेत्र की शांति को नष्ट किया जाएगा ।
श्री वन च्या पाओ ने यह दोहराया कि चीनी प्रभुसत्ता और प्रादेशिक अखंडता से जुड़े किसी भी सवाल का समाधान , थाइवानी देशबंधुओं समेत तमाम चीनी जनता द्वारा किया जाना चाहिए । थाइवान को मातृभूमि से अलग करने की किसी भी व्यक्ति की कोई भी साजिश अवश्य ही विफल होगी ।